इस साल 8 फरवरी को बंगलुरू में आयोजित इन्फोसिस साइंस प्राइज के अवार्ड समारोह में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने वैज्ञानिक शोध की बढ़ती जरूरतों और इसमें भारत की निभाई जा रही भूमिका की चर्चा की. उन्होंने कहा, “अतीत में विदेश में नौकरी की वजह से भारत ने अपने बहुत-से प्रतिभाशाली शोधकर्ता गंवा दिए थे. लेकिन अब इस रुझान में बदलाव का दौर जारी है. ऐसा युवा छात्रों को प्रोत्साहन और काम का अच्छा माहौल घर में ही मुहैया कराकर किया जा रहा है ताकि वे अपने सपनों को अपने ही देश में सच कर सकें. भारत अब प्रतिभाओं को अपने साथ बनाए रखने में सक्षम हो सका है.”
मनाली की 16 वर्षीया जया सागर को लीजिए, जिन्हें इंटेल कॉर्पोरेशन की ओर से अमेरिका के लॉस एंजेलिस जाने का मौका मिला है और जिन्होंने सेब की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से पॉलिनेटर को आकर्षित करने के लिए सरसों के फूलों का इस्तेमाल किया. या फिर विरुधुनगर के 17 वर्षीय टेनिथ आदित्य को, जिन्होंने इस साल इंटरनेशनल सस्टेनेबल वल्र्ड साइंस फेयर में भारत का प्रतिनिधित्व किया. आदित्य ने रासायनिक खाद के बिना ही केले के पत्तों की उम्र बढ़ाने पर काम किया. आज भारत में युवा प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के डायरेक्टर राजेश गोखले बताते हैं, “आज युवा रिसर्चर के लिए मौके काफी ज्यादा हैं.
पहली बात तो यह है कि अब किसी को स्कॉलरशिप या आर्थिक मदद हासिल करने के लिए करियर के अंत तक इंतजार करने की जरूरत नहीं. उद्योग जगत और विश्वविद्यालयों के बीच लगातार ऐसे समझौते बढ़ते जा रहे हैं जिससे छात्रों को बेहतर बुनियादी ढांचा और प्रशिक्षण मुहैया कराया जा सके. यहां तक कि इंटरनेट के प्रसार की वजह से छोटे कस्बों के युवाओं को भी वैज्ञानिक संसाधनों और प्रेरणा का एकदम नया संसार हासिल हो रहा है.”
इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वे की साइंस रैंकिंग-2014 भी वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे और मिजाज में इस सुधार को दर्शाती है. इसकी टॉप 50 की सूची में 11 नए कॉलेजों ने जगह बनाई हैः इनमें से चार तो टीयर-2 शहरों लखनऊ, जयपुर, कोच्चि और चंडीगढ़ से हैं. दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज और चेन्नै के लोयोला कॉलेज ने अपना पहला और दूसरा स्थान बनाए रखा है, जबकि पिछले साल पांचवें पायदान पर रहा मुंबई का सेंट जेवियर्स इस साल दो पायदान ऊपर खिसककर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में साइंस की फील्ड में नए कदम और मौकों के बारे में प्रतिबद्धता इस साल पूरी तरह से नया स्वरूप ले चुकी है जो इसके बिल्कुल नए सेंटर फॉर थ्योरिटिकल फिजिक्स से लेकर इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस और डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऐंड अप्लायड साइंसेज में छात्रों को इंटर्नशिप का मौका मिलने तक में देखी जा सकती है.

कॉलेज के प्रिंसिपल वालसन थम्पू बताते हैं, “हमारा साइंस विभाग अकादमिक प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने के लिए खास कोशिशें करता है. इसलिए हैरत की बात नहीं कि हमारे छात्र दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) की परीक्षाओं में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं.” पिछले तीन साल से सेंट स्टीफेंस के छात्र लगातार मैथ्स, फिजिक्स और कैमिस्ट्री की दिल्ली यूनिवर्सिटी की परीक्षा के टॉप 10 में अपनी जगह बनाते आ रहे हैं.

