गुरुग्राम में रहने वाले सीनियर सॉफ्टवेयर एग्जीक्यूटिव सायरिल नायर परिवार के साथ जैसलमेर जा रहे थे. वे नए एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे पर घंटे भर दूर ही गए थे कि उन्हें अपने नन्हे बच्चे की आवाज सुनाई दी, ''पापा, मुझे सुसु आई है.'' वे बियाबान-सी जगह पर थे, अंधेरा छाया था और मूसलाधार बारिश हो रही थी इसलिए रुकना संभव नहीं था.
लगातार चल रहे वाइपर के पार कनखियों से झांकते हुए 44 वर्षीय नायर बस कुछ मीटर डामर ही देख सके. जनसुविधा (रेस्ट एरिया) का नामो-निशान नहीं था. वे बताते हैं, ''मुझे कहना पड़ा कि हम रुक नहीं सकते... दरअसल और 30 किलोमीटर ड्राइव के बाद ही हमें ऐसी जगह मिल सकती थी जहां अच्छा-सा वॉशरूम हो.''
इसी वाकये में में भारत के राजमार्गों में आए उछाल का विरोधाभास छिपा है. पर्यटन और उद्योग को ताकत देने के लिए बने 1,46,200 किमी चमचमाते राजमार्ग देश भर में फैले हैं, लेकिन सरकार नियंत्रित पेट्रोल पंप, फूड कोर्ट, टॉयलेट, मेडिकल रूम वाले चालू हालत के विश्राम स्थलों या वेसाइड एमेनिटीज (डब्ल्यूएसए) की संख्या केवल 94 है. हरेक विश्राम स्थल के बीच औसत गैप 1,553 किलोमीटर का है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय अब नीतिगत निर्णय से हालत सुधारने के क्रम में है और वैश्विक मानकों के अनुरूप 30-40 किमी पर ऐसी सुविधाएं देने का लक्ष्य तय कर चुका है. अमेरिका में हर 43 किमी, यूनाइटेड किंगडम में 35 किमी और चीन में 33 किलोमीटर पर वेसाइड एमेनिटीज उपलब्ध हैं.
एक नई नीति का मसौदा सभी पक्षों के बीच साझा किया गया है जिसमें डब्ल्यूएसए निजी भूमि पर खोलने जाने का एक खाका दिया गया है जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लि. (एनएचएलएमएल) लागू कराएगा. पूर्व में सरकार की तरफ से उठाए गए ऐसे अनेक कदम निवेशकों की कम रुचि, ट्रैफिक के गलत अनुमान, स्थानीय लोगों की तरफ से प्रतिस्पर्धा और निविदा व क्लियरेंस में नौकरशाही के रवैये के चलते विफल हो गए. इनमें तेल कंपनियों और एफऐंडबी ऑपरेटरों को यह काम सौंपा गया था.
बड़े प्रयासों में 2021 की एक सरकारी नीति थी जिसमें निजी क्षेत्र को फुटफॉल या राजस्व की गारंटी के बिना 5-10 करोड़ रु. का जोखिम भरा निवेश करना था. साथ ही बीते साल की हमसफर नीति भी शामिल है जिसमें मौजूदा और भविष्य की सुविधाओं को मंत्रालय के दायरे में रहते हुए मानकीकृत करना था लेकिन कम दिलचस्पी और लागू करने में कोताही के चलते यह भी विफल रही.
इस बार सरकार का इरादा सख्त नियंत्रण और कुछ वित्तीय बोझ उठाने का भी है जिसके तहत 5,000 डब्ल्यूएसए देश भर में खोलने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार का ध्यान प्रचुर मात्रा में उपलब्ध निजी भूमि पर इनके विस्तार का है क्योंकि सरकारी जमीन पर केवल 700-900 सुविधाएं ही खोली जा सकती हैं.
बदलाव का लंबा रास्ता
नई प्रस्तावित नीति वित्तीय प्रोत्साहन देकर इन उद्यमों में नई जान फूंकने का जतन करती है. अगर आपके पास जमीन है, तो आप सड़क किनारे सुविधाएं खोलकर एनएचएलएमएल की फ्रेंचाइज के तौर पर चला सकते हैं. आप निकाय को पट्टे पर दे सकते हैं, जो बोली लगाकर इसे संचालक को देगा. पहले तीन साल 100 रुपए महीने और उसके बाद 25,000 रुपए की फ्रेंचाइज फीस (एनएचएलएमएल को देय) सालाना आधार पर रखी जाएगी. अगर आप ट्रक चालकों की सुविधा के लिए किफायत और गुणवत्ता के मानकों को पूरा करते हैं, तो 25 फीसद की छूट मिलेगी. मुनाफे की खातिर दाम ऊंचे रखने की इजाजत नहीं है.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं, ''दुर्भाग्य से यह गलत धारणा है कि हर चीज से राजस्व पैदा होना ही चाहिए. गुणवत्ता से भरपूर सेवाएं यानी स्वच्छ शौचालय, रेस्तरां, विश्राम स्थल देना और स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पाद सुलभ करवाना हमारा कर्तव्य है. मगर यह सामाजिक पहलू निविदा की प्रक्रिया में अक्सर गुम हो जाता है. निविदाएं निकाली जाती हैं, कम लोग भरते हैं, कुछ कंपनियां पीछे हट जाती हैं. यह मानसिकता बदलनी होगी...''
