मध्य प्रदेश में इंदौर को शिक्षा और कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. यही वजह है कि प्रदेश के दूसरे शहरों ही नहीं बल्कि दूसरे राज्य के लोग भी यहां बड़ी संख्या में आकर बसते हैं. बढ़ती आबादी का दबाव और आवास के लिए जमीन की कमी ने यहां के रियल एस्टेट में वर्टिकल ग्रोथ को बढ़ावा दिया है. वरिष्ठ जिला रजिस्ट्रार यू.एस. वाजपेयी कहते हैं, ''इंदौर में बहुमंजिला इमारतों के लिए बहुत गुंजाइश है. दरअसल शहर का हॉरिजोंटल विस्तार अब रुक चुका है. ऐसे में बढ़ती आबादी को संभालने के लिए सिर्फ वर्टिकल विस्तार ही इकलौता विकल्प है.” रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े लोगों का भी मानना है कि आने वाले दिनों में वर्टिकल ग्रोथ में और तेजी आएगी. फिलहाल शहर की सबसे ऊंची इमारत है बाइपास पर बनी ओशन पार्क बिल्डर की 24 मंजिला ओशन पार्क इमारत.
हाइराइज बिल्डिंग्स सर्विस क्लास के लोगों की पहली पसंद बन चुकी है. इसकी एक और वजह यह है कि शहर के डेवलपर हाइराइज अपार्टमेंट्स में बेहद आकर्षक सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं जैसे क्लब हाउस, स्विमिंग पूल, जिम आदि. इंदौर में भूकंपरोधी इमारतों का कल्चर भी बढ़ रहा है. डेवलपर पिनेकल ड्रीम्स की भूकंपरोधी इमारत निर्माणाधीन है. डेवलपर्स का मानना है कि आने वाले पांच साल में इंदौर में रिमोट कंट्रोल से संचालित उपकरणों की सुविधाएं भी मिलने लगेंगी. इंदौर में हाइराइज इमारतें बना रहे डेवलपरों में अटलांटा, बीसीएम, समर सैफ्रन और पिनेकल ड्रीम öमुख हैं. इन्हीं में से समर सैफ्रन के निदेशक दीपक नाहटा कहते हैं, ''यह सब मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है. लेकिन समस्या यह है कि हाइराइज इमारतें अभी हर वर्ग की पसंद नहीं बनी हैं. कारोबारी जगत के लोगों को अब भी स्वतंत्र मकान ही पसंद हैं.”
सुविधाओं पर दिल खोलकर खर्च करने वाले इंदौर के लोग अब डेवलपर्स से विश्वस्तरीय सुख-सुविधाओं की मांग कर रहे हैं. यही वजह है कि कुछ साल पहले तक इंदौर के बिल्डर जो अपनी बहुमंजिला इमारतों में पावर बैकअप की इकलौती पेशकश ही कर पाते थे, अब लग्जरी सुविधाएं भी मुहैया करवा रहे हैं. प्यूमार्थ डेवलपर्स के एमडी मनोज कासलीवाल के मुताबिक, ज्यादातर लोग मिनी बार, गार्डन जैसी सुविधाओं के बारे में जानना चाहते हैं. वे कहते हैं, ''नई डिमांड है अपार्टमेंट में बास्केट बॉल और खेल परिसर, जहां बच्चे भी सुरक्षित माहौल में खेल सकें.’’
शहर के लोग भले ही लग्जरी सुविधाओं के शौकीन हों लेकिन हैरानी की बात है कि यहां अभी तक किसी भी डेवलपर ने पेंटहाउस कल्चर की शुरुआत नहीं की है.
हाइराइज बिल्डिंगों के दौर में एक नया चलन भी देखने को मिल रहा है. जो डेवलपर्स के मुताबिक यह है कि अब लोग ऊंची मंजिलों पर रहना पसंद कर रहे हैं. अटलांटा ग्रुप के एमडी अलंकार वाधवानी बताते हैं, ''आप जितनी ज्यादा ऊंची इमारत में फ्लैट लेंगे, वहां से उतना ही मजेदार नजारा मिलेगा. घर भी हवादार और खुला-खुला सा होगा. हमारा अनुभव कहता है कि लोग हवा और रोशनी की चाहत लिए ऊंची इमारतों में सबसे ऊपर रहना पसंद करते हैं और इसके लिए ज्यादा पैसा खर्च करने से भी गुरेज नहीं करते.” शहर में जमीन की कमी के कारण ज्यादातर बहुमंजिला इमारतें शहर के बाहर बन रही हैं. इनमें भी निपानिया और उसके आसपास के इलाकों में डीबी, मेपलवुड, ऑएस्टर और ओजोन जैसे शहर के तकरीबन सभी बड़े बिल्डर अपने प्रोजेक्ट ला रहे हैं. पिछले कुछ साल में यहां जमीन की कीमत तेजी से बढ़ी है. निपानिया में 3,000-3,500 रु. प्रति वर्ग फुट के हिसाब से फ्लैट मिल रहे हैं.
इंदौर के कुछ प्रमुख इलाकों में अपने प्रोजेक्ट लाने वाले राजेश मंगल कहते हैं, ''शहर में ऊंची इमारतों की मांग बढ़ रही है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आएगी क्योंकि दूसरे राज्यों और शहरों के लोग बड़ी संख्या में इंदौर का रुख कर रहे हैं.” इंदौर विकास प्राधिकरण में टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग के ज्वाइंट डायरेक्टर संजय मिश्र भी इस बात से इत्तेफाक रखते हुए कहते हैं, ''सुविधाओं और सुरक्षा की चाहत के चलते हाइराइज इमारतें लोगों की मजबूरी बन गई हैं.” इंडस्ट्री के कुछ दिग्गजों के मुताबिक बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट खरीदने के लिए अभी अच्छा समय चल रहा है क्योंकि बाजार के सुस्त होने से कीमतें कम हैं जो बाजार सुधरने पर निश्चित ही बढ़ेंगी. शहर के बिल्डर राजदीप मल्होत्रा कहते हैं, ''मैं हमेशा लोगों को सलाह देता हूं कि वे बाजार के कमजोर रहने पर मकान खरीदें.” बिल्डर सुनील अग्रवाल हाइराइज अर्पाटमेंट्स में रहने का एक और फायदा बताते हैं, ''हाइराइज इमारतें शहर के भीतर भी हैं, उनमें फ्लैट लेने से शहर की सीमा में रहने का फायदा मिलेगा.”
इंदौर में ऊंची इमारतों की संस्कृति अभी शुरुआती दौर में है. शहर में ऐसी कोई इमारत नहीं है जिसमें एलीवेटर सीधे घर में खुलता हो. इसके अलावा फिलहाल कई मौजूदा बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट के साथ पार्किंग सुविधा भी नहीं है. लेकिन इंडस्ट्री के लोगों का मानना है कि बुनियादी ढांचे का विकास कायदे से किया जाए और निर्माण के मानकों में कुछ रियायत दी जाए तो यह क्षेत्र तेजी से विकसित होगा.