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भारत की अगुवाई में तेजी से विकसित हो रहा एआई का नया दायरा

सरकार का ध्यान एआइ में न केवल भारत को विश्वगुरु बनाने पर है, बल्कि सभी संबंधित पक्षों के लिए सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी है

 इंडियाएआई का विजन एआई स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के निर्माण और विस्तार का समर्थन करेगा
इंडियाएआई का विजन एआई स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के निर्माण और विस्तार का समर्थन करेगा
अपडेटेड 19 जनवरी , 2024

हम जानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पिछले 12-18 महीनों में तेजी से विकसित हुआ है. जेनरेटिव एआई में हालिया प्रगति और अत्याधुनिक मल्टी-बिलियन पैरामीटर मॉडल की उपलब्धता ने एआई को सर्च से लेकर भाषाई अनुवाद तक वास्तविक जीवन का हिस्सा बना दिया है.

हाल में काशी तमिल संगमम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदी में भाषण के साथ-साथ तमिल अनुवाद से दिखा कि एआई थोड़े समय में ही कहां पहुंच गया है. एआई शायद हमारे समय का सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार है और यह इंटरनेट के आगमन से भी ज्यादा परिवर्तनकारी है.

एआई में मेरी लंबे समय से रुचि रही है और इसलिए थोड़ी जोशीली वकालत के लिए मुझे माफ कीजिए. तकरीबन 30 वर्ष पहले (हां, यह मेरा विंटेज है), मेरी मास्टर थीसिस एआई और इंटेलिजेंट मशीनों (रोबोटिक्स) के बारे में थी.

तब की शक्तिशाली मल्टीप्रोसेसर यूनिक्स सिस्टम के इस्तेमाल से मुझे रोबोटिक आर्म को ट्रेन करने के लिए लिस्प में प्रोग्राम किए गए मॉडल (एल्गोरिद्म का संग्रह) बनाने के लिए काफी परेशानी हुई थी. वे प्री-कंप्यूटर विजन, प्री-जीपीयू, प्री-टेन्सरफ्लो वाले दिन थे और लिहाजा, थीसिस और मास्टर डिग्री के अलावा बहुत कम हासिल हुआ. मैंने इंटेल में चिप डिजाइन में एआई से यथासंभव दूर अपना करियर बनाया.

दशकों से, एआई ऐसी समस्या थी, जो रिसर्च में एकदम स्पष्ट थी, लेकिन उसकी कामयाबी उम्मीदों और नाउम्मीदी में झूल रही थी, समाधान पहुंच से दूर रहता था. डीपमाइंड, ओपनएआई सरीखी कंपनियों की अगुआई में जीपीयू, एआई कंप्यूट पावर और लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स को लेकर अग्रणी काम, और गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला आदि जैसी बड़ी टेक कंपनियों के भारी निवेश से हम यकीनन अब एआई युग में हैं. लेकिन एआई ('थोड़े में ज्यादा हासिल करें') की ताकत की उत्तेजना के साथ खतरों पर भी चर्चा बढ़ रही है. आज यह बहस है कि कैसे कमतर नुकसान के साथ एआई की ताकत का इस्तेमाल किया जाए?

अपने देश का नजरिया स्पष्ट है. प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई), 2023 शिखर सम्मेलन से पहले एक पोस्ट में कहा, "भारत लोगों के कल्याण के लिए टेक्नोलॉजी, खासकर एआई के इस्तेमाल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, आश्वस्त करता है कि ग्लोबल साउथ के देश इसका लाभ उठाने में पीछे नहीं हैं."

भारत में स्पष्ट है कि एआई के प्रति खौफ पैदा करने के बदले हमारा फोकस लोक-कल्याण के लिए इसका दोहन करना है. आज, एआई की चर्चा अमूर्त से मूर्त रूप में दुनिया के सामने है, जो हम सभी को प्रभावित करती है और इस तरह यह तय करती है कि प्लेटफॉर्म सुरक्षा और भरोसे के लिए कानूनन जवाबदेह हैं. इंटरनेट और एआई की सर्वव्यापी और सीमा-निरपेक्ष प्रकृति के मद्देनजर यह महत्वपूर्ण है कि इसके लिए नियम-कायदों का  वैश्विक तंत्र बने, जो एआई को लेकर सुरक्षा और भरोसा सुनिश्चित करे.