सरकार इस पर वास्तविक समय में यूजर्स की प्रतिक्रिया चाहती है. जैसे डब्ल्यूएसए को एनएचएआइ के ऐप 'राजमार्गयात्रा' पर सूचीबद्ध होना अनिवार्य है, जहां शौचालय, प्रकाश व्यवस्था, ईंधन स्टेशन और साफ-सफाई के रखरखाव के लक्ष्य नियमित प्रकाशित किए जाएंगे. विवेकशील यात्रियों की मदद के लिए ऐप पर यूजर रेटिंग भी होंगी.
दूसरी जरूरतें भी पूरी करनी होंगी. सड़क किनारे सुविधाएं राष्ट्रीय राजमार्ग पर या पहुंच बिंदु से एक किलोमीटर के भीतर होनी चाहिए, जमीन मालिक के पास जमीन की पूरी मिल्कियत होनी चाहिए, भूखंड का पट्टा 30 साल के लिए होगा, जगह के 60 फीसद हिस्से पर मुफ्त पार्किंग रखनी होगी.
आम तौर पर दी जाने वाली सुविधाओं के अलावा, फस्र्ट एड या प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, शिशु देखभाल कक्ष, ड्राइवर डॉर्म या शयनकक्ष, बच्चों के खेलने की जगह और वाहन धुलाई स्टेशन होना अनिवार्य है. दो ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) कियोस्क नियमित किरायों पर साल भर बारी-बारी से चलने चाहिए, ताकि स्थानीय उत्पादकों का टिकना पक्का हो सके. इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग, एटीएम और क्लिनिक सरीखी दूसरी सुविधाएं वैकल्पिक होंगी.
खतरों और सावधानी की चेतावनी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सारा दारोमदार अमल पर है. क्रिसिल मार्केटिंग इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स की डायरेक्टर अंजलि नाथवानी का कहना है कि यह पक्का करना बहुत जरूरी है कि अनुबंध से जुड़े दायित्व और खासकर वे जिनका वास्ता जमीन, बुनियादी ढांचे और उपयोगिता सुविधाओं से है, पूरे किए जाएं. वे इस सूची में ऑयल मार्केटिंग और खाद्य सुरक्षा की मंजूरियों को जोड़ते हुए यह भी कहती हैं, ''अड़चनों के समाधान निकालने से निवेशकों की दिलचस्पी बनी रहेगी और लंबे वक्त की कामयाबी भी तय होगी.''
चिंता की एक और वजह यातायात को लेकर सरकार के अनुमान हैं. मसलन, नीति आयोग ने इस जून में दो प्रस्तावित राजमार्गों के यातायात अनुमानों पर सवाल उठाए. उसने बताया कि बिहार में एनएच 33 पर मोकामा से मुंगेर की पट्टी पर करीब दो-तिहाई वाहन बाइक, ऑटो-रिक्शे और ट्रैक्टर हैं, जिसका अर्थ है कि सड़क को छह लेन का करने के बजाए सर्विस लेन बनाने में ज्यादा समझदारी है. एनएच 60 (नासिक-अहमदाबाद-सोलापुर-अक्कलकोट) पर निकाय और व्यय विभाग का सतर्क आकलन यह था कि दैनिक यातायात 17,000 वाहनों से दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 38,000 वाहन हो जाएगा. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अपने बचाव में उस सर्वे का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि एनएच 48 और एनएच 52 का यातायात इस पर आ जाएगा.
उसके आने की संभावना अलबत्ता इसलिए नहीं है क्योंकि सड़क किनारे डब्ल्यूएसए नहीं हैं. संभावना यही है कि खासकर ट्रक चालक ऐसे मार्ग से बचेंगे. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (एआइटीडब्ल्यूए) के सीईओ जे.पी. सिंगला सवाल करते हैं, ''ड्राइवर को खाने-पीने का सामान नहीं मिलेगा तो वह कहां जाएगा? और अगर दाम इतने ज्यादा हैं कि ट्रक चालक सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकता, तो कौन सड़क किनारे सुविधाएं खोलेगा?'' एसोसिएशन ने सुविधाओं के अभाव और राजमार्ग पर हादसों के बीच की कड़ी की तरफ भी ध्यान दिलाया. उसका अनुमान है कि 40 फीसद हादसे ड्राइवरों के थकान से चूर होने की वजह से होते हैं.
