scorecardresearch

होटल मैनेजमेंटः संभावनाओं का संसार

हॉस्पिटैलिटी या अतिथि सत्कार क्षेत्र में ली गई हर डिग्री के साथ करियर की अपार संभावनाओं के द्वार खुलते हैं

चंद्रदीप कुमार
चंद्रदीप कुमार

आतिथ्य सत्कार या हॉस्पिटैलिटी उद्योग आज बहुत चर्चा में है क्योंकि इसमें रोजगार के अपार अवसरों के साथ घूमने-फिरने के भी बहुतेरे मौके जुड़े होते हैं. ऐसे बच्चे और उनके माता-पिता जो करियर के चयन की दुविधा में रहते हैं, उन्हें हॉस्पिटैलिटी का कोर्स आजकल बहुत आकर्षित करता है. सबसे पहले हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि हॉस्पिटैलिटी है क्या और इसके साथ हमारे आसपास क्या-क्या संभावनाएं हो सकती हैं.

कैंब्रिज इंग्लिश डिक्शनरी में हॉस्पिटैलिटी को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि यह मित्रता कायम करने और अतिथियों तथा आगंतुकों का स्वागत करने और किसी संस्थान का अतिथियों या बिजनेस पार्टनर को भोजन, पेय पदार्थ, मनोरंजन आदि की सुविधा प्रदान करने का कार्य है.

और गहराई से समझें तो हॉस्पिटैलिटी का अर्थ हुआ एक ऐसा कौशल जो दूसरों की जरूरतों को तत्काल समझ लेता है और अपने से अधिक दूसरों की सुविधाओं का ख्याल रखना सिखाता है. हॉस्पिटैलिटी शायद उतना ही पुराना पेशा है जितनी मानव सभ्यता. इस पेशे में कोई भी व्यक्ति अपना भविष्य उम्मीदों से कहीं अधिक संवार सकता है.

यह उद्योग भोजन, आश्रय और मनोरंजन जैसी लोगों की मौलिक जरूरतों का ध्यान रखता है. ऐसा कोई भी उद्योग जो ये सुविधाएं प्रदान करता है, उसे यदि मजबूती से जड़ें जमाए रखनी हैं तो फिर सुख-दुख दोनों का सामना करना ही होगा, लेकिन सुविधाएं प्रदान करने वाले लोगों के लिए समृद्धि के इतने अवसर खुलते हैं, खासकर अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि को देखते हुए कि किसी को भी ईष्र्या हो जाए. टर्नओवर के लिहाज से तेल उद्योग के बाद यही सबसे बड़ा उद्योग है. वैश्विक स्तर पर रोजगार के लिहाज से दूसरा कोई उद्योग इसके आसपास भी नहीं दिखता.

पारंपरिक रूप से यह हमारे देश में ऐसा उद्योग नहीं रहा है जिसने सबसे होनहार प्रतिभाओं को आकर्षित किया हो. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसमें काम के अनौपचारिक घंटे होते थे और वेतन भी बहुत आकर्षक नहीं था. इस उद्योग ने दोनों ही विषयों की गंभीरता समझी और इसे दूर किया जिससे स्थितियां बेहतर हो रही हैं.

अब समझने का प्रयास करते हैं कि इस उद्योग में सफल होने के लिए क्या चाहिए. यहां एक कार्य से दूसरे कार्य में कौशल एकदम भिन्न हो जाता है—जैसे, एक शेफ का कौशल एक बारटेंडर या फिर आगंतुकों का विवरण रखने वाले और उनका स्वागत करने की जिम्मेदारी संभालने वाले से एकदम अलग होता है.

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कुछ गुण जो हर तरह की भूमिकाओं में जरूरी हो जाते हैं वे हैं—उच्च स्तर का व्यवहार कौशल और व्यक्तित्व के बेहतर तरीके से प्रदर्शन करने की कला, प्रभावशाली संवाद कौशल, सहानुभूति, समस्याओं के निवारण का कौशल, "कर सकते हैं'' का नजरिया और सबसे बड़ी बात कि बिना अपना धैर्य खोए, चुनौतियों का सामना करने की काबिलियत.

किसी प्रोफेशनल संस्थान में दाखिला लेकर कोई भी व्यक्ति अपनी इन क्षमताओं का विकास कर सकता है क्योंकि वहां उसके आसपास सीखने के लिए ऐसे उदाहरण और अवसर मौजूद रहते हैं.

हॉस्पिटैलिटी प्रोग्राम्स में स्नातक करने वाले युवाओं के लिए इस सेक्टर के संस्थानों में अलग-अलग स्तरों पर रोजगार के अवसर खुले रहते हैं. बेशक इन सभी नौकरियों में से सबसे अधिक आकर्षक नौकरी होती है मैनजमेंट ट्रेनी की जिससे मैनेजर की भूमिका निभाने का अवसर मिलता है. इसके लिए व्यक्ति में उद्यमिता कौशल या आंट्रप्रेन्योरशिप स्किल होना चाहिए.

