scorecardresearch

विशेषांकः इरादों से अमीर

वे भाजपा के उन 77 उम्मीदवारों में से एक थीं जो बंगाल में टीएमसी की जबर्दस्त जीत के बावजूद अपनी सीट निकालने में कामयाब रहे. 

चंदना बाउरी
चंदना बाउरी
अपडेटेड 2 जनवरी , 2022

चंदना बाउरी, 30 वर्ष
भाजपा विधायक, पश्चिम बंगाल

बांकुड़ा जिले के अपने गांव केलई में महिला मोर्चा की महासचिव के रूप में, उन्होंने भाजपा का ध्यान उस वक्त खींचा, जब वे सदस्यता अभियान में ग्रामीणों को शामिल करने के लिए घर-घर गईं. उन्होंने पार्टियों के बीच आपसी हिंसा के बावजूद पड़ोसी गांवों के दो उम्मीदवारों को 2018 में पंचायत चुनाव जीतने में मदद की.

इसलिए जब भाजपा पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की तलाश कर रही थी, वे पार्टी की स्वाभाविक पसंद बनीं, खासकर तब जब ममता बनर्जी ने 50 महिलाओं को मैदान में उतार दिया था.

एक दिहाड़ी मजदूर की पत्नी और तीन बच्चों की मां चंदना उम्मीद पर खरी उतरीं और उन्होंने साल्टोरा विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के संतोष मंडल को हराकर पहला चुनाव जीता. वे भाजपा के उन 77 उम्मीदवारों में से एक थीं जो बंगाल में टीएमसी की जबर्दस्त जीत के बावजूद अपनी सीट निकालने में कामयाब रहे. 

भाजपा विधायक होने के बावजूद चंदना की सादी जीवन शैली में शायद ही कोई बदलाव आया हो. वे अब भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिना प्लास्टर वाली दीवारों और बिना खिड़की के शीशे के एक साधारण घर में रहती हैं.

वे विधायक के तौर पर अपना वेतन खुद पर खर्च नहीं करतीं. वे उन परिवारों की मदद करना चाहती हैं जो बहुत गरीब हैं और अपनी बेटियों की शादी नहीं कर सकते हैं या चिकित्सा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं. गरीब होने का क्या मतलब होता है, उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता.

बिना शौचालय का आवास
उनके घर में शौचालय नहीं हैं. घर के पीछे जो शौचालय है उसे उन्हें अपनी सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ जवान के साथ साझा करना पड़ता है.

''गरीबों के उत्थान के लिए काम करने का उनका उत्साह मुझे हैरान कर देता है जबकि वे खुद की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पातीं.’’
-मिहिर गोस्वामी, भाजपा विधायक, कूच बिहार (दक्षिण)

Advertisement
Advertisement