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दिल्ली में दिल नहीं भरता

दिल्ली देश की सियासी ही नहीं, खानपान की भी राजधानी है. यहां मुगलई से लेकर उत्तर और दक्षिण भारतीय  व्यंजन मिलते हैं पर पुरानी दिल्ली की गलियों में शाहजहानाबाद की खुशबू अब भी मौजूद

जी ललचाए दिल्ली का जायका
जी ललचाए दिल्ली का जायका
अपडेटेड 13 दिसंबर , 2018

भारत को क्या चीज परिभाषित करती है? भारत को परिभषित करने वाले तत्व इसके गीतों और नृत्यों, देवताओं, उत्सवों और अपने व्यंजनों के प्रति लोगों के लगाव में हैं.

पुराने समय से ही दिल्ली की आत्मा खानपान में बसी है. दिल्ली भारत की राजनैतिक राजधानी होने के साथ खानपान की राजधानी भी है. यहां के व्यंजनों में गजब की विविधता रही है, चाहे वह मुगलई व्यंजन हों, उत्तर या दक्षिण भारतीय खाना हो या स्ट्रीट फूड की अनगिनत किस्में. दिल्ली की भोजन संस्कृति अलहदा तहजीबों, रस्म-रिवाजों और नई-पुरानी पाककलाओं का सुखद संयोजन है. लंबे दौर में, दुनिया भर के लोग अपने साथ अपनी संस्कृतियां यहां लेकर आए और आखिरकार दिल्ली का हिस्सा बन गए. दिल्ली में अफगानिस्तान, तिब्बत, सोमालिया जैसे देशों से आने वाले शरणार्थियों की भी खासी तादाद है.

उत्तरी दिल्ली में यमुना के पास मजनूं का टीला है, जिसे न्यू अरुणा नगर या लिटल तिब्बत भी कहा जाता है. यहां की संकरी गलियों में पारंपरिक तिब्बती व्यंजनों की बहार दिखती है. यहां मोमोज के अलावा भी बहुत कुछ है. यहां हर दो कदम पर आपको तिब्बत का मशहूर स्ट्रीट फूड ला फिंग मिलेगा. इसके साथ ही तिब्बती थाली भी है जो निहायत ही अलग संस्कृति के दीदार कराती है.

दक्षिणी दिल्ली में बहुत-से अफगानियों की मौजूदगी की वजह से लाजपत नगर को लिटल काबुल कहा जाने लगा है. यहां अफगानी तंदूर की दुकानों और रेस्तरांओं की कतारें हैं और जायकेदार तंदूरी खाना मिलता है. दिल्ली के पारंपरिक व्यंजनों पर मुगलिया शासन का असर है. दिल्ली के कुछ हिस्सों के व्यंजनों पर पुराने शाहजहानाबाद की खुशबू आज भी बरकरार है. बेडमी पूरी, छोले-कुल्चे, निहारी या पाया कुछ ऐसे ही नाम हैं.

श्याम स्वीट्स की बेडमी पूरी और नागौरी हलवा, बल्लीमारान में छेना राम के यहां का हब्शी हलवा या कराची हलवा, किनारी बाजार की रबड़ी खुरचन, नई सड़क और चावड़ी बाजार में छोटे-छोटे ठेलों पर बिकने वाली चाट दिल्ली के खानपान की एक झलक भर देते हैं. जामा मस्जिद और तुर्कमान गेट पर कल्लू या शबराती के यहां निहारी का लुत्फ उठाइए, कल्लन के यहां फिरनी का मजा लीजिए या फिर रहमतुल्लाह के यहां ब्रेड-शीरमाल, ताफ्तान, बाकरखानी और कुल्चे का स्वाद लीजिए.

दिल्ली के स्ट्रीट फूड का मिजाज मौसम के लिहाज से बदल जाता है. जाड़ों में दौलत की चाट, मूंग दाल हलवा, गाजर हलवा, शकरकंद की चाट हाजिर है, तो गॢमयों में फालसे, जामुन, लीची और आम मुख्य भूमिकाओं में आ जाते हैं. दिल्ली में खाने का तजुर्बा किसी एक जायके या किस्म तक महदूद नहीं है. यहां बहुराष्ट्रीय फूड चेन के साथ चावड़ी बाजार की शोरगुल भरी गलियों में समृद्ध खानपान की विरासत है.

मसलन, चटखारा लगाने का शौकीन कोई भी इनसान चाहेगा कि दिल्ली दौलत की चाट के लिए प्रसिद्ध हो जाए. सर्दियों में चंद महीनों के लिए मिलने वाली दौलत की चाट का जायका ऐसा है कि आप एक बार चख लें तो आपको ताउम्र इसके जायके को याद रखेंगे. यह चाट कतई मसालेदार और तीखी नहीं, जिसे खाकर आपके मुंह में पानी और आंखों से आंसू आएं.

