नई नस्ल 100 नुमाइंदे/ राजनीति
कन्हैया कुमार, 34 वर्ष
बिहार के कांग्रेस नेता
कन्हैया कुमार को अपनी पहली चुनावी जंग में भाजपा नेता गिरिराज सिंह के खिलाफ बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इससे उनकी भाषण कला और हाजिरजवाबी की धार कुंद नहीं हुई है.
फरवरी 2016 में अफजल गुरु की तीसरी बरसी पर राष्ट्र-विरोध नारे लगाने के आरोप में भाजपा सरकार ने उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज करवा दिया था. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होना एक तार्कित प्रगति थी.
लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय में हार गए. फिर कांग्रेस की ओर से हाथ बढ़ाने के बाद उन्होंने पाला बदल लिया और 28 सितंबर को कांग्रेस में शामिल हो गए.
हालांकि जो उन्हें एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में खारिज करने के लिए दौड़ पड़े, वे भाजपा नहीं बल्कि आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के थे. आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कन्हैया कौन हैं.
आरजेडी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और अपने राजकुमार—लालू के छोटे बेटे और बिहार में विपक्ष के नेता—तेजस्वी यादव के सामने किसी भी तरह की चुनौती को बर्दाश्त नहीं करेगी.
उधर, कांग्रेस नेताओं को सारी उम्मीदें पार्टी में नए शामिल हुए कन्हैया से है. कांग्रेस ने 1990 तक बिहार में शासन किया था और उन्हें उम्मीद है कि कन्हैया बिहार में कांग्रेस की किस्मत बदलेंगे.
— अमिताभ श्रीवास्तव
कुशल वक्ता: कन्हैया ने बेगूसराय के सनराइज पब्लिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान मदर टेरेसा पर अपनी पहली डिबेट जीती थी. उसका ईनाम था एक अंग्रेजी शब्दकोश.

