जब मार्क आंद्रीसेन ने 2011 में लिखा, ''सॉफ्टवेयर दुनिया को खा रहा है'', तो उनका इशारा कारोबार में बढ़ते 'तकनीकीकरण' की ओर था. तब से तमाम छोटी-बड़ी कंपनियां खुद को 'टेक कंपनियां' बताने लगी हैं. ब्यूटी फर्म लोरियाल के सीईओ जीन-पॉल एगॉन ने 2018 में निवेशकों को अपनी कंपनी के ब्यूटी-टेक कंपनी में बदलने के बारे में बताया. सुंदर पिचाई ने 2016 में गूगल को 'एआई-फर्स्ट' कंपनी घोषित किया.
नवंबर 2022 में चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद एआई बड़े पैमाने पर अपनाया जाने लगा है. यूं तो एआई मॉडल कई सालों से हमारे जीवन की सहूलतें बढ़ा रहे हैं (सोचिए कि यूट्यूब आपको कंटेंट खोजने में कैसे मदद करता है, या किसी जगह को ढूंढने के लिए आप गूगल मैप्स पर किस कदर निर्भर होते हैं). चैटजीपीटी और अन्य जेनरेटिव एआई टूल की बदौलत एआई का जादू पहले से ज्यादा फौरन और सुलभ हो गया है. एआई की यह नई नस्ल तीन तरह से गेम-चेंजिंग है.
पहला, हमारे पास इतिहास में पहली बार यह ऐसी तकनीक है जिसका मकसद हमें समझना है. नया एआई हमें समझने की कोशिश करता है. यह गेम-चेंजर और बराबरी पैदा करने वाला भी है.
दूसरा, यह एआई हमारी जरूरतों के प्रति उत्तरदायी है और उसे इंसानों को खुश करने के लिए डिजाइन किया गया है. जब आप फीडबैक देते हैं, तो ये सिस्टम बातचीत के दौरान ज्यादा प्रासंगिक, बेहतर जवाब देने के लिए तेजी से सीखते हैं.
तीसरा, एआई पहले से कहीं ज्यादा जानकार है. जीपीटी (जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर) जैसे एआई मॉडल पारंपरिक सर्च इंजनों से आगे जाते हैं. ये सवालों के पीछे के इरादे को भी समझते हैं. जीपीटी जैसे एआई मॉडल किसी लाइब्रेरियन के समान हैं जो आपको वही अंश या सारांश मुहैया कराता है जो आप खोज रहे हैं. यह इस मामले में एक छलांग है कि हम मानव ज्ञान के विशाल भंडार का इस्तेमाल कैसे करते हैं.
एआई में इन सभी मामलों में आए दिन सुधार हो रहा है. एआई का तेजी से विकसित हो रहा आधार वैश्विक नेतृत्व के लिए मुख्य बिंदु बन रहा है क्योंकि इसमें आर्थिक गतिशीलता और भू-राजनैतिक संतुलन को नए सिरे से गढ़ने की क्षमता है. विभिन्न क्षेत्रों में एआई अपनाने से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो सकती है. ऐसा उत्पादकता और नवाचार में इजाफे से होगा.
लेकिन यह तरक्की चुनौतियों से खाली नहीं है. सबसे बड़ी चिंताओं में एक, नौकरियों के बाजार पर एआई का असर है. लेकिन इससे नए अवसरों और उद्योगों का निर्माण हो सकता है, जिससे कामगारों को हटाने की बजाए बढ़ाया जा सकता है.
एआई के सुरक्षा संबंधी मामले भी हैं. साइबर युद्ध में इसका संभावित उपयोग और ऑटोनॉमस हथियार-प्रणालियों का विकास नए खतरे पेश करता है. यह चिंता बढ़ रही है कि इन तकनीकों को विकसित और नियंत्रित करने वाले उसके फायदे पर पर एकाधिकार जमा सकते हैं, जिससे वैश्विक शक्ति असंतुलन पैदा हो सकता है. इन जोखिमों को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों और नैतिक दिशा-निर्देशों की जरूरत है. हाल में यूरोपीय यूनियन की ओर से प्रस्तावित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कानून इसी मामले में है, जो अपनी तरह का पहला है.
