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ए. मणिमेखलाई, रवनीत कौर: अपनी अगुवाई में अर्थव्यवस्था को राह दिखातीं दो हस्तियां

मणिमेखलाई इससे पहले केनरा बैंक में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थीं, उन्होंने सिंडिकेट बैंक के साथ केनरा बैंक के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं, रवनीत सीसीआई की अध्यक्ष बनने वालीं पहली महिला हैं

ए. मणिमेखलाई, एमडी और सीईओ, यूनियन बैेंक ऑफ इंडिया
अपडेटेड 12 जनवरी , 2024

जब ए. मणिमेखलाई ने तीन दशक से भी अधिक समय पहले चेन्नई के विजया बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश किया, तो उनके लिए चीजें आसान नहीं थीं. वे याद करती हैं कि वे एक बार ग्रामीण शाखा में तैनात थीं, जहां काम करने के लिए उन्हें रोजाना 120 किलोमीटर स्कूटर चलाना पड़ता था. वे शहर से बहुत दूर स्थित उस शाखा में अकेली महिला थीं.

लेकिन उत्कृष्टता हासिल करने की चाहत ने उनकी परेशानियों को भुला दिया. वे कहती हैं, "मुझे जो भी भूमिका मिली, मैं उसमें सर्वश्रेष्ठ बनना चाहती थी. मैं चीजों को सही करना चाहती थी. मैं सीखना चाहती थी." यह उनके करियर के दौरान उनका मार्गदर्शक सिद्धांत था.

उन्होंने कई जिम्मेदारियों को संभाला जिसमें रणनीतिक योजना, संगठनात्मक लक्ष्य निर्धारित करना, अनुपालन और आंतरिक नियंत्रण और अन्य चीजें शामिल थीं. वे कहती हैं कि पिछले कुछ वर्षों में विजया बैंक में अलग-अलग भूमिकाएं निभाना कोई बड़ी चुनौती नहीं थी, क्योंकि "आप आकांक्षा तभी पालते हैं जब आपको मालूम हो कि आप इसके लिए तैयार हैं. आपको अपने आप से दस कदम आगे रहना होगा."

मणिमेखलाई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से पहले केनरा बैंक में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थीं, और उन्होंने सिंडिकेट बैंक के साथ केनरा बैंक के सफल एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे कहती हैं कि महिला के रूप में उन्हें पूरे करियर में किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. वे बताती हैं, "मुझे लगता है कि योग्यता और नेतृत्व का कोई जेंडर नहीं होता.

बाधा आपके भीतर है. आप इसे अपने भीतर तोड़कर ही बाहर निकलते हैं. अगर आप (नेतृत्व की भूमिका के लिए) अच्छे हैं, तो आप इसे अपना लेते हैं. मुझे खुशी है कि मैं दूसरों को यह भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर सकती हूं." जून 2022 में यूनियन बैंक में शीर्ष पद संभालने के बाद से, उन्होंने प्रमुख कार्यों में बैंक को लाभदायक बनाने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए हैं.

उनका मानना है कि "बैंकिंग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाकर इसे बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि (अकेले) पारंपरिक बैंकिंग (अकेले) से हमें इतना फायदा नहीं हो रहा है." वित्त वर्ष 2023 में उनके बैंक का शुद्ध लाभ 61 फीसद बढ़कर 8,433 करोड़ रुपए हो गया, जबकि कुल नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट वित्त वर्ष 2022 में 11 फीसद से गिरकर 7.5 फीसद हो गई. इस बैंक ने अगस्त में क्यूआईपी के जरिये 5,000 करोड़ रुपए जुटाए जो इस क्षेत्र में सबसे बड़े में से एक है. यह सब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को एक भरोसेमंद बैंक बनाने में योगदान देता है. 

रवनीत कौर, 60 वर्ष
चेयरपर्सन, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई)

रवनीत कौर, चेयरपर्सन, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई)

जब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की पहली महिला अध्यक्ष बनीं रवनीत कौर ने मई 2023 में इसकी कमान संभाली, तो आयोग एक नाजुक मोड़ से गुजर रहा था. कथित प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण में शामिल होने की वजह से गूगल, एप्पल और मेटा सरीखी प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों की जांच करना कोई छोटा मसला नहीं था.

साथ ही अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स दिग्गजों की ओर से दूसरों को रास्ते से हटाने के लिए ऑफर की जा रही सस्ती कीमतों से देश के छोटे कारोबारों को बचाना भी अपने आप में बहुत बड़ा काम था. दरअसल, रवनीत कौर के सीसीआई में आने से पहले कई महीनों तक आयोग का कामकाज बिना किसी अध्यक्ष और महज दो सदस्यों के साथ चल रहा था और आयोग के पास लंबित पड़े मामलों का भी अंबार लगा हुआ था.

ऐसे में लंबित मामलों को निबटाना पहली प्राथमिकता थी. वे कहती हैं, "मेरी नियुक्ति से पहले, मुख्य रूप से कोरम की कमी की वजह से पुराने मामलों का ढेर लग गया था. प्रक्रियाओं को सरल और सुव्यवस्थित करके तथा पारदर्शी और समय पर फैसला लेना सुनिश्चित करके हमने उन पुराने मामलों का प्रभावी ढंग से निबटारा किया."

देश में कॉर्पोरेशनों की ओर से उनके प्रभुत्व के दुरुपयोग और प्रतिस्पर्धा विरोधी बर्ताव को रोकने के लिए केंद्र ने प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन किया, और आयोग को और अधिक प्रवर्तन शक्तियां प्रदान कीं. इससे भी आयोग को मदद मिली. 

पंजाब काडर की आईएएस अधिकारी कौर का 34 साल का लंबा करियर पंजाब में एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में शुरू हुआ था. फिर उन्होंने औद्योगिक नीति और प्रमोशन विभाग की संयुक्त सचिव तथा भारत पर्यटन विकास निगम की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक समेत सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम से पब्लिक इकोनॉमिक मैनेजमेंट में एमएससी और इकोनॉमिक्स में एमए किया है.

उनका कहना है कि वह प्रोजेक्ट उनके दिल के करीब था, जब उन्होंने मेक इन इंडिया के तहत भारत के मैन्यूफैक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों के लिए कार्ययोजना तैयार की थी.

कौर का मानना है कि फैसले लेने में निष्पक्ष रहना एक नौकरशाह के तौर पर उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. उनकी मां उनकी मुख्य प्रेरणास्रोत हैं. कौर बताती हैं, "वे मुझसे हमेशा कहती थीं कि तुम्हें शीर्ष पर रहना है. तभी जीवन में आगे बढ़ सकती हो."

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के अलावा किसी 'आर्थिक नियामक’ में शीर्ष पद पर अपनी भूमिका निभाने वालीं देश की महज दूसरी महिला के रूप में कौर वाकई न केवल जिंदगी में आगे बढ़ी हैं, बल्कि भारत के लिए भी एक अहम मील का पत्थर साबित हुई हैं.

—सोनल खेत्रपाल

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