इक्कीस साल की उम्र में कॉमर्स ग्रेजुएट अनुषा उपाध्याय को पहली नौकरी डेलॉयट टूश तोमात्सू लिमिटेड में ऑडिट असिस्टेंट की मिली. बंगलुरू की क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में अपने दूसरे साथियों के विपरीत अनुषा ने अपने अंडरग्रेजुएट कोर्स के साथ चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एकाउंटेंट्स (सीआइएमए) से डिप्लोमा भी कर लिया. सीआइएमए के कंट्री हेड देबाशीष बिस्वास कहते हैं, ‘‘आज कोर्स सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं रहा. छात्र किसी विशेष उद्योग की पढ़ाई करके अपनी बी.कॉम डिग्री को कुछ और वजनदार बना सकते हैं. हमारा 2013 का सीआइएमए वेतन अध्ययन बताता है कि बिजनेस और मैनेजमेंट का व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले एकाउंटेंट ज्यादा तेजी से सिर्फ तरक्की ही नहीं करते, बल्कि अपने वेतन के बारे में बेहतर मोल-तोल भी कर पाते हैं.’’
आज कॉमर्स के छात्रों के सामने सिर्फ कई तरह की प्रोफेशनल विशेषज्ञता ही पाने का मौका नहीं होता, बल्कि कई अकादमिक विकल्प भी मौजूद हैं. बात चाहे दिल्ली के लेडी श्रीराम (एलएसआर) कॉलेज में आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग और ई-एकाउंटिंग के एप्लाइड कोर्स की हो या मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में मानवाधिकार पर विशेष कोर्स की पेशकश की, कॉमर्स अब सिर्फ मैथमेटिकल और न्यूमेरिकल विशेषज्ञता हासिल करने का खेल नहीं रह गया, बल्कि उसके साथ कामकाजी संबंधों और तकनीकी कुशलता का मामला भी जुड़ता जा रहा है.
एलएसआर के कॉमर्स विभाग में वरिष्ठ फैकल्टी सविता गोपाल कहती हैं, ‘‘दुनिया बदल रही है और इसी तरह कॉमर्स का भी रूप बदल रहा है. आज सबसे ज्यादा जोर काम से जुड़े नीति शास्त्र, प्रोफेशनल विशेषज्ञता और नेतृत्व क्षमता पर है.’’ बढ़ते मौकों के मद्देनजर देशभर के लगभग सभी कॉलेजों में कॉमर्स विभाग नई जरूरतों के मुताबिक खुद को ढाल रहे हैं. वे कहती हैं, ‘‘कॉलेज छात्रों की नौकरी पाने की क्षमताओं में शुरुआती कॉर्पोरेट अनुभव, प्रोफेशनल वर्कशॉप और फील्डवर्क के जरिए इजाफा किया जा सकता है.’’ खास यह है कि एलएसआर कॉलेज छात्रों को प्रोफेशनल स्किल्स से लैस करने पर फोकस करता है क्योंकि इसी के दम पर वे फील्ड में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.
पिछले साल श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के छात्रों ने पाठ्यक्रम से अलग कई तरह की गतिविधियों में हिस्सेदारी की. छात्रों ने ‘‘100 सेकंड्स टू फेम’’ टैलेंट कॉन्टेस्ट या नए भारत-कोरिया एक्सचेंज प्रोग्राम में हिस्सा लिया. इस तरह वे क्लास रूम के बाहर भी काफी सक्रिय रहे. एसआरसीसी के प्रोफेसर अभय कुमार कहते हैं, ‘‘भारत-कोरिया सांस्कृतिक संबंधों को प्रोत्साहन देने के लिए हमने 22 दक्षिण कोरियाई छात्रों को अपने कैंपस में बुलाया. इसका मकसद उन्हें अपनी परंपरा की जानकारी देना और उनसे नए विचार सीखना था.’’ यही नहीं, यहां का फेस्टिवल काफी लोकप्रिय भी है. कॉलेज की लोकप्रियता की एक वजह जहां इसका विश्व प्रसिद्ध होना है वहीं अरुण जेटली और राकेश ओमप्रकाश मेहरा जैसे स्टार स्टुडेंट्स की वजह से भी कॉलेज को लेकर कॉमर्स के छात्रों में काफी क्रेज देखा जाता है.
कॉलेज छात्रों के नॉन प्रॉफिट ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन इनैक्टस के साथ कार्यक्रमों पर भी विशेष जोर देता रहा है. पिछले साल छात्रों ने गाजियाबाद के एक गांव में मैला ढोने वालों को रोजगारपरक प्रशिक्षण देने के इनैक्ट्स के प्रोजेक्ट ‘‘अजमत’’ में हिस्सा लिया. उन्होंने कथक पपेट थिएटर के साथ मिलकर कठपुतली का खेल दिखाने वालों के सहयोग से कार्यक्रम को अंजाम दिया, जिसमें युवाओं के लिए कठपुतली नाच को प्रासंगिक बनाने पर जोर था.
एसआरसीसी ने इस साल भी शीर्ष पर अपना वर्चस्व कायम रखा है लेकिन इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण की कॉमर्स की रैंकिंग में 2014 में कई नए कॉलेजों ने भी अपना स्थान बनाया है. हैदराबाद का निजाम कॉलेज पहली बार 29वें नंबर पर आया है और वहीं के सेंट जोसफ्स डिग्री ऐंड पीजी कॉलेज ने भी पहली बार मुंबई के जय हिंद कॉलेज के साथ 41वें नंबर पर अपनी जगह बना ली है.

