scorecardresearch

पहलवानों का प्रदर्शन: आत्मसम्मान के अखाड़े में सत्ता के बाहुबली से कुश्ती

बृजभूषण सिंह के सहयोगी के अध्यक्ष बनने के बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया

खून, पसीना और आंसू बजरंग पूनिया 28 मई को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया था
अपडेटेड 18 जनवरी , 2024

साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया- मैट पर गुत्थमगुत्था होते वक्त ये भारत के बेहतरीन पहलवान थे. मगर यौन उत्पीड़न के बहुत-से आरोपों से घिरे सत्तारूढ़ दल के बाहुबली को दांव-पेचों में पछाड़ना कहीं ज्यादा चुनौतियों से भरा मुकाबला था. उनसे लड़ना उन्होंने बड़ी कीमत चुकाकर सीखा.

भारत की अकेली महिला ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने 21 दिसंबर को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बहते आंसुओं के साथ कुश्ती से संन्यास लेकर न्याय की आखिरी गुहार लगाई. उनकी बगल में इतने ही परेशान ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया और एशियाई खेलों की स्वर्ण विजेता विनेश फोगाट बैठी थीं. अगले दिन जब पूनिया को प्रधानमंत्री आवास की तरफ बढ़ने से रोक दिया गया, तो उन्होंने अपना पद्मश्री कर्तव्य पथ पर छोड़ दिया. फिर 26 दिसंबर को विनेश ने प्रधानमंत्री को खुली चिट्ठी लिखकर अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया.

यह तिकड़ी भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के तत्कालीन अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश से छह बार के लोकसभा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई का चेहरा बन गई है. WFI की संहिता के मुताबिक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराए जा चुके बृजभूषण ने 21 दिसंबर को अपने चहेते संजय सिंह को उसका अध्यक्ष चुनवा लिया. यह बेशक बृजभूषण की जीत थी, जो उनके बंगले के बाहर जश्न के नजारों से जाहिर था. पोस्टरों पर लिखा था: 'दबदबा है, दबदबा रहेगा'. फूलमालाएं भी बृजभूषण के ही गले में पड़ी थीं. 

मगर यह जीत ज्यादा वक्त टिकी नहीं. प्रत्याशित जनाक्रोश को भांपते हुए खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित समिति को निलंबित कर दिया. पर यह लड़ाई लंबी चलेगी- जो अखाड़े में हैं उनके लिए, मोटे तौर पर भारत की महिला एथलीटों के लिए, उन्हें इंसाफ के लिए और एक गरिमापूर्ण, साफ-सुथरी खेल व्यवस्था के लिए. खेल की दुनिया में मर्दों का दबदबा किस हद तक कायम है, यह इसी तथ्य से साबित हो गया कि WFI की 15 सदस्यीय समिति में एक भी महिला पदाधिकारी नहीं चुनी गई.

साक्षी मलिक को 28 मई को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया था

अब उस खेल का भविष्य भी धुंधला नजर आ रहा है जिसने पिछले चार ओलंपिक में भारत को छह पदक दिलाए हैं. WFI फिलहाल अंतरराष्ट्रीय शासकीय निकाय यूनाइटेड वर्ल्ड रेस्लिंग से निलंबित ही है. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) इसका कामकाज देख रहा है. भारत के बेहतरीन पहलवानों को पेरिस 2024 के ट्रायल्स की तैयारियां करने के बजाय अपनी लड़ाई सड़क पर लड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया है. 23 मई को जंतर-मंतर पर धरना शुरू करने के बाद 28 मई को उन्हें घसीटते हुए हिरासत में ले लिया गया और यंत्रणा से जूझते भारत के सबसे यशस्वी एथलीटों की तस्वीरों ने देश को हैरान-परेशान कर दिया और दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं.

बजरंग ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि महिला पहलवानों को इंसाफ मिलेगा, क्योंकि उनके संकल्प को तोड़ने के लिए परदे के पीछे से राजनीति अब भी जारी है.'' विनेश ने कहा, ''मुझे नहीं पता हमारे देश में न्याय कैसे मिलेगा. यह दुखद है कि कुश्ती का भविष्य अंधकारमय है.'' आज पहलवानों के विरोध ने महिला खिलाड़ियों की भावी पीढ़ियों के लिए नजीर कायम कर दी है. जाहिर है, कुछ मुकाबले पदकों के लिए नहीं, बल्कि मकसद के लिए लड़े जाते हैं.

विनेश फोगाट को 28 मई को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया था

पहलवानों के प्रदर्शन की टाइमलाइन

  • 18-21 जनवरी: WFI के तत्कालीन प्रमुख बृजभूषण के खिलाफ पहलवानों का प्रदर्शन शुरू, आश्वासन के बाद स्थगित
  • 23 जनवरी: पांच सदस्यों की देखरेख समिति बना दी गई
  • 23 अप्रैल: प्रगति से नाखुश पहलवान जंतर-मंतर पर लौटे
  • 28 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बृजभूषण के खिलाफ दो FIR दर्ज
  • 15 जून: यौन उत्पीड़न की चार्जशीट दाखिल की गई
  • 18 जुलाई: बृजभूषण को अंतरिम जमानत मिल गई
  • 23 अगस्त: नए चुनाव करवाने में देरी के लिए विश्व निकाय ने WFI को निलंबित कर दिया
  • 21-26 दिसंबर: बृजभूषण का सहयोगी अध्यक्ष बना, साक्षी के संन्यास का ऐलान, बजरंग ने पद्मश्री लौटाया, खेल मंत्रालय ने WFI की नई टीम को निलंबित किया, विनेश ने खेल रत्न/अर्जुन पुरस्कार लौटाए
Advertisement
Advertisement