हाइवेज ऑपरेटर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और वर्टिस इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के प्रमुख जफर खान का कहना है कि अंत में बात फुटफॉल यानी आने वालों की संख्या पर आकर टिक जाती है. वे कहते हैं, ''जिन इलाकों में आने वालों की तादाद अच्छी है, (मसलन) दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-देहरादून, मुंबई-पुणे सरीखी प्रमुख सड़कों पर, वहां सुविधाओं का विकास तेजी से हो रहा है. लेकिन जहां कुछ नहीं है, मसलन उत्तर प्रदेश में, आप रुके बिना लगातार 200 किमी जाएं और बिल्कुल कुछ न दिखता हो... तो आप असुरक्षित महसूस करते हैं. अगर रात 2 बजे कुछ हो जाता है, तो अकेला विकल्प यही है कि 1033 पर कॉल करें और टोल प्लाजा पर ले जाए जाएं.''
ड्राइवर अलबत्ता वैकल्पिक तरीके अपना रहे हैं. देश भर में 368 जगहों पर 'अपना घर' नाम से विश्राम स्थल उभर आए हैं, जो तेल विपणन कंपनियों ने बनाए हैं. यहां रात्रि विश्राम की सुविधा सस्ती है और फिलहाल 4,611 बिस्तर मौजूद हैं, लेकिन सीसीटीवी अक्सर काम नहीं करते, जो बड़ी खामी है क्योंकि ट्रक अक्सर लाखों रुपए का माल लेकर चलते हैं. मगर हफ्ते में तीन राज्यों की खाक छानने वाले ड्राइवर जितेंद्र कुशवाहा को कोई परेशानी नहीं. वे कहते हैं, ''मुझे साफ-सुथरा बिस्तर, नहाने की सुविधा, सस्ती थाली, टायर मरम्मत की सेवा और कपड़े धोने की सुविधा दो. दाम सही रखो और यह सब सारी रात खुला रखो. मैं इसी के इर्द-गिर्द यात्रा की योजना बनाऊंगा.''
चाहे जो हो, गडकरी पिछले गलत कदमों के बारे में स्पष्टवादी हैं. वे कहते हैं, ''हम नीतियों की समीक्षा कर रहे हैं, कमियों को सुधार रहे हैं, और विश्वस्तरीय सेवाएं देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. कुछ डेवलपरों का कहना है कि अनुमानित यातायात नहीं मिला. यह अलग मसला है, लेकिन हमें सुधार में जुटे रहना चाहिए.'' यही वह वादा है जिस पर भारतीय यात्री भरोसा करके चल रहे हैं—गरिमामयी, सुरक्षित और आरामदायक जगह जो सड़क पर उनके थके होने का स्वागत करे.
नई नीति, नए लक्ष्य
2025 की वेसाइड एमेनिटीज नीति के तहत पूरे देश में तेजी से निजी निवेश के सहारे 5,000 रेस्ट फैसिलिटी या जनसुविधाएं स्थापित करने का लक्ष्य है-
जिम्मेदार प्राधिकरण और मॉडल : नई नीति एक नया फ्रेंचाइजी मॉडल पेश करती है जिसका प्रबंधन नेशनल हाइवेज लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट (एनएचएलएमएल) करेगी, जिसे पूरी तरह निजी भूमि पर विकसित किया जाएगा.
जमीन का स्वामित्व और पट्टा : निजी जमीन मालिकों को एनएचएलएमएल की फ्रेंचाइजी के लिए अनिवार्य रूप से एक कंपनी बनानी होगी या वे अपनी जमीन संस्था को 30 साल की लीज पर सालाना 100 रु. की फीस पर दे सकेंगे
लोकेशन : एमेनिटीज को प्रत्येक 30-40 किमी पर खोलने का लक्ष्य है जो पहले 40-60 किमी था. इसमें जमीन 0-2 एकड़, 2-5 एकड़ या 5 एकड़ से अधिक हो सकती है. जमीन का फ्रंट 100 मीटर (पहाड़ी क्षेत्र मं 50 मीटर) का होना चाहिए. यह शहर या कस्बे से 5 किमी के दायरे में नहीं होना चाहिए.
फाइनेंस : फ्रेंचाइजी वित्तपोषण के लिए पूरी तरह उत्तरदायी होगा. पहले तीन वर्षों के लिए एनएचएलएमएल 100 रु. की मासिक फ्रेंचाइजी फीस लेगा जो बाद में महंगाई के समायोजन के साथ बढ़कर 25,000 रु. प्रति माह हो जाएगी
डिजाइन : कम से कम 60 प्रतिशत ओपन स्पेस होना चाहिए लेकिन अधिकतम कवर्ड एरिया 35 प्रतिशत ही होगा. फ्रेंचाइजी को एनएचएलएमएल के मानक लेआउट और डिजाइन का पालन करना होगा
करार और लीज की समाप्ति : डिजाइन का अनुपालन न करने, खराब संचालन और पेमेंट डिफॉल्ट की स्थिति में फेंचाइज खत्म हो सकती है. लीज को 30 साल बाद बढ़ाया जा सकता है या संपत्ति जमीन मालिक को सौंप दी जाएगी