कॉलेज लगातार पढ़ाई से अलग अन्य गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रहा है. कॉलेज की सेकंड ईयर की छात्रा श्रिया सदांगी ने जर्मनी में आयोजित जूनियर इंटरनेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया है. कॉलेज कैंपस में फिलहाल 40 स्टुडेंट क्लब चलाए जा रहे हैं.
थम्पू कहते हैं, “इस तरह की गतिविधियां क्लास में मिली शिक्षा को और अधिक पुख्ता करने का काम करती हैं और शिक्षा के माध्यम से ‘संपूर्ण विकास’ के लक्ष्य को बढ़ावा देती हैं. संपूर्ण जीवन की इस संपदा को सेंट स्टीफंस कॉलेज की सबसे अनूठी विशेषता माना जा सकता है.”
मनाली की 16 वर्षीया जया सागर को लीजिए, जिन्हें इंटेल कॉर्पोरेशन की ओर से अमेरिका के लॉस एंजेलिस जाने का मौका मिला है और जिन्होंने सेब की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से पॉलिनेटर को आकर्षित करने के लिए सरसों के फूलों का इस्तेमाल किया. या फिर विरुधुनगर के 17 वर्षीय टेनिथ आदित्य को, जिन्होंने इस साल इंटरनेशनल सस्टेनेबल वल्र्ड साइंस फेयर में भारत का प्रतिनिधित्व किया. आदित्य ने रासायनिक खाद के बिना ही केले के पत्तों की उम्र बढ़ाने पर काम किया. आज भारत में युवा प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के डायरेक्टर राजेश गोखले बताते हैं, “आज युवा रिसर्चर के लिए मौके काफी ज्यादा हैं. पहली बात तो यह है कि अब किसी को स्कॉलरशिप या आर्थिक मदद हासिल करने के लिए करियर के अंत तक इंतजार करने की जरूरत नहीं. उद्योग जगत और विश्वविद्यालयों के बीच लगातार ऐसे समझौते बढ़ते जा रहे हैं जिससे छात्रों को बेहतर बुनियादी ढांचा और प्रशिक्षण मुहैया कराया जा सके. यहां तक कि इंटरनेट के प्रसार की वजह से छोटे कस्बों के युवाओं को भी वैज्ञानिक संसाधनों और प्रेरणा का एकदम नया संसार हासिल हो रहा है.”
इंडिया टुडे-नीलसन बेस्ट कॉलेज सर्वे की साइंस रैंकिंग-2014 भी वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे और मिजाज में इस सुधार को दर्शाती है. इसकी टॉप 50 की सूची में 11 नए कॉलेजों ने जगह बनाई हैः इनमें से चार तो टीयर-2 शहरों लखनऊ, जयपुर, कोच्चि और चंडीगढ़ से हैं. दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज और चेन्नै के लोयोला कॉलेज ने अपना पहला और दूसरा स्थान बनाए रखा है, जबकि पिछले साल पांचवें पायदान पर रहा मुंबई का सेंट जेवियर्स इस साल दो पायदान ऊपर खिसककर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में साइंस की फील्ड में नए कदम और मौकों के बारे में प्रतिबद्धता इस साल पूरी तरह से नया स्वरूप ले चुकी है जो इसके बिल्कुल नए सेंटर फॉर थ्योरिटिकल फिजिक्स से लेकर इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस और डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऐंड अप्लायड साइंसेज में छात्रों को इंटर्नशिप का मौका मिलने तक में देखी जा सकती है.

कॉलेज के प्रिंसिपल वालसन थम्पू बताते हैं, “हमारा साइंस विभाग अकादमिक प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने के लिए खास कोशिशें करता है. इसलिए हैरत की बात नहीं कि हमारे छात्र दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) की परीक्षाओं में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं.” पिछले तीन साल से सेंट स्टीफेंस के छात्र लगातार मैथ्स, फिजिक्स और कैमिस्ट्री की दिल्ली यूनिवर्सिटी की परीक्षा के टॉप 10 में अपनी जगह बनाते आ रहे हैं.

कॉलेज लगातार पढ़ाई से अलग अन्य गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रहा है. कॉलेज की सेकंड ईयर की छात्रा श्रिया सदांगी ने जर्मनी में आयोजित जूनियर इंटरनेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया है. कॉलेज कैंपस में फिलहाल 40 स्टुडेंट क्लब चलाए जा रहे हैं.
थम्पू कहते हैं, “इस तरह की गतिविधियां क्लास में मिली शिक्षा को और अधिक पुख्ता करने का काम करती हैं और शिक्षा के माध्यम से ‘संपूर्ण विकास’ के लक्ष्य को बढ़ावा देती हैं. संपूर्ण जीवन की इस संपदा को सेंट स्टीफंस कॉलेज की सबसे अनूठी विशेषता माना जा सकता है.”

