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नई संस्कृति, नए नायकः जुबान से दिल तक

. वे खड़े मसाले या ब्रान्डेड मसालों का इस्तेमाल करती हैं. किचेन टिप्स के बारे में उन्होंने कहा, ''खाना बनाते वक्त गैस की फ्लेम का नियंत्रण बहुत जरूरी है. धीमी आंच पर खाना अच्छा बनता है और गैस की बर्बादी भी नहीं होती है.''

फोटो साभारः इंडिया टुडे
फोटो साभारः इंडिया टुडे
अपडेटेड 3 दिसंबर , 2019

पकवान बनाने जैसा मामूली लगने वाला काम अगर शौक बन जाए और लगन से किया जाए तो कामयाबी वैसी मिलती है जैसी फूड ब्लॉगर निशा मधुलिका को हासिल हुई. निशा देश के शीर्ष यूट्यूब ब्लॉगर में हैं.

आगरा में पैदा हुई निशा मधुलिका को घर में बैठना कभी रास नहीं आया. 1979 में शादी के बाद लंबा अरसा भोपाल में बिताया क्योंकि पति की पोस्टिंग वहीं थी, जो कि बैंक में नौकरी करते थे. इसके बाद 1995 में परिवार दिल्ली आ गया. बच्चे बड़े हो गए थे. घर के काम निबटाने के बाद पति के दफ्तर जाया करती थीं. साल 2000 में नोएडा शिक्रट हो गईं जहां वे थोड़ी बंध सी गईं लेकिन इसी दौर में इंटरनेट का प्रचार-प्रसार बढ़ा. विज्ञान स्नातक निशा को खाना बनाने का शौक बचपन से ही था.

2007 में उन्होंने इंटरनेट की दुनिया में पहला कदम रखा जब ब्लॉगवाणी में 'खाना-बनाना' शुरू किया. इसमें वे लगातार व्यंजन की विधि और तस्वीरें पोस्ट करती रहीं लेकिन उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते थे. 2008 में उन्होंने अपने नाम से nishamadhulika.com वेबसाइट बनवाई. वेबसाइट में भी वही कंटेट था जो ब्लॉग में था. 2011 आते-आते यूट्यूब काफी लोकप्रिय हो रहा था और यही साल था जब उनकी वीडियो ब्लॉगिंग का सफर शुरू हुआ. उन्होंने यूट्यूब चैनल खोला और उस पर व्यंजनों के वीडियो पोस्ट करने लगीं. तब तक यूट्यूब ने मॉनीटाइजेशन यानी वीडियो देखे जाने पर पोस्ट करने वाले को पैसे का भुगतान शुरू नहीं किया था. कुछ महीनों बाद यूट्यूब ने उनसे संपर्क किया और उनके वीडियो पर भुगतान की बात कही. यूट्यब पर उनकी सबसे ज्यादा देखी गई रेसिपी आगरे का पेठा है जिसे 3.1 करोड़ लोगों ने देखा है.

निशा के यूट्यूब चैनल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उसमें सिर्फ शाकाहारी और बिना लहसुन-प्याज वाले व्यंजनों के वीडियो होते हैं. उनके घर में प्याज-लहसुन नहीं खाया जाता. उनकी बड़ी खासियत ये है कि वे नियमित तौर पर व्यंजन बनाने की विधि यूट्यूब पर पोस्ट करती हैं. एक-एक रेसिपी पर सोचने से लेकर बनाने तक काफी वक्त देती हैं. वे कहती बताती हैं, ''एक रेसिपी पर कम से कम 10 घंटे तो लग ही जाते हैं.'' रेसिपी पहले घर के किचन में बनाकर परिजनों को टेस्ट कराती हैं. घर के लोगों और खुद टेस्ट करने के बाद उसमें जो कमियां होती हैं, उन्हें दूर किया जाता है. रेसिपी का वीडियो जब बनता है तो वह एकदम परफैक्ट होती है. यह व्यंजन की किस्म पर तय होता है कि वह डिनर टेबल पर जाएगा या नहीं.

निशा की सबसे बड़ी खासियत है निरंतर काम करते रहना. 15-20 रेसिपी उनके वीडियो बैंक में हमेशा रहती हैं. उन्होंने घर की पहली मंजिल पर बाकायदा किचन स्टूडियो बनाया हुआ है. इस से उनके घर का किचन बिल्कुल अलग है जो कि ग्राउंड फ्लोर पर है. वीडियो एडिटिंग के लिए उन्होंने स्टाफ रखा हुआ है. उनके स्टूडियो किचन में बिल्कुल साधारण मसाले और खाना बनाने की सामग्री रखी हुई है. वे खड़े मसाले या ब्रान्डेड मसालों का इस्तेमाल करती हैं.

किचेन टिप्स के बारे में उन्होंने कहा, ''खाना बनाते वक्त गैस की फ्लेम का नियंत्रण बहुत जरूरी है. धीमी आंच पर खाना अच्छा बनता है और गैस की बर्बादी भी नहीं होती है.'' यह बात वे खास तौर पर प्रेशर कुकर में खाना बनाने के संदर्भ में कहती हैं. ब्लॉग पर प्रतिक्रियाओं से उन्हें सबसे ज्यादा ऊर्जा मिलती है. वे कहती हैं कि बच्चों के कमेंट देखकर बहुत अच्छा लगता है. खासकर तब जब अकेले और घर से दूर रहने वाले बच्चे कहते हैं कि हमने आपके वीडियो देखकर बिल्कुल घर जैसा खाना बनाना सीख लिया.

निशा बताती हैं कि जब भी वे परिवार के कार्यक्रमों में जाती हैं तो सब लोग उनसे डिश बनाने की फरमाइश करती हैं. उन्हें अपनी प्रसिद्धि का अंदाजा नहीं है. आगरा में उनके पिता से जब लोग उनकी बेटी के प्रसिद्ध होने की बात कहते हैं तो उन्हें यकीन नहीं होता. यूट्यूब से आय के सवाल पर वे कहती हैं, ''सारे खर्च निकल जाते हैं और घर भी चल जाता है. रकम का जिक्र वे इसलिए नहीं करतीं क्योंकि इसकी जानकारी न देना उनके करार का हिस्सा है.'' पसंदीदा रेसिपी के सवाल पर निशा कहती हैं, ''उन्हें गुजराती रेसिपी उधियो बहुत पसंद है. कई सब्जियों को मिलाकर बनने वाली यह सब्जी स्वाद में एकदम अलग होती है.''

इसे बनाने में काफी वक्त लगता है.

संघर्ष

संघर्ष नहीं किया

टर्निंग पॉइंट

यूट्यूब पर वीडियो चैनल बनाना

सफलता के सूत्र

मेहनत करो तो भाग्य साथ देगा

लोकप्रियता के कारक

आसानी से बनने वाले व्यंजन

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