75वां स्वतंत्रता दिवस विशेषांक-पथप्रवर्तक / ऐश्वर्य
इम्तियाज कुरैशी, 90 वर्ष
रणवीर बरार
शेफ बनने का सपने देखने वाले लखनऊ के एक लड़के के रूप में मैं इम्तियाज कुरैशी की कहानियां सुनता हुआ बड़ा हुआ हूं. कोई मुझे बताता कि उन्होंने शेफ कुरैशी के साथ बिरयानी बनाई थी; तो कोई यह यह कहता कि उन्होंने शेफ कुरैशी से हाथ मिलाया था. मेरे दिमाग में, वे स्पष्ट रूप से एक किंवदंती थे.
1998-99 के आसपास मैं दिल्ली के ताज पैलेस में एक प्रशिक्षु शेफ के रूप में काम कर रहा था. मुझे याद है कि एक बार मैं अपने कमाए 612 रुपए लेकर, पड़ोस के आइटीसी मौर्य गया था और दम पुख्त में केवल गलौटी कबाब लिया था.
यह बात कि मैं एक आइटीसी होटल में इम्तियाज कुरैशी का खाना खा रहा था, यह खर्च मुझे जरूरी लगा था. खाना पकाना, उनके लिए एक काम भर नहीं था बल्कि उससे कहीं अधिक था.
उन्होंने न केवल दम पुख्त तकनीक को लखनऊ से बाहर पहुंचाया था, बल्कि उन्होंने इसमें अपनी तरफ से उम्दा बदलाव भी किए थे. मुझे लगता है कि यह एक निर्णायक क्षण था.
उनके व्यक्तित्व में भी वह निखार दिखता है. आखिरकार, वे एक उम्दा कारीगर हैं. इसके साथ ही, वे अभी भी पूरे पहलवान हैं. वे आपको उन लोगों की कहानियां सुनाएंगे, जिन्हें उन्होंने किसी दंगल में हराया था.
साथ ही आपको उन लोगों के बारे में भी बताएंगे, जिन्हें उन्होंने अपने हाथों से पकाकर खिलाया था. लब्बोलुबाब यह है कि वे अपने व्यंजनों की तरह ही लाजवाब हैं.
रणवीर बरार एक शेफ, टेलीविजन पर्सनैलिटी, लेखक और रेस्त्रां संचालक हैं