'इंडिया टेकेड'

डिजिटल इंडिया की नीतियों के तहत देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था और इनोवेशन का माहौल पिछले कुछ वर्षों में ही एक लाख से अधिक स्टार्ट-अप और 108 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ फलने-फूलने लगा है, जो दुनियाभर में अपना डंका बजा रहा है. 2026 तक हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 20 फीसद हो जाने की उम्मीद है, जो 2014 के 4.5 फीसद से बढ़कर अब 11 फीसद से अधिक हो गई है.

एआई इसमें बड़ा उत्प्रेरक बनने जा रहा है. सरकार एक व्यापक मिशन, 'इंडियाएआई' डिजाइन कर रही है, जो अगले दशक को टेक्नोलॉजी के अवसरों से भरा-पूरा बनाने के हमारे लक्ष्य में मददगार भूमिका निभाएगा, जिसे प्रधानमंत्री 'इंडिया टेकेड' बताते हैं.

इंडियाएआई का विजन एआई स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के निर्माण और विस्तार का समर्थन करेगा; स्वास्थ्य सेवा, कृषि, भाषा अनुवाद, शासन वगैरह में एआई के इस्तेमाल; और एआई अनुसंधान, एआई गणना, गुणवत्ता और विविध डेटा सेट के महत्वपूर्ण सक्षम बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा, जो भारतीय मॉडलों को प्रशिक्षित करेगा.

असल में इसे सरकार और उसकी नीतियों की मदद के साथ युवाओं की सहूलत और उद्यम से बनाया गया है. इंडियाएआई की वृद्धि और कामयाबी में प्रतिभा ही काम करेगी. हमारे पास एआई प्रतिभा का एक विशाल भंडार है, दरअसल यह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एआई सूचकांक से भी पता चलता है. उसके मुताबिक, भारत एआई के मामले में दुनिया में अग्रणी है, यहां तक कि यह अमेरिका को भी पीछे छोड़ रहा है.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा कनेक्टेड लोकतंत्र है. हमारी अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण तेजी से हो रहा है, यहां डेटा और डेटासेट की विशाल विविधता भी पैदा हो रही है. फिलहाल हम इंडिया डेटासेट प्रोग्राम के तहत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे विविध डेटासेट का निर्माण कर रहे हैं, जो हमारे अनुसंधान और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के लिए बेहद मददगार है. ठोस नीति और कानूनी ढांचा भी प्रोग्राम को इंडियाएआई के लिए प्रतिस्पर्धी बढ़त दिलाएगा, क्योंकि इससे गैर-कानूनी इकाइयों पर लगाम लगेगी और दूसरे देशों को इंडिया डेटासेट का इस्तेमाल करके एआई विकसित करने से रोक देगा.

जीपीएआई शिखर सम्मेलन 2023

भारत की अध्यक्षता में जीपीएआई शिखर सम्मेलन में एआई के व्यापक असर को अंतरराष्ट्रीय मान्यता की पुष्टि हुई और यह एआई पर वैश्विक चर्चा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है. इसमें 28 देशों ने हिस्सा लिया और तीन प्रमुख बिंदुओं समावेशी, सहयोगात्मक एआई और सुरक्षित तथा विश्वसनीय एआई पर ध्यान केंद्रित किया गया.

यह घोषणा समावेशी टेक्नोलॉजी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और यह भी आश्वस्त करती है कि खासकर ग्लोबल साउथ के देशों को एआई उपलब्ध हो, ताकि वे लोक कल्याण के लिए उसका इस्तेमाल कर सकें. उसमें इस पर भी जोर दिया गया कि स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा वगैरह के मामलों में एआई के इस्तेमाल में विभिन्न देशों के बीच सहयोग हो और सुरक्षित और विश्वसनीय एआइ के नियम-कायदे के लिए वैश्विक ढांचा बने.