अब कोई यह सोच सकता है कि जिस व्यक्ति में उद्यमिता का कौशल होगा वह नौकरी करने क्यों जाएगा? सचाई यह है कि किसी व्यक्ति में नौकरी की भूमिका निभाने की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.

किसी व्यक्ति को कोई कंपनी एक रेस्तरां प्रबंधक या एक व्यापार केंद्र प्रबंधक की नौकरी पर रख सकती है. इस भूमिका में उस व्यक्ति को एक उद्यमी की तरह कार्य करते हुए पूरी व्यावसायिक योजना ऐसे बनानी चाहिए मानो वह वहां का कर्मचारी नहीं बल्कि मालिक हो.

वह किसी भी चीज को संयोग या अपने वरिष्ठजनों की विशेषज्ञता के भरोसे नहीं छोड़ सकता. उसे पूरे व्यवसाय की जिम्मेदारी लेनी होगी और अपेक्षित परिणामों तक पहुंचने के लिए हर सीमा के आगे सोचना होगा.

व्यक्ति की उद्यमशीलता निखारना किसी अकादमिक संस्थान के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. देश के प्रमुख हॉस्पिटैलिटी संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग ऐंड न्यूट्रिशन, पूसा, नई दिल्ली संस्थान में ही उद्योग जैसी परिस्थितियों का निर्माण करके अपने विद्यार्थियों में इन गुणों को विकसित करने की कोशिश की है.

संस्थान ने विद्यार्थियों की कई सोसाइटी जैसे नाटक सोसाइटी "पंचतत्व'', ट्रास (थिंक रिस्पॉन्सिबल ऐक्ट सस्टेनेबल), म्युजिक सोसाइटी "असावरी'' और लेखकों के क्लब का गठन किया है. फूड फेस्टिवल जैसे बड़े आयोजनों  के संचालन के लिए "भारत पर्व'' या "पर्यटन पर्व'' जैसे कई दूसरे सोसाइटी/क्लब भी अस्थायी तौर पर बनाए जाते हैं.

इन सोसाइटीज के लिए काम करने के दौरान अवधारणा विकास से लेकर टीम गठन, वित्त, वेंडरों को काम पर लगाना, सजावट और कैटरिंग तक—पूरे इवेंट का आयोजन विद्यार्थी ही करते हैं. होटल, एयरलाइंस और रेस्तरां स्वाभाविक रूप से सबकी पसंद होते हैं.

फिर भी इनके अलावा और भी कई बहुत-से क्षेत्र हैं जहां ऊपर बताए गए गुणों से युक्त हॉस्पिटैलिटी उद्योग के प्रशिक्षित लोगों की बड़ी मांग है.

मैं आपको ऐसे कुछ उद्योगों और व्यवसायों का उदाहरण देता हूं जहां भारी संख्या में हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र के प्रशिक्षित लोगों को अच्छी नौकरियां दी गई हैं. सुविधा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, ट्रैवल/रेस्तरां और होटल सेवाओं के एग्रीगेटर्स और रिटेल चेन्स में भी एक अभूतपूर्व मांग देखी गई है.

इन क्षेत्रों ने अब तक पारंपरिक तरीके से ठेकेदारों या नौकरी दिलाने वाली संस्थाओं के माध्यम से नौकरी पर रखने के चलन को बंद करते हुए सीधे हॉस्पिटैलिटी स्कूलों से ही सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं का चयन करके उन्हें नौकरी पर रखना शुरू कर दिया है.

एक अन्य क्षेत्र जहां अपने देश के लोगों की बड़ी मांग आने वाली है वह है उत्तरी यूरोप, स्कैंडिनेविया, जर्मनी या फिर एशिया के जापान या कोरिया जैसे समृद्ध देश. इन देशों में जन्म दरों में बहुत गिरावट आई है जिसके कारण यहां की मांग की पूर्ति भारत के लोगों से होगी.

एक अन्य क्षेत्र जहां से मांग अचानक काफी बढ़ी है वह है ग्लोबल बांड क्षेत्र. इस क्षेत्र ने महसूस किया है कि महंगे उत्पादों और सेवाओं का कारोबार हॉस्पिटैलिटी के प्रशिक्षित लोगों के जरिए ही बढ़ाया जा सकता है.

हॉस्पिटैलिटी में प्रशिक्षित पेशेवरों के लिए लाइफस्टाइल उत्पादों की बिक्री, रिटेल स्टोर, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवाएं, बीमा और एकाउंटिग जैसे गैरपरंपरागत क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों के द्वार खुलने लगे हैं.

अपनी बात को समाप्त करने से पहले मैं फिर से इस लेख की शुरुआती बात पर लौटना चाहूंगा. आतिथ्य उद्योग में काम करने वाले लोगों की वित्तीय और सामाजिक स्थिति में सुधार और वैश्विक स्तर पर काम करने के बढ़ते अवसरों के साथ हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र के लोगों के करियर चार्ट में पसंदीदा करियर के मामले में बहुत ऊपर जगह बनाने जा रहा है.

लेखक होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग एवं पोषाहार संस्थान, नई दिल्ली के प्रिंसिपल हैं

***

Advertisement
Advertisement