दौलत की चाट तो मुलायम मिठास से भरी है, जो आपके मुंह को आहिस्ते से गुदगुदाती है! दौलत की चाट बनाने के लिए दूध और क्रीम को लगातार 3-4 घंटे तक मथा जाता है. इससे झाग की एक मोटी परत ऊपर जमा हो जाती है. फिर इसमें थोड़ी केसर मिलाई जाती है. चांदनी चैक के कटरा नील में विक्रेता अनिल चंद कुमार का दावा है कि 40 साल पहले उनके दादाजी ही दिल्ली-6 की सड़कों पर दौलत की चाट लाने वाले पहले व्यक्ति थे.

हीरा लाल चाट

सौ साल पुरानी इस छोटी-सी दुकान का दावा है कि चाट की शुरुआत यहीं से हुई थी. आश्चर्यजनक रूप से न तो इसे बहुत अधिक तला जाता है और न ही इसमें ज्यादा तेल होता है. यह स्वास्थ्यकर है क्योंकि यह पूरी तरह से फलों से तैयार होती है. इस चाट को सामान्य फ्रूट चाट समझने की भूल न करिएगा क्योंकि कुलिया चाट कोई सामान्य चाट नहीं है. ऐसा लगता है कि कुलिया शब्द "कुल्हड़'' से लिया गया है. कुलिया या कुल्ले फल और सब्जियों के कप हैं जिसके अंदर से उनका गूदा निकालकर उसमें स्वादिष्ट चीजें भर दी जाती हैं.

जैन कॉफी हाउस

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही सैंडविच में सारी चीजें एक साथ मिल जाएं तो कितना मजा आएगा? चावड़ी बाजार की तंग गलियों में एक छोटे-से कॉफी हाउस ने सिर्फ इस बेतुके विचार को क्या आजमाया, आज यही इसकी सबसे बड़ी पहचान बन चुका है. जैन कॉफी हाउस 1948 से ही चावड़ी बाजार के व्यापारियों को चाय, कॉफी, सैंडविच, शेक्स और यह अनूठी फ्रूट सैंडविच परोस रहा है.

स्वाद देश-विदेश का

यह रेस्तरां भले ही भीड़भाड़ भरे नेहरू प्लेस में है. इसकी अंदरूनी साज-सज्जा भले ही आधुनिक और सामयिक है पर खाना खालिस देसी. रेस्तरां में आने वाले ज्यादातर लोग चाट की मांग करते हैं, लेकिन इसमें खास क्या है? खास है उनके परोसने का तरीका. आलू टिक्की हो, पानी पूरी, कबाब हो या इडली-सब कुछ शुद्ध शाकाहारी.

यह रेस्तरां उत्सवों और मौसम के लिहाज से अपने मेन्यू बदलता रहता है. मसलन, स्वतंत्रता दिवस के आसपास इडली पर तिरंगा मौजूद होता है तो होली के आसपास उसी इडली पर रंगों की बहार आ जाती है. जाड़ों में, यहां सरसों का खास साग तैयार किया जाता है. जाहिर है, साथ में मक्के दी रोटी और गाजर का हलवा तो होगा ही. रेस्तरां के संस्थापक दिनेश अरोड़ा और गौरव वासन कहते हैं, "हमने जितना मुमकिन हो सका है, स्वाद को उतना असली बनाने रकी भरपूर कोशिश की है. हम स्ट्रीट फूड को बेहतरीन अनुभव में बदलना चाहते हैं.''

कुरेमल मोहनलाल कुल्फीवाले

चावड़ी बाजार में कुरेमल मोहनलाल कुल्फीवाले की प्रसिद्ध दुकान ऐसी कुल्फी के लिए जानी जाती है जिसके भीतर साबुत फल भरे होते हैं. फिर यह फल है या कुल्फी? आप चाहे जो मान लें पर कुरेमल परिवार 1908 से ही अपनी लजीज कुल्फी से लोगों को दीवाना बनाए हुए है. इसकी स्थापना पंडित कुरेमल ने की थी.

शिव मिष्ठान भंडार

शिव मिष्ठान भंडार की गिनती चांदनी चौक की सबसे मशहूर दुकानों में होती है. 1910 में मनोहर सिंह यादव द्वारा शुरू शिव मिष्ठान भंडार अनेक राजस्थानी व्यंजनों और मिठाइयों के लिए मशहूर है. बेडमी आलू के अलावा यहां छोले भठूरे, कचौड़ी और समोसा मिलते हैं. इसके साथ छह प्रकार की मिठाइयां भी बेची जाती हैं, जलेबी और इमरती, गुलाब-जामुन, सूजी हलवा, मूंग दाल हलवा और मालपुए.

