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विशेषांकः ए टू जेड 

वे मुख्यमंत्री के कट्टर आलोचक हैं, लेकिन 10-दलीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्सा थे जो इस अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी से जातिगत जनगणना की मांग को लेकर मिला था.

तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव
अपडेटेड 2 जनवरी , 2022

नई नस्ल 100 नुमाइंदे/राजनीति

राजनेता
तेजस्वी यादव, 32 वर्ष

विपक्ष के नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री, बिहार

उके माता-पिता—राबड़ी देवी और लालू प्रसाद—ने मुख्यमंत्री के रूप में लगभग 15 वर्षों तक लगभग निर्बाध रूप से शासन किया था. इस लिहाज से उनकी सफल राजनीतिक शुरुआत बिल्कुल सही हुई.

तेजस्वी ने साल 2015 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और उप मुख्यमंत्री के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. लेकिन उनके शुरुआती अच्छे दिनों पर जुलाई 2017 में विराम लग गया, जब नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से गठबंधन तोड़ दिया और तेजस्वी को विपक्ष की कुर्सी पर बैठना पड़ा. फिर उनके पिता को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और बिहार की सबसे बड़ी पार्टी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सियासत में नए तेजस्वी के कंधों पर आ गई.

साल 2019 का लोकसभा चुनाव तेजस्वी के लिए बुरे ख्वाब जैसा था जब राजद को एक भी सीट नहीं मिली. लेकिन, एक साल बाद इस युवा नेता ने जोरदार वापसी की और राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनी. हालांकि पार्टी सरकार नहीं बना पाई पर उनकी सफलता महत्वपूर्ण थी और इसका श्रेय केवल उन्हें मिला क्योंकि उन्होंने पिता की अनुपस्थिति में पार्टी की अगुआई की.

आइपीएल क्रिकेटर पीछे छूट गया और लालू के छोटे बेटे होने के तमगे पर निर्भरता भी. तेजस्वी ने साफ कर दिया कि वे आत्मनिर्भर नेता हैं. वे राजद को ए टू जेड हर किसी की पार्टी के रूप में पेश कर रहे हैं. एक ऐसी पार्टी के रूप में जो केवल एम-वाई (मुस्लिम-यादव) के बजाए हर किसी का प्रतिनिधित्व करती हो.

वे मुख्यमंत्री के कट्टर आलोचक हैं, लेकिन 10-दलीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्सा थे जो इस अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी से जातिगत जनगणना की मांग को लेकर मिला था. यहां तक कि परिवार के सदस्यों को भी उनके एजेंडे के आड़े नहीं आने दिया जाता, खासकर उनके भाई तेज प्रताप को.

चाहे उनके माता-पिता हों या भाई-बहन, उन्होंने राजद के पोस्टरों से उन्हें हटा दिया, ताकि वे पार्टी से कतराने वालों तक पहुंच बना सकें. वे निश्चित रूप से ऐसे राजनेता हैं, जिन पर सबकी निगाहें टिकी होंगी.

उड़ान का डर उन्हें विमान में उड़ान भरने से डर लगता था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान उन्होंने इतना सफर किया कि उनका डर खत्म हो गया

''बिहार के लोगों ने तेजस्वी के नेतृत्व में भरोसा जताया है. वे उन्हें कुछ नया देते हैं और अपने प्रगतिशील नजरिये से हर किसी को जोड़ते हैं. ’’
प्रो. मनोज झा, आरजेडी सांसद, राज्यसभा.

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