विजय महर्षि
टीवी सीरियल की सास से दमदार सासू अब यू-ट्यूब पर आ चुकी है जिसे न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश मे बड़े चाव से देखा जा रहा है. जंवाई के काफी दिनों तक ससुराल में ही डेरा डाले रहने पर इस सासू ने तकरीब निकाली. उसने जंवाई को रुखसत करने के लिए तिलक लगाने के बहाने बुलाया. जंवाई राजा ने पूछा, ''मूंडो कठी न करूं मां?'' तो सासू बोली, ''बेटा थारा घरा कन कर.'' यू-ट्यूब पर अणखावणु जंवाई नाम के इस वीडियो को कुछ ही दिनों में लाखों लोग देख चुके हैं.
सलमान खान की फिल्म में भीड़ का हिस्सा बनने के बदले 500-700 रु. की दिहाड़ी करने वाले मुरारीलाल पारीक आज अपने यू-ट्यूब चैनल मुरारी की कॉकटेल, मुरारी की मस्ती, मुरारी की कॉमेडी टीवी से हर महीने ढाई से तीन लाख रु. कमा रहे हैं. वहीं तीन महीने पहले फेसबुक पर डाले अपने दो वीडियो बेटी बचाओ और किसान बचाओ से एक महीने में ही दो लाख रु. जेब में डाल चुके हैं. मुरारी के शब्दों में, ''ग्रामीण क्षेत्र की बातों, घटनाओं और समस्याओं को मैं स्थानीय मुहावरों के साथ परोसता हूं जिससे लोगों को लगता है कि इस वीडियो में वे खुद किरदार हैं.''
मुरारी के वीडियो में उनके बड़े भाई महेश कुमार का किरदार तो रहता ही है, बाकी गांव के लड़के होते हैं जो मोटरसाइकिल पर बैठकर शूटिंग पर निकल जाते हैं. शाम को घर में रखे कंप्यूटर पर एडिटिंग करते हैं और फिर अपलोड.
ठेठ राजस्थानी बोली में वीडियो बनाकर यू-ट्यूब में परोस कर राजस्थान के बड़े कॉमेडियन बन चुके मुरारी की संघर्ष की दास्तां भी कम दिलचस्प नहीं है. चूरू जिले के गोगासर गांव के रहने वाले मुरारी नौवीं तक पढ़कर नौकरी के लिए 17 की उम्र में 1997 में असम चले गए. वहां तेरह साल नौकरी के बाद उन्हें लगा कि अब खुद करना चाहिए तो जा पहुंचे बेंगलूरू. पर किस्मत ने साथ न दिया तो फिर असम लौट गए. उनका मन वैसे न तो धंधे में था न नौकरी में. लेकिन पारिवारिक मजबूरी के चलते नौकरी करनी पड़ी. 2008-10 के बीच सिलीगुड़ी में उन्होंने रेडियो जॉकी का भी काम किया. वहां उन्हें सिर्फ 9,000 मिलते थे लेकिन इसने उनके कलाकार को मंच दे दिया. अब उनके भीतर का कलाकार उतावला हो उठा. मुरारी ने मुंबई की ट्रेन पकड़ ली. 2015 में उन्होंने अपने दोस्त महेन्द्र गौड़ के साथ मिलकर राजस्थानी फिल्म बनाई मेरो बदलो. इसके लिए मुरारी को राजस्थान फिल्म फेस्टिवल की ओर से बेस्ट स्क्रिप्टराइटर का अवार्ड मिला. इसमें पैसे नहीं थे. पैसों की तंगी हुई तो मुरारी के घर आर्थिक संकट के बादल छा गए. रोज फोन बजने लगे. उनके बच्चों को निजी स्कूल से निकाल दिया गया. फिर नौकरी का सहारा. इस बार उन्होंने केरल में कोच्चि की ट्रेन पकड़ी.
वहीं रहते हुए वे सोचने लगे कि बॉलीवुड में काम न मिलने पर क्यों न वे यू-ट्यूब पर अपनी प्रतिभा दिखाएं. बस शुरू कर लिया अपना यू-ट्यूब चैनल. पर दर्शकों को वे खींच नहीं पा रहे थे. फिर भी मुरारी की कॉकटेल ने उनके कोच्चि में रहते-रहते पचासेक हजार का आंकड़ा तो छू लिया. यहीं उनका आत्मविश्वास कुछ बढ़ा और लगा कि ''राजस्थान की लोकेशन पर वीडियो बनाए जाएं तो टीआरपी बढ़ेगी'' बस पकड़ ली राजस्थान की ट्रेन.
अगले ही दिन गांव-गुवाड़ और खेतों में शूटिंग शुरू. पर गांव में भी उन्हें गालियां खानी पड़ीं और वे हंसी के भी पात्र बने. इको हाड हराम हुगो, इन कमाई कोनी सद, घर म खाबा न तो दाणा ई कोनी अर ओ बापड़ो विडियो बणा व है. ऐसे तीखे तीर मुरारी को काफी दिनों तक झेलने पड़े. ससुर और साले ने भी आकर उनकी खबर ली. कुछ दिनों बाद यू-ट्यूब से 6,500 रु. का चेक आने पर मुरारी ने भागकर पत्नी को दिखाया. अगले महीने 17,500 का चेक आया. धीरे-धीरे व्यूअरशिप बढऩे लगी. लोगों को मुरारी का ठेठ राजस्थानी अंदाज और लोकल बोली का पुट भाने लगा. देखते-देखते मुरारी यू-ट्यूब से लाखों रु. महीने कमाने वाले राजस्थानी सुपर कॉमेडियन बन गए. ठ्ठ
संघर्ष
बुरे वक्त में भी अंदर के कलाकार को जिन्दा रखा
टर्निंग पॉइंट
उनके एक वीडियो के लिए यू-ट्यूब से 6,500 रु. का चेक आना
उपलब्धि
राजस्थान के सुपर कॉमेडियन, हर महिने घर बैठे लाखों की कमाई
सफलता के सूत्र
लगन के साथ ईमानदारी से मेहनत
लोकप्रियता के कारक
आस-पास की घटनाओं को ग्रामीण क्षेत्र के माहौल के साथ आंचलिक बोली में ही परोसना
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