scorecardresearch

विनीता गुप्ता: वो महिला जिसकी कंपनी ल्यूपिन के पास है हर मर्ज की दवा

विनीता गुप्ता 2013 में ल्यूपिन कंपनी की सीईओ बनीं. इसके बाद से कंपनी ने वैश्विक बिक्री में 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है

विनीता गुप्ता, सीईओ, ल्यूपिन
विनीता गुप्ता, सीईओ, ल्यूपिन
अपडेटेड 8 जनवरी , 2024

विनीता गुप्ता 1997 में ल्यूपिन में शामिल हुईं और कंपनी की विकास रणनीति को आकार देने और उस पर अमल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नतीजतन, ल्यूपिन वैश्विक फार्मास्युटिकल पावरहाउस बन गया. वे 2013 में कंपनी की सीईओ बनीं.

कारोबार में अपने पिता (बिट्स पिलानी के पूर्व प्रोफेसर दिवंगत देशबंधु गुप्ता को भारत में टीबी-रोधी दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता ल्यूपिन को बनाने का श्रेय दिया जाता है) की तर्ज पर आगे बढ़ते हुए और भाई, ल्यूपिन के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्ता की मदद से उन्होंने ऑर्गेनिक दवाओं और रणनीतिक अधिग्रहण के तालमेल से कंपनी के वैश्विक विस्तार की अगुआई की. गुप्ता का विवाह अमेरिका स्थित उद्यमी बृज शर्मा से हुआ है, उनका एक बेटा है और वे फ्लोरिडा में रहते हैं.

मुंबई विश्वविद्यालय से फार्मेसी में स्नातक और इलिनॉय में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए गुप्ता को कंपनी की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने और उच्च मूल्य वाले अमेरिकी बाजार में विस्तार करने का श्रेय दिया जाता है. उनकी देखरेख में पिछले दो वर्षों में ल्यूपिन ने सस्टेनेबल विकास को बढ़ावा देने के लिए अपने जेनरिक व्यवसाय को कॉम्प्लेक्स जेनरिक में बदलने की रणनीति पर अमल किया.

ल्यूपिन की वैश्विक बिक्री में 30 फीसद की बढ़ोतरी हुई और मार्जिन में तिमाही दर तिमाही वृद्धि हुई. कार्डियोलॉजी, सांस संबंधी रोगों और मधुमेह-रोधी क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन के कारण घरेलू कारोबार में भी दोहरे अंकों में वृद्धि जारी रही. वित्त वर्ष 2023 के लिए, फर्म की कुल बिक्री 16,270 करोड़ रुपए रही, जिसमें 716.5 करोड़ रुपए का कर पूर्व लाभ था.

जरीन दारूवाला

जरीन दारूवाला, क्लस्टर सीईओ, इंडिया ऐंड साउथ एशिया मार्केट्स, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक
जरीन दारूवाला, क्लस्टर सीईओ, इंडिया ऐंड साउथ एशिया मार्केट्स, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक

जरीन दारूवाला जानती हैं कि विपरीत परिस्थितियों के रुख को कैसे बदला जाता है. शायद इसलिए कि उन्होंने दोनों पैरों से विकलांग पर्वतारोही मार्क इंग्लिस की इस बात को अपना आदर्श वाक्य बना रखा है कि ''आपका रवैया आपकी ऊंचाई तय करता है.'' अप्रैल 2016 में भारत और दक्षिण एशियाई बाजारों के लिए स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की क्लस्टर सीईओ का पदभार संभालने के बाद जरीन के लिए यह सफर भारी उतार-चढ़ावों से भरा रहा है.

भारत के सबसे पुराने विदेशी बैंकों में से एक (165 साल पुराना) स्टैनचार्ट खोटे कर्जों के अंबार और बढ़ते घाटे के साथ चुनौती भरे दौर से गुजर रहा था. अलबत्ता पिछले कुछ सालों के दौरान बैंक का सफर लगभग असाधारण रहा. उसका कर-पूर्व मुनाफा वित्त वर्ष 2015-16 के 1,122 करोड़ रुपए से छह गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 6,368 करोड़ रुपए हो गए. सकल एनपीए भी 14.1 फीसद की ऊंचाई से से घटकर 3.6 फीसद पर आ गया. स्टैंडर्ड चार्टर्ड पिछले साल हांगकांग और सिंगापुर के बाद भारत समूह की परिचालन आय में तीसरा सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश बन गया. 

बैंक को मुनाफे की राह पर लाने वाली बड़ी पहलों में एनपीए को घटाकर परिसंपत्ति आधार को जोखिम मुक्त करना और खुदरा और कॉर्पोरेट ग्राहकों का अच्छा मेल तैयार करना शामिल था. इसके अलावा अभीष्ट से कमतर उत्पादों को फिर से तैयार करने के लिए कई पहलें की गईं ताकि उन्हें बाजार के लिए प्रासंगिक और बैंक के लिए किफायती बनाया जा सके. जहां तक बैलेंस शीट की बात है, खुदरा ग्राहक आधार, चालू खातों की शेष राशियां और उच्च गुणवत्ता परिसंपत्ति वृद्धि बढ़ाने पर ध्यान दिया गया. 

