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जिया मोदी: छोटी सी डेस्क से बेस्ट कॉर्पोरेट लॉयर बनने की कहानी

युवा बैरिस्टर के तौर पर जिया पुरुष समकक्षों की तुलना में 30 फीसद अधिक काम करती थीं—यह जानते हुए कि वे उस दिन मुकदमों पर बहस करने वाली एकमात्र महिला होंगी.

जिया मोदी, सह-संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर, एजेडबी ऐंड पार्टनर्स
जिया मोदी, सह-संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर, एजेडबी ऐंड पार्टनर्स
अपडेटेड 5 जनवरी , 2024

जब जिया छोटी थीं, अपने पिता और भारत के ख्यात पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी को वकालत के किस्से साझा करते देखकर बेहद उत्साहित हो जाती थीं. सोराबजी का पूरा दिन भले ही कोर्ट परिसर में बीतता था, लेकिन वे रात का खाना परिवार के साथ ही खाते थे. इस दौरान जिया को उन केसों से जुड़ी बातें सुनने का मौका मिलता था, जिनमें सोराबजी पैरवी करते थे.

जिया ने एक इंटरव्यू में कहा था, ''यह हमेशा उत्साहवर्धक, तर्कसंगत और ऊर्जा से भरा अनुभव होता था...जीत के लिए हर बार एड़ी-चोटी का जोर लगाना, सभी मुकदमों को साधारण झड़प की तरह नहीं, बल्कि युद्ध सरीखा लड़ना. और चूंकि, मैं भी तर्कशील स्वभाव की थी, इसलिए तुरंत इससे आकर्षित हो जाती थी.'' जिया ने खुद भी वकालत की और अमेरिकी लॉ फर्म बेकर ऐंड मैकेंजी में पांच साल तक नौकरी की. हालांकि, वे (बचपन के दोस्त और अभी डेल्टा कॉर्प के चेयरमैन जयदेव मोदी के साथ) शादी करने के लिए भारत लौटीं और यहां एक अलग दुनिया में कदम रखा. मोदी दंपती की तीन बेटियां हैं—प्रसिद्ध फर्नीचर डिजाइनर अंजलि, अदिति और आरती.

जिया ने पेशेवर जीवन की शुरुआत बेहद साधारण परिवेश में की. मुंबई स्थित कार्यालय में उनके पास छोटी-सी डेस्क थी, जो उनके तथा उनके सीनियर वकील दोनों के काम आती थी. उनका कोई सेक्रेटरी भी न था. जिया पिता के साथ वकालत नहीं कर सकीं क्योंकि वे ज्यादातर दिल्ली में रहते थे. हालांकि, सोराबजी ने जिया को हमेशा यही सिखाया, ''मत भूलो कि आप जिस व्यक्ति के सामने बहस कर रही हैं, वह एक जज है और आप हमेशा अदालत के एक मुलाजिम हैं; मुवक्किल महत्वपूर्ण है, लेकिन जज के सामने आपकी छवि से अधिक महत्वपूर्ण कभी नहीं.'' इसलिए जिया ने अदालत में हमेशा पेशे की मर्यादा बनाए रखने की कोशिश की. जिया के मुताबिक, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का भाव बनाए रखना और दिनभर के कामों के बाद रात को चैन की नींद सोना गलत हथकंडे अपनाकर मुकदमे जीतने से कहीं ज्यादा अहम है.

युवा बैरिस्टर के तौर पर जिया पुरुष समकक्षों की तुलना में 30 फीसद अधिक काम करती थीं—यह जानते हुए कि वे उस दिन मुकदमों पर बहस करने वाली एकमात्र महिला होंगी. अक्सर कहा जाता है कि अधिग्रहण, ज्वाइंट वेंचर, कंपनी पुनर्गठन, विदेशी निवेश और कॉर्पोरेट कानून से संबंधित मुकदमों में जिया का कोई जोड़ नहीं.

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