उनकी छात्राएं उन्हें प्रेम से ‘‘एमजी’’ कहती हैं. उनका नाम है मीनाक्षी गोपीनाथ. मीनाक्षी पहली बार लेडी श्री राम (एलएसआर) कॉलेज परिसर में 1966 में पॉलिटिकल साइंस की छात्रा के रूप में आई थीं. यहां से पढ़ाई करने के बाद वे फुलब्राइट स्कॉलर के रूप में डॉक्टरेट करने अमेरिका गईं और 1973 में इसी कॉलेज में लेक्चरर बनकर वापस लौटीं.
मीनाक्षी पिछले 40 वर्षों से यहां पर हैं, जिसमें से 25 साल उन्होंने एक प्रिंसिपल के रूप में लेडी श्रीराम कॉलेज को अपनी सेवाएं दी हैं. गोपीनाथ ने यह नोटिस किया है कि उनकी छात्राओं में सामाजिक जागरूकता बढ़ रही है. वे कहती हैं, ‘‘ह्यूमैनिटीज के अध्ययन को अब सिर्फ रिसर्च या कॉर्पोरेट वर्क में ही विभाजित नहीं किया जा सकता. अब इसमें एक तीसरा विकल्प भी जुड़ गया है समाज सेवा का.’’
चाहे दिल्ली के कमला नेहरू कॉलेज की छात्राओं में महिला अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता हो या पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज के छात्रों का बाल विवाह के खिलाफ चलाया गया अभियान. अब किसी भी परिवर्तनकारी आंदोलन के लिए स्वयंसेवक बनना भारत में कैंपस जीवन का अनिवार्य हिस्सा हो गया है. कोलकाता की प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की कुलपति मालबिका सरकार कहती हैं, ‘‘आज के युवा यह जानते हैं कि वे बदलाव के वाहक बन सकते हैं. आज के युवा यह बदलाव लाने के लिए काम भी करना चाहते हैं. वे जिस जुनून और हिम्मत के साथ कोई अभियान चलाते हैं या समाज के लिए अपनी स्वेच्छा से कार्य करते हैं, वह मुझे चकित करता है.’’ गोपीनाथ कहती हैं, ‘‘यह देखकर मेरे दिल को बहुत सुकून मिलता है कि बहुत-सी छात्राएं वंचित और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं.’’
एलएसआर में पढऩे वाली छात्राओं के लिए पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक सवालों और मुद्दों से जुडऩे के अवसर काफी बढ़ गए हैं. विभिन्न विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत को प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी है और इसी बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए इस साल मार्च में कॉलेज में एक विशेष ‘‘आंग सान सेंटर फॉर पीस’’ का उद्घाटन किया गया है. साथ ही इसी महीने कॉलेज में जेंडर पर देश के सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक ‘द एकेडमिक कांग्रेस ऑन जेंडर’ का सफल आयोजन किया गया.
एलएसआर ने 32 नए विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू पर दस्तखत किए हैं, जिनमें फुकुओका महिला विश्वविद्यालय, जापान, ला ट्रोब विश्वविद्यालय, मेलबर्न और ट्रिनिटी कॉलेज, डब्लिन शामिल हैं. गोपीनाथ कहती हैं, ‘‘हम चाहते हैं कि हमारी छात्राएं न सिर्फ अकादमिक क्षेत्र में सफलता की सीढिय़ां चढ़ें, बल्कि एक मनुष्य के रूप में भी बड़ी मानवीय ऊंचाइयों को हासिल करें. यही कारण है कि हम इतने बड़े पैमाने पर इंटरनेशनल एक्सचेंज का आयोजन करते हैं, ताकि उन्हें दुनिया भर से सीखने का अवसर मिले.’’

समाज सेवा और अपने शानदार अकादमिक रिकॉर्ड की वजह से ही एलएसआर कॉलेज ने इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वे आर्ट्स की रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है. इस मामले में पिछले साल सूची में शीर्ष पर रहने वाला सेंट स्टीफंस कॉलेज दो पायदान नीचे खिसक गया है. दूसरे स्थान पर लोयला कॉलेज, चेन्नै ने जगह बना ली है. श्री उमिया आर्ट्स ऐंड कॉमर्स कॉलेज फॉर गर्ल्स, अहमदाबाद, गुरु नानक कॉलेज, चेन्नै और महारानी लक्ष्मी अम्मान्नी कॉलेज फॉर विमेन, बंगलुरू ने इस सूची में पहली बार जगह पाई है.