नंद दी हट्टी

बहुत कम ऐसी जगहें हैं जहां पंजाबी व्यंजन—छोले भठूरे का मौलिक स्वाद बरकरार है. इनमें से एक दुकान है सदर बाजार की नंद दी हट्टी. यह परिवार मूल रूप से पाकिस्तान में रावलपिंडी से ताल्लुक रखता है, जहां के राजा बाजार में इनकी छोले, कुल्चे और रोटी की दुकान थी. 1960 में नंदलाल जी ने पान मंडी के कोने पर देसी घी में तले अपने छोले-भठूरे बेचने शुरू किए. भठूरे का आटा सूजी, मैदा, दही, नमक, चीनी, हींग, मीठा सोडा और खमीर से तैयार किया जाता है. भठूरे नरम और यहां तक कि कुरकुरे भी होते हैं लेकिन उनसे तेल बिल्कुल नहीं टपकता. छोले में वे प्याज और लहसुन नहीं डालते. छोले-भठूरों के साथ आंवले का अचार और हरी मिर्च दी जाती है. मसालेदार, जायकेदार!

अशोक ऐंड अशोक मीट ढाबा

यह छोटी दुकान 1984 में दो दोस्तों अशोक और अशोक ने शुरू की थी. इन दोनों को इस इलाके का "दबंग'' कहा जाता था. अपने उलटे-सीधे धंधे के साथ-साथ, वे आसपास के लोगों को मीट खिलाना भी पसंद करते थे. यहां तैयार कोरमा को किसी शाही रसोईघर में भी ए ग्रेड मिलेगा क्योंकि इसे ग्रेवी में 30 विभिन्न प्रकार के मसाले और खूब सारा देसी घी डालकर कीमे के साथ पकाया जाता है. मांस बहुत नरम होता है और हड्डियों से पूरी तरह से अलग हो जाता है और इसकी चमकदार सुनहरी ग्रेवी सुगंध से भरपूर होती है. ग्रेवी को धनिया पत्ती वाली रोटी के साथ परोसा जाता है.

असलम चिकन कॉर्नर

पुरानी दिल्ली की चिर-परिचित गहमागमी के बीच जामा मस्जिद के मुख्य द्वार के सामने वाली सड़क पर एक चार मंजिला दुकान है—असलम चिकन कॉर्नर. असलम के चिकन कॉर्नर में मिलने वाला बटर चिकन, तंदूरी चिकन और मूल बटर चिकन का एक अद्वितीय संयोजन है. चिकन के टुकड़ों को पहले खास तरह के मसालों में मिलाकर रखा जाता है. इन मसालों की जानकारी गुप्त रखी गई है. इस पकवान की सबसे बड़ी खूबी इसकी मक्खन ग्रेवी है जो मक्खन के साथ एक दही जैसी सामग्री मिलाकर तैयार की जाती है.

हाजी मोहम्मद फ्राइड चिकन

इस दुकान के फ्राइड चिकन को दिल्ली में चिकन की कुछ बेहतरीन फ्राइड चिकन की दुकानों में रख सकते हैं. चिकन को पहले मसालों में रखा जाता है और उसे हाफ फ्राइ किया जाता है. इसमें मसालों का बहुत उम्दा संतुलन बना रहता है.

श्री बांके बिहारी ब्रजवासी रसगुल्ले वाला

इस दुकान की शुरुआत 1957 के आसपास हुई थी. दुकान की तीसरी पीढ़ी के तीन मालिक भाइयों में से एक राजीव ब्रजवासी गर्व से बताते हैं, "वृंदावन का प्रामाणिक स्वाद यहां के अलावा और कहीं नहीं मिलेगा.'' इस जगह को जो चीज औरों से अलग बनाती है वह है कि यहां के व्यंजनों में परंपरा का पूरा ध्यान रखा गया है और किसी भी व्यंजन में प्याज या लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता. नाश्ते में वे बेडमी पूरी और कचौड़ी तैयार करते हैं जो दो ऐसे नाश्ते हैं जो स्वाद में अनूठे हैं. दोपहर का भोजन करना हो तो हम आपको पनीर, दाल, रायता और दो पराठे वाली थाली का ऑर्डर देने का सुझाव देंगे. यहां आएं तो खास रसगुल्ले जरूर खाएं.

