75वां स्वतंत्रता दिवस विशेषांक-पथप्रवर्तक / विज्ञान
डॉ. राजा रमन्ना (1925-2004)
डॉ. अनिल काकोदकर
अगर मुझसे कहा जाए कि ऐसे एक व्यक्ति का नाम लें, जिनसे मैं सबसे ज्यादा प्रभावित रहा हूं, तो वे है डॉ. राजा रमन्ना. मैं मूल रूप से एक मैकेनिकल इंजीनियर हूं, जबकि डॉ. रमन्ना भौतिक विज्ञानी. इसलिए मेरे और उनके बीत बहुत कुछ समान नहीं था. फिर भी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) में मेरे शुरुआती दिनों से ही डॉ. रमन्ना हमेशा मेरी परवाह करते थे.
उस समय के मेरे कई साथियों को भी डॉ. रमन्ना को लेकर वैसा ही महसूस होता जैसा मुझे अनुभव होता था. चाहे परमाणु ऊर्जा विभाग में अनुसंधान और मानव संसाधन विकास को शुरुआती आकार देना हो या भारत के परमाणु विज्ञान कार्यक्रम की तैयारी हो या फिर 1974 में 'स्माइलिंग बुद्धा’ (भारत का पहला परमाणु परीक्षण) को साकार करना हो, वे एक सच्चे पथपवर्तक थे. यहां तक कि परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए 10,000 मेगावाट बिजली तक का लक्ष्य भी उन्होंने ही बनाया था.
एक दिन उन्होंने मुझे अपने साथ काहिरा, वियना और वारसॉ के दौरे पर चलने को कहा. उनके साथ काहिरा और वारसॉ जाने के लिए अलग-अलग दल बनाए गए थे. इसके बीच उन्हें वियना में एक वरिष्ठ-स्तरीय बैठक में हिस्सा लेना था. मुझे पता न था कि मेरी क्या भूमिका होगी. मैंने उनसे पूछ लिया, ''आप मुझसे क्या चाहते हैं?’’
उनका जवाब था, ‘‘कुछ नहीं, बस चलो.’’ यात्रा के दौरान, मैंने परमाणु ऊर्जा के कई आयामों को समझा जिसे मैं कभी न समझ पाता, अगर साथ न गया होता. ऐसे थे डॉ. रमन्ना: सच्चे गुरु. वे किसी भी चीज के पीछे की तार्किक और साथ-साथ अतार्किक चीजों को भी सहजता से बता सकते थे. वे स्वयं 'स्माइलिंग बुद्धा’ थे.
डॉ. अनिल काकोदकर परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं, और वर्तमान में राजीव गांधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग के अध्यक्ष हैं