डिजिटलीकरण एक और क्षेत्र था, जिसमें ऑनबोर्डिंग, ऑनलाइन ग्राहक सेवा, वीडियो केवाइसी और भुगतान सहित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया, जो 2019 के बाद फायदेमंद साबित हुआ. दारूवाला कहती हैं, ''हमारे ग्राहकों के बीच डिजिटल बैंकिंग अपनाने का स्तर 75 फीसद है, जो बाजार औसत से 10 फीसद ज्यादा है.''

हाल ही में उन्होंने लेन-देन की प्रोसेसिंग और कार्ड सर्विसिंग को सहारा देने के लिए क्रेडिट कार्ड मैनेजमेंट प्रणाली में भी निवेश किया है. वे गर्व से कहती हैं, ''स्थानीय तौर पर रिपोर्ट किए गए नतीजों के आधार पर 2022-23 के वित्त वर्ष में स्टैनचार्ट इंडिया भारत का दूसरा सबसे ज्यादा मुनाफे वाला विदेशी बैंक है, वित्त वर्ष 2021-22 में यह देश का सबसे ज्यादा मुनाफे वाला विदेशी बैंक था.'' बेशक, इसका श्रेय दारूवाला को जाता है.

न्यारिका होल्कर

न्यारिका होल्कर, कार्यकारी निदेशक, गोदरेज ऐंड बॉयस, जमशेद गोदरेज
न्यारिका होल्कर, कार्यकारी निदेशक, गोदरेज ऐंड बॉयस, जमशेद गोदरेज

अब न्यारिका होल्कर मुंबई स्थित प्रतिष्ठित गोदरेज परिवार की चौथी पीढ़ी की सदस्य हैं. कानूनी फर्म एजेडबी ऐंड पार्टनर्स से उन्होंने अपना करियर शुरू किया. वहां उन्होंने विलय और अधिग्रहण (एम ऐंड ए) में विशेषज्ञता हासिल की और भारत में निवेश करने की इच्छुक विदेशी कंपनियों को सलाह दी. उसके बाद वे 125 साल की समृद्ध विरासत वाली बहु-वाणिज्यिक सेवा प्रदाता गोदरेज ऐंड बॉयस (जी ऐंड बी) में शामिल हो गईं.

जी ऐंड बी के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक जमशेद गोदरेज की भतीजी, होल्कर को 2017 में निदेशक मंडल में नियुक्त किया गया. आज वे ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने, इनोवेशन सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और नए डिजिटल प्रयोग और डेटा-आधारित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए रणनीति पर काम कर रही हैं. वे कंपनी की वैश्विक कानूनी रणनीति पर भी काम करती हैं, जिसमें व्यावसायिक करारों की निगरानी, एम ऐंड ए की रूपरेखा के साथ-साथ अपने 14 कारोबारी संगठन की बौद्धिक संपदा की सुरक्षा शामिल है.

कोविड-19 महामारी के बाद उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं में बड़े, प्रीमियम उत्पादों की ओर बदलाव ने उन्होंने रेफ्रिजरेटर, स्मार्ट उपकरणों और तालों सहित बेहतर उत्पादों को डिजाइन करने के लिए टीमों पर दबाव बढ़ाया. उन्होंने कथित तौर पर संगठन की वास्तुकला और डिजिटल संपत्तियों के आधुनिकीकरण का भी नेतृत्व किया. ऐसी पहल से जी ऐंड बी की कमाई वित्त वर्ष ’22 में 12,500 करोड़ रुपए से 18 फीसद बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 14,796 करोड़ रुपए हो गई. 

दो बच्चों की मां होल्कर को मातृत्व से बड़ी सीख मिली. वे कहती हैं, ''मुझे लगता है कि मैंने दूसरों की सुनने के महत्व और साफ तथा प्रभावी संवाद के मामले में अपनी बेटी से बहुत कुछ सीखा है.'' उनके तहत जी ऐंड बी ने हाल के दिनों में कई प्रौद्योगिकी साझेदारियां की हैं, जैसे निर्माण में 3डी प्रिंटिंग के लिए आईआईटी मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप टीवास्टा के साथ. होल्कर लोगों, खासकर अपने कार्यालय की महिलाओं को सशक्त बनाने में यकीन रखती हैं.

उनके लिए ताकत का अर्थ है लोगों को साथ लेकर चलना और प्रभावी बनना. वे कहती हैं, ''महिलाओं की अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं और दिन के अंत में घर पर जिम्मेदारी उन्हीं की होती है. मेरी प्राथमिकता ऐसी व्यवस्था लागू करना है, ताकि महिलाएं निचली भूमिकाएं न छोड़ें और अंतत: नेतृत्व की भूमिकाएं निभाएं.''

—प्रेरणा लिधू

Advertisement
Advertisement