डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस, क्राइस्ट (डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी), बेंगलूरू
गुरु वाणी
‘‘एक ही समय पर और अलग-अलग समय पर शिक्षा की पद्धतियों ने सेमेस्टर चलाने में हमारी मदद की’’
—अशोक इमैन्यूएल वी. एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस, क्राइस्ट (डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी), बेंगलूरू
गुरु वाणी
जब 2020-21 के अकादमिक वर्ष के लिए कॉलेजों को बंद करने की नौबत आई तो हमारे आइटी विभाग ने सबसे पहले फैकल्टी सदस्यों को वेबेक्स, गूगल मीट और माइक्रोसॉक्रट टीम्स सरीखे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना सिखाया. हमने शिक्षकों को कोई भी प्लेटफॉर्म चुनने की स्वतंत्रता दी, जिसमें वे सहज हों. कक्षाओं के लिए वेबेक्स को प्रमुखता दी गई, वहीं इंटरव्यू के लिए हम गूगल मीट पर ज्यादा निर्भर रहे. छात्रों के लिए एक ही समय और अलग-अलग समय पर पढ़ाई के तरीके अपनाए.
चूंकि छात्रों को बहुत लंबे वक्त तक व्यवस्था से जोड़े नहीं रखा जा सकता, इसलिए हम एसिंक्रोनस या अलग-अलग समय पर पढ़ाई का तरीका लाए. इसमें बहुत सारी अध्ययन सामग्री उन्हें सौंप दी जाती ताकि वे अपनी सुविधा से पढ़ सकें. इसके बाद चर्चा के लिए समरी अवर (सारांश के घंटे) होता. हमारे यहां 75 फीसद थ्योरी कक्षाएं थीं और करीब 25 फीसद अलग-अलग वक्त पर पढ़ाई हुई.
हालांकि हमारे यहां असंतोष को सिरे से खत्म करने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और मानव देखरेख थी, लेकिन फिर भी हम वाइवा का घटक लेकर आए, जो हमारे यहां सेमेस्टर पैटर्न में आम तौर पर नहीं होता. इसके लिए हमने लिखित हिस्से का समय कम किया. हम आगे विकसित होने के तरीकों पर लगातार विचार-विमर्श करते रहे हैं.
अभी हमने संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) खत्म किया है, जिसमें फोकस पूरी तरह मानसिक एकाग्रता पर था. पिछले अकादमिक वर्ष के लिए हमने जो किया, वह अब भी मान्य और लागू है. हम यह देखने का जतन कर रहे हैं कि क्या तमाम प्रश्नपत्रों में हर माह कुछ और सतत आंतरिक आकलन (सीआइए) करके मूल्यांकन प्रक्रिया को मजबूत बनाने में मदद मिलती है.
चूंकि सेमेस्टर के अंत में परीक्षा नहीं होती, इसलिए इन सारे सीआइए के कुल अंक उनका ग्रेड होंगे. खासकर इस वर्ष हम विशेष रूप से छात्रों के साथ शिक्षकों की भी मानसिक सेहत बनाए रखने के लिए कई प्रोग्राम लाए हैं.’’
(अरविंद गौड़ा से बातचीत पर आधारित).