देश में पहले ही टेक्नोलॉजी (फ्लिपकार्ट, जोहो) में शक्ति-प्रदर्शन हो चुका है. अब एक उभरता हुआ स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है जो तेजी से एआई सॉल्यूशंस (फ्लाइफिश.एआई, क्यूर.एआई) पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. 2020 में 'नेशनल मिशन फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' की शुरुआत राष्ट्रीय विकास के लिए एआई का उपयोग करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.
हालांकि यह तकनीकी बदलाव शुरू में देश के श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी अधिक सुलभ और सस्ती होती जा रही है, कामकाज सुव्यवस्थित करने, दक्षता में सुधार और ज्यादा मेहनत वाले हाथ के काम को कम करने में एआई का इस्तेमाल हो रहा है.
अब सवाल है कि यह तकनीक कितनी जल्दी, कितनी प्रभावी, कितनी महंगी और आखिरकार कितनी सुरक्षित होगी? अगर निजी संस्थाएं और सरकारें डेटा को लोकतांत्रिक बनाने और वैश्विक विकास और कल्याण को आगे बढ़ाने के नजरिये के साथ एक मंच पर आती हैं तो एआई अच्छाई के लिए एक ताकत हो सकती है. लेकिन गोपनीयता, राजकाज और नैतिकता से जुड़ी कई चिंताएं हैं. इसलिए, मजबूत बुनियाद तैयार करने के चार अहम तरीके हैं:
• एआई के विकास को सुविधाजनक बनाना: सरकार डीपटेक उद्यमियों के लिए अनुकूल माहौल बनाकर और एआई/क्वांटम कंप्यूटिंग के उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान तथा विकास में निवेश को बढ़ावा देकर एआई के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. भारत को बड़े उद्यम पूंजी/निजी इक्विटी फर्मों के साथ एआई कंपनियों में 5,000 करोड़ रुपए के सह-निवेश पर विचार करना चाहिए.
• सरकारी कामकाज में एआई का लाभ: सरकार कृषि-तकनीक, स्वास्थ्य-तकनीक, टैक्सेशन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी लाभार्थी है. सरकार को एआई उपयोग के मामलों पर 5,000 करोड़ रुपए का वार्षिक खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए. इसके लिए भारतीय स्टार्ट-अप बोली लगा सकते हैं.
• एआई को नियंत्रित करें: व्यापक डेटा सुरक्षा और जिम्मेदार एआई नीतियां पेश करने और गोपनीयता-संरक्षण एआई प्रौद्योगिकियों में निवेश करने से इसके विकास को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. इस दिशा में नैसकॉम का 'रेस्पॉन्सिबल एआई रिसोर्स किट' बेहतरीन पहला कदम है.
• एआई से होने वाले व्यवधानों के लिए देश को तैयार करें: एन. चंद्रशेखरन और रूपा पुरुषोत्तमन का अपनी पुस्तक ब्रिजिटल नेशन में अनुमान है कि भारत 2020-30 तक अपने कार्यबल में 9.1 करोड़ लोगों को जोड़ देगा. एआई अपनाने से विभिन्न उद्योगों के भीतर ऑटोमेशन और 'कामों' में बदलाव आएगा. इसलिए अगले पांच वर्षों में कम से कम पांच करोड़ लोगों को डिजिटल हुनर का प्रशिक्षण देना जरूरी है.
एआई विकास के लिए रणनीतिक और समावेशी नजरिया देश के विकास के लिए अभूतपूर्व अवसरों को खोल सकता है.
अहम पहलू
भारत एआई के इस्तेमाल से पारंपरिक विकास के ढर्रों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ सकता है
भारत में उद्देश्य यह होना चाहिए कि मौजूदा कार्यबल को एआई क्षमताओं से लैस कर दिया जाए
सरकार को अगले पांच साल करीब 5 करोड़ लोगों को डिजिटल हुनर में प्रशिक्षण मुहैया कराना चाहिए