सन् 2014 में मैं केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने आइआइटी-दिल्ली आया था. दिल्ली के बीचोबीच 320 एकड़ का परिसर देखकर मैं दंग रह गया था. पहले ही दिन मुझे लगा कि अगले चार साल का समय यादगार अनुभव होगा. सरप्राइज टेस्ट और असाइनमेंट से लबालब सेमेस्टर थोड़े डरावने थे लेकिन मैंने पाया कि दूसरे कॉलेजों के बारे में मैंने जैसा सुन रखा था, उनके मुकाबले यहां के प्रोफेसर बहुत शांत थे. इस परिसर के बारे में किसी बाहरी की सबसे पहली यही धारणा बनती है कि यहां के छात्र किताबी कीड़े होते हैं. ऐसा नहीं है. मैं ग्राफिक डिजाइनिंग से हूं और इसी तरह मेरे बैचमेट भी अलग-अलग अभिरुचियों के साथ जी रहे हैं. आपको नृत्य पसंद है? आइआइटी में वी-डिफाइन डांस एकेडमी है. आप यदि रंगमंच या माइम सीखना चाहते हों तो यहां आपको एक से एक प्रशिक्षक मिल जाएंगे. क्या आप अपनी एक फॉर्मूला रेसिंग कार का सपना संजोए हुए हैं? यह काम तो हम हर साल ऐक्सएलआर टीम के साथ करते हैं.
यहां के छात्रावासों की जिंदगी पर बात किए बगैर आइआइटी-दिल्ली का तजुर्बा आधा-अधूरा रह जाएगा. इन छात्रावासों में खेल की जबरदस्त सुविधाएं हैं (बैडमिंटन, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस). यहां के डाइनिंग हॉल वातानुकूलित हैं और मेस सुबह 9 से भोर के 4 बजे तक लगातार चालू रहता है. अगर हॉस्टल के खाने से आप ऊब गए हों तो परिसर में मौजूद निजी फूड आउटलेट का चक्कर लगा सकते हैं. परिसर में विंड टनल सबसे अच्छी जगह है जहां आप व्याख्यानों के बाद या रात में दोस्तों के साथ बैठ सकते हैं.
हर साल आइआइटी-दिल्ली राजधानी के सालाना सांस्कृतिक महोत्सवों की सूची में अपनी अलग पहचान बनाता है. हमारा आयोजन रांदेवू ठसाठस भरा होता है और दूसरे संस्थानों के छात्र भी पास पाने के जुगाड़ में लगे रहते हैं. मैं एक भी ऐसे आइआइटियन को नहीं जानता जिससे किसी ने एंट्री पास का अनुरोध न किया हो. इसके अलावा साहित्यिक महोत्सव लिटराटी, तकनीकी महोत्सव ट्रिस्ट, खेल महोत्सव स्पोर्टेक आदि में विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं.
(लेखक आइआइटी दिल्ली में केमिकल इंजीनियरिंग के बीटेक के छात्र हैं)
यहां के छात्रावासों की जिंदगी पर बात किए बगैर आइआइटी-दिल्ली का तजुर्बा आधा-अधूरा रह जाएगा. इन छात्रावासों में खेल की जबरदस्त सुविधाएं हैं (बैडमिंटन, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस). यहां के डाइनिंग हॉल वातानुकूलित हैं और मेस सुबह 9 से भोर के 4 बजे तक लगातार चालू रहता है. अगर हॉस्टल के खाने से आप ऊब गए हों तो परिसर में मौजूद निजी फूड आउटलेट का चक्कर लगा सकते हैं. परिसर में विंड टनल सबसे अच्छी जगह है जहां आप व्याख्यानों के बाद या रात में दोस्तों के साथ बैठ सकते हैं.
हर साल आइआइटी-दिल्ली राजधानी के सालाना सांस्कृतिक महोत्सवों की सूची में अपनी अलग पहचान बनाता है. हमारा आयोजन रांदेवू ठसाठस भरा होता है और दूसरे संस्थानों के छात्र भी पास पाने के जुगाड़ में लगे रहते हैं. मैं एक भी ऐसे आइआइटियन को नहीं जानता जिससे किसी ने एंट्री पास का अनुरोध न किया हो. इसके अलावा साहित्यिक महोत्सव लिटराटी, तकनीकी महोत्सव ट्रिस्ट, खेल महोत्सव स्पोर्टेक आदि में विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं.
(लेखक आइआइटी दिल्ली में केमिकल इंजीनियरिंग के बीटेक के छात्र हैं)