
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजे जल्द आने वाले हैं. ऐसे में भाजपा की ओर से मैदान में उतारे गए 18 सांसदों—जिसमें चार केंद्रीय मंत्री हैं—के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. इनमें से तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते मध्य प्रदेश से हैं, जहां सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. यहां हर सीट मायने रखती है, इसलिए चाहे भाजपा की सरकार बने या फिर बतौर विपक्ष पार्टी को मजबूती प्रदान करनी हो, इन मंत्रियों को राज्य में रुकना पड़ेगा. वहीं, भाजपा जीतती है तो मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान होना तय है. लोकसभा चुनाव में छह माह से कम का समय रह गया है, इसलिए राज्य के बड़े नेताओं के बीच टकराव थामने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से दखल दिया जा सकता है, पर आम चुनाव के बाद क्या होगा !
इंतजार की घड़ी
मतदान हो चुका है और राजस्थान के शीर्ष नेता नतीजों के दिन (3 दिसंबर) तक वक्त बिताने के लिए खास जुगत में हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फुरसत मिलते ही पहले बड़ी बहन विमला देवी से मिलने पहुंचे और फिर कांग्रेस के प्रचार के लिए तेलंगाना रवाना हो गए. वे बागियों समेत निर्दलीय उम्मीदवारों से भी संपर्क साधे हुए हैं. आखिर सरकार बनाने में कहीं उनकी 'मदद' की जरूरत न पड़ जाए. भाजपा नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे आरएसएस के वरिष्ठ नेता निंबाराम से (फिर से) मिलने पहुंचीं. वे त्रिपुरा सुंदरी मंदिर मत्था टेकने भी गईं. दो-तिहाई बहुमत से जीत का दावा करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी निर्दलीयों पर नजरें टिकाए हैं. सरकार गठन में 'बाहरी समर्थन' की जरूरत भी तो पड़ सकती है!
खल गईं खाली सीटें

जद (यू) की भीम संसद से पहले अपनी ताकत दिखाने के लिए भाजपा ने 25 नवंबर को पटना में झलकारी बाई जयंती समारोह आयोजित किया. उसमें भीड़ नहीं जुट पाई, यहां तक कि राज्य के शीर्ष नेता भी नहीं पहुंचे. भाजपा इसे लेकर असहज तो थी ही, अगले दिन जद (यू) नेता और सीएम नीतीश कुमार ने अपने कार्यक्रम में भी उसकी हंसी उड़ाई. भाजपा नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को साफ संदेश भेज दिया है कि अब कार्यक्रमों में 'कोई सीट खाली नहीं' रहनी चाहिए.
कहीं पे निशाना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन राज्य में कौशल विकास से जुड़े लोकप्रिय प्लेटफॉर्म नान मुधलवन (मैं सबसे आगे) को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. यह युवाओं को उद्योग-अनुरूप कौशल प्रदान करता है. इसके लिए ऑपरेशन्स आउटसोर्स किए जा रहे हैं. यह प्रोजेक्ट राज्य में करीब 3,70,000 युवाओं के प्रशिक्षण में मदद कर चुका है. ऐसे में यह कदम 2024 के आम चुनाव में युवा वोटरों के लिहाज से भी अहम साबित हो सकता है.
रथ पर विराम

गुजरात की भाजपा सरकार कठिन दौर से गुजर रही है. पार्टी के अपने नेता भी उस पर निशाना साध रहे हैं. केंद्रीय संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान 20 नवंबर को विकसित भारत संकल्प यात्रा (केंद्रीय योजनाओं के बारे में लोगों को बताने के अभियान) के तहत नर्मदा गांव के दौरे पर थे. तब एक ग्रामीण महिला ने उनसे शिकायत की कि उसे गांव तलाटी से आय प्रमाणपत्र (स्वास्थ्य योजना का लाभ उठाने के लिए अपेक्षित) नहीं मिल पा रहा है. यह सुनते ही उन्होंने जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई. वैसे, वे यात्रा के आखिरी पड़ाव के करीब पहुंच चुके थे, लेकिन सख्ती का संकेत देते हुए उन्होंने जिला कलेक्टर को उनके प्रचार रथ का अनुबंध रद्द करने का भी निर्देश दे डाला. आखिर, उसमें केंद्रीय योजनाओं पर कोई उपयुक्त वीडियो जो नहीं था.

