scorecardresearch

सुप्रिया सुले: मराठा राजनीति की एक सौम्य लेकिन मजबूत किरदार

सुप्रिया ने 2006 में राज्यसभा में पदार्पण के बाद 2009 के लोकसभा चुनावों में बारामती से जीत हासिल की. 2014 में उन्होंने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को करीब 70,000 वोटों से हरा दिया. 2019 में अपनी जीत के वोटों का अंतर दोगुने से भी अधिक कर लिया

सुप्रिया सुले
अपडेटेड 5 जनवरी , 2024

सुप्रिया सुले नम्र, अविचलित और आत्मविश्वास से भरी नजर आती हैं—क्योंकि उनकी शख्सियत और व्यवहार शांत और किसी को नुक्सान पहुंचाने वाला नहीं है. अगर ऐसा न होता तो भी किसी को यह अजीब नहीं लगता. मराठा दिग्गज शरद पवार की बेटी होने की वजह से वे चाहतीं तो आसानी से सियासी वारिसों की तरह अक्सर जाहिर किए जाने वाले अहंकार की भावना अपना सकती थीं.

उनके चचेरे भाई अजित पवार पर अक्सर उस अक्खड़ सांचे में ढले होने का आरोप मढ़ा जाता है और वे ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मूल उत्तराधिकारी नजर आ रहे हैं. उस द्वंद्व—सियासी रूप से भले जटिल, लेकिन पारिवारिक गर्मजोशी खत्म नहीं हुई—के बीच समझौता और बातचीत महाराष्ट्र के लगातार बदलते सियासी परिदृश्य में दिलचस्प नाटक की तरह उभरती है.

और यह साल 2024 के लिए बेहद अहम पहेली है. अजित एनसीपी से अलग हो गए हैं और अब भाजपा की अगुआई वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं. उनके चाचा शरद पवार वैचारिक सीमाओं से परे भी बातचीत में हमेशा अच्छे रहे हैं और इंडिया गठबंधन की रूपरेखा के केंद्र में रहते हुए भी उनके पास भतीजे के प्रस्तावों की कमी नहीं है. 

दूसरी तरफ, सुप्रिया विपक्ष में खड़ी स्वाभाविक नजर आती हैं, जिन्हें अक्सर विपक्षी सांसदों के साथ गले मिलते, विरोध करने की हिम्मत जुटाने वाली महिला पहलवानों के साथ एकजुटता जताते, भारत जोड़ो यात्रा के नांदेड़ से गुजरते समय राहुल गांधी के साथ शामिल होते हुए, तो असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा को धीरे से फटकार लगाते हुए और भाजपा की ओर से स्त्री-द्वेषी मानसिकता को उजागर करते हुए देखा जा सकता है, जब सरमा ने तंज कसा था कि शरद पवार को ''हमास के लिए लड़ने के वास्ते सुप्रिया को गाजा भेजना चाहिए.''

उन्होंने अपनी जड़ों को अच्छी तरह सींचा है. 2006 में राज्यसभा में पदार्पण के बाद पिता ने बेटी को 2009 के लोकसभा चुनावों में बारामती से चुनाव लड़ने दिया: बेशक उन्होंने परदे के पीछे अहम भूमिका निभाई. लेकिन, सुप्रिया दृढ़ता से डटी रहीं और 2014 में उन्होंने मोदी लहर में भी भाजपा समर्थित प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को करीब 70,000 वोटों से हरा दिया. दो बच्चों की मां सुप्रिया ने (उनके पति सदानंद एक कारोबारी हैं) 2019 में भाजपा के खिलाफ अपनी जीत के वोटों का अंतर दोगुने से भी अधिक कर लिया. 

हो सकता है कि शरद पवार उन्हें महाराष्ट्र की पहली महिला मुख्यमंत्री तक बनते देखना चाहते हों. तो क्या पुरानी शैली की मराठा वीरता का वक्त आ चुका है?

                                                                                                                              धवल एस. कुलकर्णी

Advertisement
Advertisement