टेक्नोलॉजी पर पारंपरिक बहस दो बिल्कुल अलग-अलग दायरों में रही है. एक के मुताबिक, बाजार इनोवेशन को गाइड करेगा, और दूसरे, यूरोपीय मॉडल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा पर केंद्रित है. भारत की अगुआई में एक नया दायरा तेजी से विकसित हो रहा है, जो बाजारों/उपयोग के मामलों और नागरिक-अधिकारों को परस्पर विरोधी द्वंद्व के रूप में नहीं देखता. भारत का दृष्टिकोण हमारे प्रधानमंत्री के सोच से प्रभावित है कि इनोवेशन में निवेश को खुलकर बढ़ावा दिया जाए, जबकि उसे सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के निर्देश और नियम बनाए जाएं.

पिछले दो वर्षों में भारत ने आईटी नियमों और कानूनों के जरिए इनोवेश और डिजिटल अर्थव्यवस्था का ढांचा तैयार किया है. सुरक्षा और विश्वास आश्वस्त करने की जिम्मेदारी प्लेटफॉर्मों पर, एआई सहित, डालने की व्यवस्था को अब वैश्विक स्वीकृति मिल रही है. जैसा कि जीपीएआई में सहमति बनी और सभी देश तेजी से आगे बढ़ने की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं.

भारत के नजरिए में सिद्धांत और एआई से संबंधित नुकसान और अपराधों की व्यापक सूची तैयार करना शामिल है. विकास के विशिष्ट क्रम में एआई पर नियमों की बंदिशें जड़ने के बजाय, भारत इस पक्ष में है कि पूर्वाग्रह और दुरुपयोग को रोकने को लेकर प्लेटफॉर्मों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश बनाए जाएं.

प्रस्तावित व्यवस्था में कानून के उल्लंघन के नतीजों के साथ-साथ वर्जित कार्यों को परिभाषित किया जाए. भारतीय संदर्भ में मौजूदा आईटी नियमों में डीपफेक (एआई संचालित फर्जी सामग्री) जैसे विषयों से निबटने की व्यवस्था की गई है. संशोधित सूचना-प्रौद्योगिकी कानून के नियम प्लेटफॉर्म पर दायित्व डालते हैं.

प्लेटफॉर्म किसी भी रूप में फर्जी खबर अथवा सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए बाध्य हैं, और नियम 3.1बी में 11 मुद्दों की सूची है जिनकी प्लेटफॉर्म को अनुमति नहीं देनी चाहिए, जिसमें बाल यौन शोषण से संबंधित सामग्री और ऐसी सामग्री शामिल है जो लोगों को भड़का सकती है.

इन नियमों का उल्लंघन करने पर प्लेटफॉर्म पर कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, क्योंकि उन्हें मिली छूट खत्म कर दी जाएगी. इस व्यापक नियामक दृष्टिकोण का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के साथ इनोवेशन को संतुलित करना है.

भविष्य का नजरिया

हमारा लक्ष्य है कि इंडियाएआई ग्लोबल एआई के भविष्य को आकार देने में अपनी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाए. पिछले नौ साल में भारत केवल प्रौद्योगिकी के उपभोक्ता से वास्तव में अब एक ऐसे देश में बदल गया है जो दृढ़ संकल्प के साथ अपनी प्रौद्योगिकियों, उपकरणों, उत्पादों और समाधानों का निर्माण कर रहा है तथा इंटरनेट और प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में एक विश्वसनीय भागीदार/सह-डेवलपर की भूमिका में है. हम 'वसुधैव कुटुंबकम' और समावेशन के प्रति हमेशा सच्चे रहते हुए ऐसा करेंगे, जैसा कि हमने अपने डीपीआR समाधानों के साथ दिखाया है जो सभी देशों के लिए सुलभ हैं.

हम निश्चित रूप से दुनिया और विशेष रूप से भारत के लिए रोमांचक समय में रह रहे हैं. नाजुक पांच अर्थव्यवस्थाओं से हम शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में पहुंच गए हैं. शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने के निकट हैं. एक ट्रिलियन (10 खरब) डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनना और शीर्ष नवाचार और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक होना भी पहुंच के भीतर है.

- राजीव चंद्रशेखर (केंद्रीय उद्यमशीलता और कौशल विकास विकास इलेक्ट्रॉविक्स और आईटी राज्यमंत्री)

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