वेंगर्स डेली

वेंगर्स डेली एक रेस्तरां है जो कनॉट प्लेस में ए-ब्लॉक के आखिर में है. ये चिकन लजानिया के अलावा वेंगर्स मछली और चिप्स को एक मजेदार अंदाज में पेश करते हैं जिसे लहसुन की चटनी के साथ खाया जा सकता है. पेनी अर्राबियाटा बहुत नरम और खाने में मजेदार होता है. यहां मिलने वाली पनिनी में चिकन के टुकड़े रसेदार और बड़े होते हैं, लेकिन मुझे पेस्तो बहुत जबरदस्त लगते हैं.

चिदंबरम का न्यू मद्रास होटल

यह रेस्तरां सी. कुमार चलाते हैं और इसकी शुरुआत सी. राजू चिदंबरम ने की थी. इसे 1930 में ब्रिटिश सरकार के दक्षिण भारतीय अधिकारियों को उनकी पसंद का भोजन मुहैया कराने के लिए खोला गया था. हमने 3 इन 1 रवा डोसा और एक-एक प्लेट दही वड़ा का ऑर्डर दिया. इसे केले के पत्तों से ढकी प्लेट पर परोसा गया था. डोसे के तीन हिस्सों में तीन अलग-अलग तरह की चीजें भरी गई थीं—पनीर मसाला, आलू मसाला और नारियल चटनी. सांबर और नारियल की चटनी वाकई लाजवाब थी.

गणेश रेस्तरां

करोलबाग के कुछ पुराने और कुछ नए ठिकाने खाने के शौकीनों की आंखों में चमक और मुंह में पानी ला देंगे. 68 साल पहले हरिश्चंद ने इस दुकान को शुरू किया था. गणेश रेस्तरां का सबसे उत्कृष्ट व्यंजन है सिरा मछली जिसे पहले बेसन के घोल में लपेटकर कुरकुरा और सुनहरा होने तक तला जाता है. मछली के ऊपर बेसन की पतली परत चढ़ाई जाती है ताकि मछली के मूल स्वाद का आनंद लिया जा सके. मुंह में पानी लाने वाले इस व्यंजन को बारीक कटे हुए प्याज, पुदीने की चटनी और नींबू के टुकड़ों के साथ परोसा जाता है. मौसम के अनुसार मछली का प्रकार बदलता रहता है. गर्मियों में सिंगारा मछली तो कड़कड़ाती सर्दी में सुरमई मछली परोसी जाती है.

अल नवाज

नवाज को खाना पकाने के अपने हुनर पर भरोसा था और उन्होंने जाकिर नगर में खलीलुल्ला मस्जिद के पास 1 किलो बिरयानी की एक छोटी-सी देग के साथ अपनी पारी की शुरुआत की. बाद में वे ओखला मेन रोड पर चले गए और अल नवाज के नाम से एक नया रेस्तरां खोला. वे कहते हैं कि अनमोल चिकन की रेसिपी उन्होंने ही दी है, जिसे चिकन के साथ भरपूर मात्रा में मलाई और मक्खन डालकर तैयार किया जाता है.

जल्द ही उनकी ओखला की दुकान भी छोटी पडऩे लगी और मई 2013 में वे जामिया पुलिस स्टेशन की बगल में अबू फजल एनक्लेव में चले आए जो उनका वर्तमान पता है. मैंने नवाज के स्पेशल कलमी कबाब, रसेदार और गूदेदार चिकन लेग पीस, मटन बुर्रा, अच्छी तरह से भुनी हुई फिश टिक्का के बड़े लेकिन नरम टुकड़े और मटन निहारी का स्वाद लिया लेकिन मुझे उनकी चिकन बिरयानी सबसे ज्यादा पसंद आई जिसे लाल मसालेदार चटनी के साथ परोसा जाता है. ठ्ठ

दौलत की चाट

इसकी हल्की-सी मिठास मुंह को गुदगुदाती है

असलम बटर चिकन

यह व्यंजन बटर चिकन और तंदूरी चिकन का बेजोड़ संयोजन है

"दिल्ली की भोजन संस्कृति अलहदा तहजीबों, रस्म-रिवाजों और नई-पुरानी पाककलाओं का सुखद संयोजन है. यहां मुगलई, उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय हर किस्म का खानपान उपलब्ध है.''

कुल्फी

चावड़ी बाजार कीकुल्फी के भीतर साबुत फल भरे होते हैं

स्वाद देश-विदेश के

रेस्तरां में हर तरह का खाना उपलब्ध है

आलू की टिक्की

आलू टिक्की की चाट

ग्राहकों के लिए

उत्सव जैसी है

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