इनके अलावा एलएसआर, क्राइस्ट कॉलेज, नरसी मोंजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स ऐंड इकोनॉमिक्स और पुणे के सिम्बायोसिस सोसाइटी के कॉलेज ऑफ आर्ट्स ऐंड कॉमर्स की कुल रैंकिंग में भी तेजी से इजाफा हुआ है.

(एसआरसीसी में छात्र)
आज कॉमर्स के छात्रों के सामने सिर्फ कई तरह की प्रोफेशनल विशेषज्ञता ही पाने का मौका नहीं होता, बल्कि कई अकादमिक विकल्प भी मौजूद हैं. बात चाहे दिल्ली के लेडी श्रीराम (एलएसआर) कॉलेज में आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग और ई-एकाउंटिंग के एप्लाइड कोर्स की हो या मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में मानवाधिकार पर विशेष कोर्स की पेशकश की, कॉमर्स अब सिर्फ मैथमेटिकल और न्यूमेरिकल विशेषज्ञता हासिल करने का खेल नहीं रह गया, बल्कि उसके साथ कामकाजी संबंधों और तकनीकी कुशलता का मामला भी जुड़ता जा रहा है. एलएसआर के कॉमर्स विभाग में वरिष्ठ फैकल्टी सविता गोपाल कहती हैं, ‘‘दुनिया बदल रही है और इसी तरह कॉमर्स का भी रूप बदल रहा है. आज सबसे ज्यादा जोर काम से जुड़े नीति शास्त्र, प्रोफेशनल विशेषज्ञता और नेतृत्व क्षमता पर है.’’ बढ़ते मौकों के मद्देनजर देशभर के लगभग सभी कॉलेजों में कॉमर्स विभाग नई जरूरतों के मुताबिक खुद को ढाल रहे हैं. वे कहती हैं, ‘‘कॉलेज छात्रों की नौकरी पाने की क्षमताओं में शुरुआती कॉर्पोरेट अनुभव, प्रोफेशनल वर्कशॉप और फील्डवर्क के जरिए इजाफा किया जा सकता है.’’ खास यह है कि एलएसआर कॉलेज छात्रों को प्रोफेशनल स्किल्स से लैस करने पर फोकस करता है क्योंकि इसी के दम पर वे फील्ड में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.
पिछले साल श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के छात्रों ने पाठ्यक्रम से अलग कई तरह की गतिविधियों में हिस्सेदारी की. छात्रों ने ‘‘100 सेकंड्स टू फेम’’ टैलेंट कॉन्टेस्ट या नए भारत-कोरिया एक्सचेंज प्रोग्राम में हिस्सा लिया. इस तरह वे क्लास रूम के बाहर भी काफी सक्रिय रहे. एसआरसीसी के प्रोफेसर अभय कुमार कहते हैं, ‘‘भारत-कोरिया सांस्कृतिक संबंधों को प्रोत्साहन देने के लिए हमने 22 दक्षिण कोरियाई छात्रों को अपने कैंपस में बुलाया. इसका मकसद उन्हें अपनी परंपरा की जानकारी देना और उनसे नए विचार सीखना था.’’ यही नहीं, यहां का फेस्टिवल काफी लोकप्रिय भी है. कॉलेज की लोकप्रियता की एक वजह जहां इसका विश्व प्रसिद्ध होना है वहीं अरुण जेटली और राकेश ओमप्रकाश मेहरा जैसे स्टार स्टुडेंट्स की वजह से भी कॉलेज को लेकर कॉमर्स के छात्रों में काफी क्रेज देखा जाता है.
कॉलेज छात्रों के नॉन प्रॉफिट ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन इनैक्टस के साथ कार्यक्रमों पर भी विशेष जोर देता रहा है. पिछले साल छात्रों ने गाजियाबाद के एक गांव में मैला ढोने वालों को रोजगारपरक प्रशिक्षण देने के इनैक्ट्स के प्रोजेक्ट ‘‘अजमत’’ में हिस्सा लिया. उन्होंने कथक पपेट थिएटर के साथ मिलकर कठपुतली का खेल दिखाने वालों के सहयोग से कार्यक्रम को अंजाम दिया, जिसमें युवाओं के लिए कठपुतली नाच को प्रासंगिक बनाने पर जोर था.
एसआरसीसी ने इस साल भी शीर्ष पर अपना वर्चस्व कायम रखा है लेकिन इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण की कॉमर्स की रैंकिंग में 2014 में कई नए कॉलेजों ने भी अपना स्थान बनाया है. हैदराबाद का निजाम कॉलेज पहली बार 29वें नंबर पर आया है और वहीं के सेंट जोसफ्स डिग्री ऐंड पीजी कॉलेज ने भी पहली बार मुंबई के जय हिंद कॉलेज के साथ 41वें नंबर पर अपनी जगह बना ली है.

इनके अलावा एलएसआर, क्राइस्ट कॉलेज, नरसी मोंजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स ऐंड इकोनॉमिक्स और पुणे के सिम्बायोसिस सोसाइटी के कॉलेज ऑफ आर्ट्स ऐंड कॉमर्स की कुल रैंकिंग में भी तेजी से इजाफा हुआ है.

(एसआरसीसी में छात्र)

