उनतीस साल की रूपाली आनंद कोई साधारण वकील नहीं हैं. एनयूजेएस, कोलकाता की स्नातक रूपाली के मुवक्किलों में विदेशी नस्ल के कुत्ते जैसे डॉबरमैन, सेंट बर्नार्ड, कोकर स्पैनियल, पोमरेनियन और कभी-कभी चिहुआहुआ (बेहद छोटे आकार का कुत्ता) शामिल हैं. पशु अधिकार और विधि विशेषज्ञ रूपाली से दिल्ली के परेशान पालतू पशु मालिक अकसर कानूनी सलाह लेते हैं. किसी को पालतू जानवर रखने के कारण मकान मालिक ने निकाल दिया, तो कोई तलाक के मुकदमे में अपने पालतू जानवर को साथ रखने के लिए लड़ रहा है या फिर जानवर की नस्ल के बारे में धोखा हो गया है. ऐसे सभी लोग रूपाली के पास आते हैं.
नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआइयू) बंगलुरू के कुलपति और कानून के प्रोफेसर आर. वेंकट राव ने बताया, ‘‘अब यह धारणा तेजी से बदल रही है कि लोग किसी अपराध या कंपनी के मुकदमे के लिए ही वकील की शरण में जाते हैं. अब तो लोग मेडिकल, साइबर, पर्यावरण, शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों के लिए भी वकीलों से सलाह लेते हैं. अब लॉ स्कूलों को इस बदलती सोच को पूरा करने के लिए अधिक विशेषज्ञ ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है.’’
ज्यादा विशिष्ट विषयों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए पिछले शिक्षा सत्र से देश के सभी प्रमुख लॉ स्कूलों ने अनेक नए प्रोग्राम और डिप्लोमा शुरू किए. इनमें एनएसएलआइयू में पब्लिक पॉलिसी, एनएएलएसएआर में एविएशन लॉ, एनयूजेएस में आंट्रेप्रेन्योरशिप एडमिनिस्ट्रेशन या पुणे के सिम्बायोसिस सोसाइटीज लॉ कॉलेज में श्रम कल्याण कानून जैसे तमाम विकल्प आज कानून के विद्यार्थियों के सामने मौजूद हैं. सीखने-सिखाने का यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता. सभी लॉ कॉलेज, नकली अदालती मुकदमे, फील्ड वर्क, इंटर्नशिप और जर्नल लेखन जैसी पाठ्येतर गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं.
नकली अदालतों यानी अभ्यास के लिए अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान जिरह की ओर लॉ स्कूल विशेष ध्यान दे रहे हैं. पिछले साल एनएलएसआइयू ने वाशिंगटन में प्रतिष्ठित फिलिप सी. जेसप इंटरनेशनल लॉ मूट कोर्ट कंपीटिशन जीता था. अंतिम वर्ष के छात्र राग यादव ने बताया, ‘‘14 साल बाद ट्रॉफी वापस घर आई. मुकाबला कड़ा था और हमें येल, हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे आइवी लीग के महारथियों से बहस करनी थी. मुझे इसलिए भी खुशी है कि मैंने सवश्रेष्ठ वक्ता का खिताब जीता.’’ कॉलेज में कानूनी और सामाजिक नियमों के प्रसार पर विशेष जोर दिया जाता है.
एनएलएसआइयू लीगल सर्विस क्लिनिक ने मई में कम सुविधा संपन्न लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा देकर मैकजैनेट फाउंडेशन से 5,000 डॉलर का इनाम जीता. राव बताते हैं, ‘‘इस साल हमने एक और अनूठी पहल की है. नोटिस बोर्ड पर हर रोज एक नया विचार लिखा जाता है. साल पूरा होने पर सभी 365 विचारों को पुस्तक की शक्ल देकर स्नातक की डिग्री हासिल कर रहे बैच को सौंप दिया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारे वकीलों में उनकी इंसानियत जिंदा रहे. आजीविका चाहने से ज्यादा हम उन्हें यहां जिंदगी को तरजीह देना सिखाते हैं.’’ एनएलएसआइयू ने दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत वेब आधारित कानून की पढ़ाई और इंटरैक्शन को हकीकत में तब्दील कर दिया है. क्लासरूम और कॉन्फ्रेंस हॉल को टेक्नोलॉजी के जरिए अत्याधुनिक बनाया गया है. अब यहां ओपन एक्सेस इनिशिएटिव के तहत डिजिटल लाइब्रेरी बनाई जा रही है, जिसमें दुनियाभर के कानून की शिक्षा से जुड़ी सामग्री उपलब्ध होगी.

इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वे में कानून की रैंकिंग में लगभग सभी कॉलेजों ने पहले 10 में अपना स्थान लगभग वही रखा है. एनएलएसआइयू ने एनएएलएसएआर से पहला नंबर छीन लिया है और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी पिछले साल के 11वें स्थान से 9वें स्थान पर आ गया है. पहले 25 कॉलेजों की सूची में गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑॅफ लॉ, भारतीय विद्यापीठ न्यू लॉ कॉलेज, पुणे, सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ, मुंबई और बीडी आंबेडकर लॉ कॉलेज, हैदराबाद नए नाम हैं.

नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआइयू) बंगलुरू के कुलपति और कानून के प्रोफेसर आर. वेंकट राव ने बताया, ‘‘अब यह धारणा तेजी से बदल रही है कि लोग किसी अपराध या कंपनी के मुकदमे के लिए ही वकील की शरण में जाते हैं. अब तो लोग मेडिकल, साइबर, पर्यावरण, शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों के लिए भी वकीलों से सलाह लेते हैं. अब लॉ स्कूलों को इस बदलती सोच को पूरा करने के लिए अधिक विशेषज्ञ ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है.’’ज्यादा विशिष्ट विषयों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए पिछले शिक्षा सत्र से देश के सभी प्रमुख लॉ स्कूलों ने अनेक नए प्रोग्राम और डिप्लोमा शुरू किए. इनमें एनएसएलआइयू में पब्लिक पॉलिसी, एनएएलएसएआर में एविएशन लॉ, एनयूजेएस में आंट्रेप्रेन्योरशिप एडमिनिस्ट्रेशन या पुणे के सिम्बायोसिस सोसाइटीज लॉ कॉलेज में श्रम कल्याण कानून जैसे तमाम विकल्प आज कानून के विद्यार्थियों के सामने मौजूद हैं. सीखने-सिखाने का यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता. सभी लॉ कॉलेज, नकली अदालती मुकदमे, फील्ड वर्क, इंटर्नशिप और जर्नल लेखन जैसी पाठ्येतर गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं.
नकली अदालतों यानी अभ्यास के लिए अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान जिरह की ओर लॉ स्कूल विशेष ध्यान दे रहे हैं. पिछले साल एनएलएसआइयू ने वाशिंगटन में प्रतिष्ठित फिलिप सी. जेसप इंटरनेशनल लॉ मूट कोर्ट कंपीटिशन जीता था. अंतिम वर्ष के छात्र राग यादव ने बताया, ‘‘14 साल बाद ट्रॉफी वापस घर आई. मुकाबला कड़ा था और हमें येल, हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे आइवी लीग के महारथियों से बहस करनी थी. मुझे इसलिए भी खुशी है कि मैंने सवश्रेष्ठ वक्ता का खिताब जीता.’’ कॉलेज में कानूनी और सामाजिक नियमों के प्रसार पर विशेष जोर दिया जाता है.
एनएलएसआइयू लीगल सर्विस क्लिनिक ने मई में कम सुविधा संपन्न लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा देकर मैकजैनेट फाउंडेशन से 5,000 डॉलर का इनाम जीता. राव बताते हैं, ‘‘इस साल हमने एक और अनूठी पहल की है. नोटिस बोर्ड पर हर रोज एक नया विचार लिखा जाता है. साल पूरा होने पर सभी 365 विचारों को पुस्तक की शक्ल देकर स्नातक की डिग्री हासिल कर रहे बैच को सौंप दिया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारे वकीलों में उनकी इंसानियत जिंदा रहे. आजीविका चाहने से ज्यादा हम उन्हें यहां जिंदगी को तरजीह देना सिखाते हैं.’’ एनएलएसआइयू ने दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत वेब आधारित कानून की पढ़ाई और इंटरैक्शन को हकीकत में तब्दील कर दिया है. क्लासरूम और कॉन्फ्रेंस हॉल को टेक्नोलॉजी के जरिए अत्याधुनिक बनाया गया है. अब यहां ओपन एक्सेस इनिशिएटिव के तहत डिजिटल लाइब्रेरी बनाई जा रही है, जिसमें दुनियाभर के कानून की शिक्षा से जुड़ी सामग्री उपलब्ध होगी.

इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वे में कानून की रैंकिंग में लगभग सभी कॉलेजों ने पहले 10 में अपना स्थान लगभग वही रखा है. एनएलएसआइयू ने एनएएलएसएआर से पहला नंबर छीन लिया है और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी पिछले साल के 11वें स्थान से 9वें स्थान पर आ गया है. पहले 25 कॉलेजों की सूची में गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑॅफ लॉ, भारतीय विद्यापीठ न्यू लॉ कॉलेज, पुणे, सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ, मुंबई और बीडी आंबेडकर लॉ कॉलेज, हैदराबाद नए नाम हैं.