(लेडी श्री राम कॉलेज की उपलब्धियां)
मीनाक्षी पिछले 40 वर्षों से यहां पर हैं, जिसमें से 25 साल उन्होंने एक प्रिंसिपल के रूप में लेडी श्रीराम कॉलेज को अपनी सेवाएं दी हैं. गोपीनाथ ने यह नोटिस किया है कि उनकी छात्राओं में सामाजिक जागरूकता बढ़ रही है. वे कहती हैं, ‘‘ह्यूमैनिटीज के अध्ययन को अब सिर्फ रिसर्च या कॉर्पोरेट वर्क में ही विभाजित नहीं किया जा सकता. अब इसमें एक तीसरा विकल्प भी जुड़ गया है समाज सेवा का.’’
चाहे दिल्ली के कमला नेहरू कॉलेज की छात्राओं में महिला अधिकारों के बारे में बढ़ती जागरूकता हो या पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज के छात्रों का बाल विवाह के खिलाफ चलाया गया अभियान. अब किसी भी परिवर्तनकारी आंदोलन के लिए स्वयंसेवक बनना भारत में कैंपस जीवन का अनिवार्य हिस्सा हो गया है. कोलकाता की प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी की कुलपति मालबिका सरकार कहती हैं, ‘‘आज के युवा यह जानते हैं कि वे बदलाव के वाहक बन सकते हैं. आज के युवा यह बदलाव लाने के लिए काम भी करना चाहते हैं. वे जिस जुनून और हिम्मत के साथ कोई अभियान चलाते हैं या समाज के लिए अपनी स्वेच्छा से कार्य करते हैं, वह मुझे चकित करता है.’’ गोपीनाथ कहती हैं, ‘‘यह देखकर मेरे दिल को बहुत सुकून मिलता है कि बहुत-सी छात्राएं वंचित और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं.’’एलएसआर में पढऩे वाली छात्राओं के लिए पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक सवालों और मुद्दों से जुडऩे के अवसर काफी बढ़ गए हैं. विभिन्न विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत को प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी है और इसी बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए इस साल मार्च में कॉलेज में एक विशेष ‘‘आंग सान सेंटर फॉर पीस’’ का उद्घाटन किया गया है. साथ ही इसी महीने कॉलेज में जेंडर पर देश के सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक ‘द एकेडमिक कांग्रेस ऑन जेंडर’ का सफल आयोजन किया गया.
एलएसआर ने 32 नए विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू पर दस्तखत किए हैं, जिनमें फुकुओका महिला विश्वविद्यालय, जापान, ला ट्रोब विश्वविद्यालय, मेलबर्न और ट्रिनिटी कॉलेज, डब्लिन शामिल हैं. गोपीनाथ कहती हैं, ‘‘हम चाहते हैं कि हमारी छात्राएं न सिर्फ अकादमिक क्षेत्र में सफलता की सीढिय़ां चढ़ें, बल्कि एक मनुष्य के रूप में भी बड़ी मानवीय ऊंचाइयों को हासिल करें. यही कारण है कि हम इतने बड़े पैमाने पर इंटरनेशनल एक्सचेंज का आयोजन करते हैं, ताकि उन्हें दुनिया भर से सीखने का अवसर मिले.’’

समाज सेवा और अपने शानदार अकादमिक रिकॉर्ड की वजह से ही एलएसआर कॉलेज ने इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वे आर्ट्स की रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है. इस मामले में पिछले साल सूची में शीर्ष पर रहने वाला सेंट स्टीफंस कॉलेज दो पायदान नीचे खिसक गया है. दूसरे स्थान पर लोयला कॉलेज, चेन्नै ने जगह बना ली है. श्री उमिया आर्ट्स ऐंड कॉमर्स कॉलेज फॉर गर्ल्स, अहमदाबाद, गुरु नानक कॉलेज, चेन्नै और महारानी लक्ष्मी अम्मान्नी कॉलेज फॉर विमेन, बंगलुरू ने इस सूची में पहली बार जगह पाई है.

(लेडी श्री राम कॉलेज की उपलब्धियां)

