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रुचिरा कम्बोज: वो आईएफएस अफसर जिन्होंने पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में सार्क देश के नेताओं को भारत बुला लिया

1987 सिविल सर्विसेज बैच की टॉपर रहीं कंबोज की राजनयिक यात्रा 1989 में फ्रांस से शुरू हुई, जहां उन्होंने 1991 तक भारतीय दूतावास में थर्ड सेक्रेटरी के तौर पर काम किया

रुचिरा कंबोज
रुचिरा कंबोज
अपडेटेड 5 जनवरी , 2024

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर कार्यभार संभालने वाली पहली भारतीय महिला रुचिरा कंबोज बचपन में अपने लिए तय किए उच्च मानदंडों को ही अपनी सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं. रुचिरा 1987 सिविल सर्विसेज बैच की टॉपर थीं.

वे बताती हैं कि उन्होंने लगातार अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरने और उनसे भी आगे जाने का प्रयास किया. उनके मुताबिक, "शुरुआती दिनों में एक युवा अफसर से लेकर एक राजदूत के तौर पर मेरी भूमिका तक, पूरा सफर उत्कृष्ट मुकाम बनाने की प्रतिबद्धता से प्रेरित रहा है."

कंबोज की राजनयिक यात्रा 1989 में पेरिस से शुरू हुई, जहां उन्होंने 1991 तक फ्रांस में भारतीय दूतावास में थर्ड सेक्रेटरी के तौर पर काम किया. 1996 से 1999 तक वे मॉरिशस में भारतीय उच्चायोग में फर्स्ट सेक्रेटरी (आर्थिक और वाणिज्यिक) रहीं. 2002 में बतौर काउंसलर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन से जुड़ीं. 2014 में वे जी-4 टीम का हिस्सा बन चुकी थीं, जिसने सुरक्षा परिषद के सुधार और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

वर्ष 2014 उनके लिए काफी उल्लेखनीय रहा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह की जिम्मेदारी संभाली, जिसमें सार्क देशों और मॉरिशस के प्रमुख नेताओं ने शिरकत की. पेरिस में यूनेस्को में भारतीय राजदूत रहते हुए कंबोज ने भारत के लिए महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहलों का समर्थन किया था.

वे कहती हैं, "हर काम की अपनी अलग-अलग सीमाएं होती हैं, और इनकी अपनी तरह की चुनौतियां भी होती हैं. कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. असाइनमेंट के आधार पर बहुत सारी तैयारी करनी होती है—आपको खुद को तैयार करना होता है, मुद्दे को विभिन्न कोणों से देखना होता है. चुनौतियां कभी बाहरी तौर पर दिखाई नहीं देती हैं."

कंबोज के लिए विदेश सेवा का हिस्सा बनना एक सपना साकार होने जैसा है. हालांकि, वे मानती हैं कि यह बेहद समर्पण और त्याग की भावना के साथ किया जाने वाला काम है, और इस भूमिका में रहते हुए अपने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना काफी चुनौतीपूर्ण होता है.

वे कहती हैं, "यह 24/7 प्रतिबद्धता है, लेकिन इससे आपका जीवन जिस तरह बदलता है और जो ग्रोथ मिलती है, उसे किसी पैमाने पर आंका नहीं जा सकता." कंबोज की शादी व्यवसायी दिवाकर कंबोज के साथ हुई है और उनकी एक बेटी है. वह अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच मिले समय और उसमें बिताए खुशी के पलों को बहुत संजोकर रखती हैं.

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