आठ साल पहले जब संजय पांडे ने कर्ज लेकर न्यू सिटी सेंटर इलाके के गार्डन होम्स में फ्लैट लिया था तो वे यह नहीं जानते थे कि उनके इस फ्लैट की कीमत तीन गुना बढ़ जाएगी. पांडे की तरह ग्वालियर में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो आशियाने के रूप में मकान नहीं, फ्लैट लेना चाहते हैं. यह नई बसाहट न्यू सिटी सेंटर से लेकर काउंटर मैग्नेट सिटी में है. यहां एक दर्जन से ज्यादा डेवलपर नए आवासीय क्षेत्र विकसित कर रहे हैं. इन इलाकों में दस मंजिला इमारतों के दो दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट जल्द शुरू होने वाले हैं.
ग्वालियर तीन उपनगरों-लश्कर, मुरार और पुराने ग्वालियर में बसा हुआ है लेकिन आबादी बढऩे की वजह से शहर का विस्तार हुआ और न्यू सिटी सेंटर तथा काउंटर मैग्नेट सिटी बने. इन इलाकों में शिक्षा के बेहतर इंतजाम, दफ्तर और आवागमन के साधन सहित हर सुविधा मौजूद है.
शहर में जमीन की कमी है इसलिए ज्यादातर प्रोजेक्ट दस मंजिला इमारतों के हैं. शहर की सबसे बड़ी टाउनशिप बसंत कुंज सिग्नेचर विकसित कर रहे साईं इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के निदेशक मानक शंकर श्रीवास्तव कहते हैं, ''हम फ्लैट और डुप्लेक्स बना रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा मांग फ्लैट्स की है.” हाइराइज इमारतों की जरूरत को शहर के डेवलपर्स पहले ही समझ चुके थे. यहां की पहली 10 मंजिला इमारत सिल्वर एस्टेट 15 साल पहले ही बनकर तैयार हो गई थी. इसके निर्माता न्यूट्रिक कंस्ट्रक्शन ग्रुप के प्रमुख राहुल गुप्ता कहते हैं, ''हमने शहर की जरूरतों को बहुत पहले समझ् लिया था.”
न्यूट्रिक कंस्ट्रक्शन ग्रुप के गुलमोहर सिटी सहित अन्य प्रोजेक्ट न्यू सिटी सेंटर में बनकर तैयार हैं. सिल्वर एस्टेट की आठवीं मंजिल के एक फ्लैट में रहने वाले डॉ. राजेश गुप्ता बताते हैं, ''2004 में जब मैंने फ्लैट लिया था तो परिचितों ने कहा था कि इससे बेहतर होता कि बंगला ले लेते. लेकिन यहां के सुरक्षित माहौल को देखकर अपने फैसले पर कभी अफसोस नहीं हुआ. दो सौ परिवारों के मिलकर रहने, साथ में त्योहार मनाने की बात ही अलग है.” आठ साल से गार्डन होम्स के फ्लैट में रह रहे सॉफ्टेवयर इंजीनियर संजय पांडे कहते हैं, ''यहां के सभी पांच सौ परिवारों में जुड़ाव है. सबसे अहम है, सुरक्षा जो स्वतंत्र आवासों में नहीं मिलती.”
न्यू सिटी सेंटर और काउंटर मैग्नेट सिटी जैसे इलाकों में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी की वजह ब्लू लोटस के निदेशक महेश भारद्वाज बताते हैं, ''ये इलाके हाइवे के नजदीक हैं. न्यू सिटी सेंटर उस फोर लेन से जुड़ रहा है, जहां तीन एनएच-3, 75 और 92 तक सीधा पहुंच मार्ग है. यहां से रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट और पुराने ग्वालियर तक 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है.”
नए इलाकों में मिलने वाली शॉपिंग मॉल, स्पोट्र्स सेंटर और पार्क जैसी सुविधाएं पुराने शहर में नहीं हैं. लश्कर में रहने वाले सत्यजीत पाटनकर कहते हैं, ''यहां कार पार्क करने की जगह भी नहीं मिलती. इसीलिए मैं न्यू सिटी सेंटर में फ्लैट ले रहा हूं.” इन्हीं जरूरतों को देखते न्यूट्रिक ग्र्रुप, सत्यम बिल्डर्स, ब्लू लोटस, एसोटेक, मंत्री रिएलिटी, विजयलक्ष्मी और एक्जेलर ग्र्रुप जैसे बाहर के डेवलपर्स भी यहां आ चुके हैं.
लोगों की पसंद बना दूसरा इलाका है काउंटर मैग्नेट सिटी. इस सिटी की अवधारणा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के तहत बनाई गई है और आने वाले समय में यहां पर 3,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में नया शहर बस जाएगा. आगरा-मुंबई राजमार्ग के नजदीक बनने वाली इस सिटी में कई रियल एस्टेट कंपनियां आ रही हैं, इसके अलावा नया एयरपोर्ट, आइटी पार्क और प्रदेश सरकार का राज्य स्तरीय मुख्यालय भी यहां बनेगा. काउंटर मैग्नेट सिटी दो लाख आबादी के लिहाज से प्लान की गई है. इस इलाके को पानी और बिजली जैसी जरूरतों के लिए पुराने ग्वालियर पर निर्भर नहीं रहना होगा.
हाइराइज इमारतों के निर्माण को अनुमति देने वाले विभाग टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त संचालक वी.के. शर्मा बताते हैं, ''ग्वालियर को महानगर की तर्ज पर विकसित करने के लिए बाहर के इलाकों को विकसित करना जरूरी है.” वे बताते हैं कि न्यू सिटी सेंटर और काउंटर मैग्नेट सिटी में निर्माण की अनुमति ग्र्रीन बेल्ट, वाटर हार्वेस्टिंग, इलेक्ट्रिक सब स्टेशन से लेकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सहित सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर दी गई है. यानी ग्वालियर अब प्लान्ड सिटी बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है.