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अरविंद केजरीवाल: आवास के रेनोवेशन पर करोड़ों फूंकने का आरोप, मुश्किलों भरा रहा 2023

भ्रष्टाचार के खिलाफ जेहाद से उभरकर आए केजरीवाल अब भ्रष्टाचार के ही आरोपों से घिरे हैं, जिससे उनके लिए राजनैतिक चुनौतियां उभर आई हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
अपडेटेड 17 जनवरी , 2024

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2011 में अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से राष्ट्रीय सुर्खियों में आए. पारदर्शी राजकाज के मॉडल की वकालत करते हुए उन्होंने राजनैतिक नौसिखिए से अभूतपूर्व कामयाबी की बुलंदियां छुईं और राष्ट्रीय राजधानी में लगातार दो कार्यकालों के लिए सत्ता पर कब्जा कर लिया.

मगर एक दशक बाद इस अफसाने में विडंबना भरा मोड़ आया, जब केजरीवाल शराब नीति की विवादास्पद बिसात बिछाने से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस गए. कभी अपनी शर्ट और मफलर से पहचाने गए आम आदमी के मुख्यमंत्री धन-संपत्ति के आरोपों से भी घिरे हैं, जिनके सरकारी आवास के जीर्णोद्धार पर 45 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का दावा किया जाता है.

पिछले साल पंजाब की चुनावी फतह पर सारे हर्षोल्लास के बावजूद वर्ष 2023 केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए एक के बाद एक झटके लाया. मार्च में उनके सबसे करीबी विश्वासपात्र और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया. सत्येंद्र जैन के बाद वे वित्तीय कदाचरण के लिए जेल गए दूसरे मंत्री बने. 

उम्मीद के मुताबिक केजरीवाल ने भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार की तरफ से रचा गया राजनैतिक प्रतिशोध कहकर इन गिरफ्तारियों की निंदा की. उनका अवज्ञाकारी रुख भी कायम रहा और उन्होंने ईडी के दो समन की अनदेखी कर दी. उनके समर्थकों ने यह नैरेटिव गढ़ना शुरू किया कि केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे—मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुआई वाली पंजाब सरकार को कथित तौर पर रिमोट कंट्रोल से चलाने के आरोपों के बीच यह आश्चर्यजनक नहीं था.

केंद्र सरकार के साथ टकराव दिल्ली सिविल सेवकों की नियुक्ति और तबादलों तक आ गया. मई में सुप्रीम कोर्ट ने आप सरकार के पक्ष में फैसला दिया और सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस व जमीन को छोड़कर अफसरशाही पर उसके विधायी अधिकार की तस्दीक कर दी. मगर केंद्र सरकार ने पलक झपकते इसका जवाब इस तरह दिया कि नियुक्तियों और तबादलों का अधिकार खुद को देते हुए कानून पारित कर दिया.

चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार केंद्र बिंदु बन गए, जिन्हें केजरीवाल की सरकार ने केंद्र सरकार की कठपुतली करार दिया. नवंबर में मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर जमीन के एक टुकड़े का 'अंधाधुंध मुआवजा' कथित तौर पर बढ़ाने के लिए नरेश कुमार को हटाने की मांग की. मगर नरेश कुमार के सेवानिवृत्त होने के कुछ ही घंटे पहले केंद्र ने उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार दे दिया—बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मंजूरी दे दी.

उपराज्यपाल के दफ्तर के साथ केजरीवाल का सदाबहार टकराव जारी रहा, जिसमें जुलाई में 400 विशेषज्ञों की सेवा खत्म करना और नवंबर में राज्य सरकार के अस्पतालों में दवा खरीद में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश शामिल थी.

अलबत्ता, अकेली अच्छी बात अप्रैल में आप को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता मिलना थी, जो यह दर्जा हासिल करने वाली छठी पार्टी बनी. तिस पर भी इस साल के विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन ने केजरीवाल को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर अकेले चुनाव में उतरने की अपनी रणनीति का फिर से आकलन करने को उकसाया.

भाजपा विरोधी भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आईएनडीआईए या इंडिया) में आप शामिल हुई. वे दिल्ली सरकार से अफसरशाही पर नियंत्रण का अधिकार छीन लेने वाले कानून के खिलाफ कांग्रेस का संसदीय समर्थन हासिल करने में भी कामयाब रहे. मगर यह सुलह टिकी नहीं, जब राजस्थान, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में सीटों की साझेदारी नहीं हुई.

इस बीच लगता है कि आप के मुखिया राहुल गांधी की वह झिड़की नहीं भूले जिसमें उन्हें गांधी वंशज से मिलने का समय नहीं दिया गया—उन्होंने पहले-पहल मई में समय मांगा था. इस महीने इंडिया की चौथी बैठक में केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी के साथ गठबंधन के पीएम उम्मीदवार के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा.

यह प्रधानमंत्री बनने की अपनी इच्छा से पीछे हटना भर नहीं था. इसका मकसद राहुल को जगह देने से इनकार करना था, जिन्हें इंडिया के कई सहयोगी दल लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे कमजोर कड़ी के रूप में देखते हैं. 

आरोपों की जद में:

● 'आम आदमी' मुख्यमंत्री को धन-दौलत के प्रदर्शन का दोषी ठहराया गया—उनके आधिकारिक निवास की साज-सज्जा पर कथित रूप से 45 करोड़ रुपए खर्च किए गए

● मार्च में केजरीवाल के सबसे करीबी विश्वासपात्र डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को ईडी ने शराब घोटाले में कथित लिप्तता के लिए गिरफ्तार किया. केजरीवाल ने ईडी के दो समन का जवाब नहीं दिया है

● केंद्र ने कानून पारित करके सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को उलट दिया जिसने सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और जमीन छोड़कर अफसरशाही पर विधायी अधिकार आप सरकार को दिया था

● कुर्सी पर चाहे जो हो, एलजी के दफ्तर के साथ केजरीवाल के सदाबहार टकराव का कोई अंत नहीं दिखाई दिया.

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