इस साल के सर्वे में लगातार दूसरे साल सबसे उम्दा कॉलेज होने का गौरव हासिल किया है सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया ऐंड कम्युनिकेशन (एसआइएमसी, अंडर ग्रेजुएट) ने. इस फेहरिस्त में दिल्ली का लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन दूसरे नंबर है और बंगलुरू का डिपार्टमेंट ऑफ मीडिया स्टडीज, क्राइस्ट कॉलेज तीसरे नंबर पर. पुणे के विमान नगर में स्थित एसआइएमसी (यूजी) ने प्रतिष्ठा, शैक्षणिक गुणवत्ता और नौकरी के अवसर जैसे मापदंडों पर सबसे ज्यादा अंक बटोरे.
इस साल के 10 बेहतरीन कॉलेजों की सूची में तीन नए कॉलेजों ने अपनी जगह बनाई है-मुंबई का जेवियर्स कॉलेज, सोफिया कॉलेज फॉर विमेन और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी का इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन ऐंड मीडिया टेक्नोलॉजी. किशनचंद चेल्लाराम कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स ऐंड साइंस का स्थान इस साल दो पायदान नीचे गिरकर 10वें नंबर पर पहुंच गया, जबकि चेन्नै का मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज पिछले साल के मुकाबले 10वें नंबर से पांच पायदान ऊपर चढ़कर पांचवें स्थान पर आ गया.
एसआइएमसी (यूजी) में कोर्स को कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि मीडिया उद्योग को सक्षम और प्रशिक्षित प्रोफेशनल मिल सकें, जो जनसंपर्क के क्षेत्र में भी बिल्कुल निपुण हों. ग्रेजुएट डिग्री की पढ़ाई करने वाले छात्रों को ऑडियो-विजुअल कम्युनिकेशन, पत्रकारिता, विज्ञापन और जनसंपर्क के विषय में बुनियादी बातें सिखाई जाती हैं और फिर उच्च शिक्षा की ओर जाने से पहले कम-से-कम दो साल के लिए अपने पसंदीदा क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. एसआइएमसी (यूजी) के निदेशक प्रोफेसर अनुपम सिद्धार्थ कहते हैं, ‘‘छात्रों की पूरी दिनचर्या को दो सत्रों में बांटा गया है-लंच से पहले थ्योरी और उसके बाद प्रैक्टिकल.’’
एसआइएमसी (यूजी) में प्रैक्टिकल पर विशेष जोर दिया जाता है और वह छात्रों की पढ़ाई का एक जरूरी हिस्सा है. छात्रों को हर महीने बाहर ले जाया जाता है और अतिथियों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है. छात्रों को फिल्में और डाक्युमेंटरी फिल्में दिखाई जाती हैं ताकि वे उद्योग जगत के रुझान से परिचित हो सकें. 2015 में ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने वाले बैच के एक छात्र अमन देशमुख कहते हैं, ‘‘यह संस्थान कोर्स की पढ़ाई और प्रैक्टिकल के साथ छात्रों को अन्य गतिविधियों से भी जोड़े रखता है. यहां इतना काम है कि स्टुडेंट एक पैर पर खड़े रहते हैं.’’
यहां विभिन्न आयोजनों के जरिए छात्रों के अनुभव में इजाफा करने की कोशिश होती है. जैसे कॉलेज की तरफ से स्टुडेंट फिल्म फेस्टिवल और अन्य विभिन्न प्रकार के आयोजनों में हिस्सा लेते हैं. इस साल अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लिया और संसद से प्रमाण पत्र हासिल किए. यहां के छात्रों ने सेंट्रल इंडियन हाइलैंड्स वाइल्डलाइफ फेस्टिवल और सनडांस इंस्टीट्यूट स्क्रीनराइटर्स लैब 2014 जैसे आयोजनों में हिस्सा लिया और पुरस्कार प्राप्त किए. एसआइएमसी के छात्रों ने रोटरी इंटरनेशनल के लिए फिल्में भी बनाई हैं.
पिछले साल एसआइएमसी (यूजी) ने पढ़ाई में कमजोर रहे छात्रों के लिए एक महीने का विशेष कोर्स शुरू किया. यहां छात्रों के एक्सचेंज प्रोग्राम या विनिमय कार्यक्रम पर भी जोर दिया जा रहा है. इस साल एक छात्र को तेमासेक फाउंडेशन लीडरशिप इनरिचमेंट ऐंड रीजनल नेटवर्किंग प्रोग्राम के माध्यम से सिंगापुर की ननयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में छह महीने बिताने का मौका मिला.

सिद्धार्थ कहते हैं, ‘‘इस संस्थान में हम ऐसे छात्रों को तैयार करते हैं, जो न सिर्फ शैक्षिक रूप से बहुत योग्य होते हैं, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ की चुनौतियों का भी ज्यादा तेजी और कुशलता के साथ मुकाबला कर लेते हैं.’’ यहां के छात्रों को पूरे कोर्स के दौरान पांच इंटर्नशिप करनी पड़ती हैं. इंटर्नशिप के जरिए उन्हें डेवलपमेंट सेक्टर और मीडिया उद्योग, दोनों क्षेत्रों का अनुभव मिल जाता है. इस साल चौथा बैच निकलने जा रहा है और अब तक छात्रों का प्लेसमेंट बहुत अच्छा रहा है. इस साल छात्रों को ओगिलवी ऐंड मैथर, गूगल, विजक्राफ्ट, सीएनएन-आइबीएन और जोमैंटो जैसी तमाम कंपनियों में नौकरियां मिल चुकी हैं.

(सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया ऐंड कम्युनिकेशन की उपलब्धियां)
इस साल के 10 बेहतरीन कॉलेजों की सूची में तीन नए कॉलेजों ने अपनी जगह बनाई है-मुंबई का जेवियर्स कॉलेज, सोफिया कॉलेज फॉर विमेन और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी का इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन ऐंड मीडिया टेक्नोलॉजी. किशनचंद चेल्लाराम कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स ऐंड साइंस का स्थान इस साल दो पायदान नीचे गिरकर 10वें नंबर पर पहुंच गया, जबकि चेन्नै का मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज पिछले साल के मुकाबले 10वें नंबर से पांच पायदान ऊपर चढ़कर पांचवें स्थान पर आ गया.एसआइएमसी (यूजी) में कोर्स को कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि मीडिया उद्योग को सक्षम और प्रशिक्षित प्रोफेशनल मिल सकें, जो जनसंपर्क के क्षेत्र में भी बिल्कुल निपुण हों. ग्रेजुएट डिग्री की पढ़ाई करने वाले छात्रों को ऑडियो-विजुअल कम्युनिकेशन, पत्रकारिता, विज्ञापन और जनसंपर्क के विषय में बुनियादी बातें सिखाई जाती हैं और फिर उच्च शिक्षा की ओर जाने से पहले कम-से-कम दो साल के लिए अपने पसंदीदा क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. एसआइएमसी (यूजी) के निदेशक प्रोफेसर अनुपम सिद्धार्थ कहते हैं, ‘‘छात्रों की पूरी दिनचर्या को दो सत्रों में बांटा गया है-लंच से पहले थ्योरी और उसके बाद प्रैक्टिकल.’’
एसआइएमसी (यूजी) में प्रैक्टिकल पर विशेष जोर दिया जाता है और वह छात्रों की पढ़ाई का एक जरूरी हिस्सा है. छात्रों को हर महीने बाहर ले जाया जाता है और अतिथियों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है. छात्रों को फिल्में और डाक्युमेंटरी फिल्में दिखाई जाती हैं ताकि वे उद्योग जगत के रुझान से परिचित हो सकें. 2015 में ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने वाले बैच के एक छात्र अमन देशमुख कहते हैं, ‘‘यह संस्थान कोर्स की पढ़ाई और प्रैक्टिकल के साथ छात्रों को अन्य गतिविधियों से भी जोड़े रखता है. यहां इतना काम है कि स्टुडेंट एक पैर पर खड़े रहते हैं.’’
यहां विभिन्न आयोजनों के जरिए छात्रों के अनुभव में इजाफा करने की कोशिश होती है. जैसे कॉलेज की तरफ से स्टुडेंट फिल्म फेस्टिवल और अन्य विभिन्न प्रकार के आयोजनों में हिस्सा लेते हैं. इस साल अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लिया और संसद से प्रमाण पत्र हासिल किए. यहां के छात्रों ने सेंट्रल इंडियन हाइलैंड्स वाइल्डलाइफ फेस्टिवल और सनडांस इंस्टीट्यूट स्क्रीनराइटर्स लैब 2014 जैसे आयोजनों में हिस्सा लिया और पुरस्कार प्राप्त किए. एसआइएमसी के छात्रों ने रोटरी इंटरनेशनल के लिए फिल्में भी बनाई हैं.
पिछले साल एसआइएमसी (यूजी) ने पढ़ाई में कमजोर रहे छात्रों के लिए एक महीने का विशेष कोर्स शुरू किया. यहां छात्रों के एक्सचेंज प्रोग्राम या विनिमय कार्यक्रम पर भी जोर दिया जा रहा है. इस साल एक छात्र को तेमासेक फाउंडेशन लीडरशिप इनरिचमेंट ऐंड रीजनल नेटवर्किंग प्रोग्राम के माध्यम से सिंगापुर की ननयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में छह महीने बिताने का मौका मिला.

सिद्धार्थ कहते हैं, ‘‘इस संस्थान में हम ऐसे छात्रों को तैयार करते हैं, जो न सिर्फ शैक्षिक रूप से बहुत योग्य होते हैं, बल्कि प्रोफेशनल लाइफ की चुनौतियों का भी ज्यादा तेजी और कुशलता के साथ मुकाबला कर लेते हैं.’’ यहां के छात्रों को पूरे कोर्स के दौरान पांच इंटर्नशिप करनी पड़ती हैं. इंटर्नशिप के जरिए उन्हें डेवलपमेंट सेक्टर और मीडिया उद्योग, दोनों क्षेत्रों का अनुभव मिल जाता है. इस साल चौथा बैच निकलने जा रहा है और अब तक छात्रों का प्लेसमेंट बहुत अच्छा रहा है. इस साल छात्रों को ओगिलवी ऐंड मैथर, गूगल, विजक्राफ्ट, सीएनएन-आइबीएन और जोमैंटो जैसी तमाम कंपनियों में नौकरियां मिल चुकी हैं.

(सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया ऐंड कम्युनिकेशन की उपलब्धियां)

