अनिल धीरूभाई अंबानी की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं. 3 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत उनके नेतृत्व वाले रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) की करोड़ों रुपए की संपत्ति कुर्क कर ली और उन पर शिकंजा कस दिया.
एजेंसी ने कहा कि वह ''वित्तीय अपराध करने वालों की सक्रियता से तलाश कर रही है और अपराध की कमाई उसके असली दावेदारों को वापस दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.'' आगे की जांच चल रही है. आइए जानते हैं कि कथित धोखाधड़ी कैसे सामने आई, क्या जब्त किया गया और आखिर क्या कहना है परेशानी में फंसे इस समूह का ईडी की इस कार्रवाई पर
अनिल अंबानी की कंपनी से जुड़ी क्या-क्या संपत्ति जब्त हुई
7,500 करोड़ रु. ईडी की ओर से अनिल अंबानी की जब्त संपत्तियों की कीमत है. नवी मुंबई में धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी की 132 एकड़ जमीन सरकार एजेंसी ने जब्त की है. इन संपत्तियों को ''रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) के बैंक धोखाधड़ी मामले'' के तहत जब्त किया गया है.
कीमत: 4,462 करोड़ रुपए
इसके अलावा भी अनिल अंबानी की विभिन्न कंपनियों से जुड़ी अन्य संपत्तियों को भी जब्त किया गया है, जिनमें कार्यालय परिसर, आवासीय इकाइयां और भूखंड शामिल है. इनकी कीमत: 3,083 करोड़ रुपए बताई जा रही है.
क्यों की ईडी ने कार्रवाई
> एडीएजी एजेंसियों की जांच के घेरे में था. ऋणदाताओं ने कथित अनुचित व्यवहार और धन को अवैध तरीके से इधर-उधर करने पर समूह के ऋण खातों को 'धोखाधड़ी' के रूप में रखते हुए डिफॉल्ट के जोखिम की श्रेणी में डाल दिया था
> इस संकट की जड़ें अगस्त 2024 से देखी जा सकती हैं, जब सेबी ने कथित धोखाधड़ी वाली योजनाएं जारी रखने पर अनिल और 24 अन्य इकाइयों को सिक्योरिटीज बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था
> ईडी की जांच का आधार थी आरकॉम, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की विभिन्न धाराओं के तहत सीबीआइ की एफआइआर
आरकॉम और समूह की अन्य कंपनियों ने 2010-2012 के बाद से घरेलू और विदेशी कर्जदाताओं से ऋण लिया, जिसमें से कुल 40,185 करोड़ रुपए बकाया है. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कर्जदाताओं ने समूह के ऋण खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया है
*मुंबई के पाली हिल में एक आवासीय संपत्ति, नई दिल्ली में महाराजा रंजीत सिंह रोड पर रिलायंस सेंटर और दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नै (कांचीपुरम सहित) और आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले की कई संपत्तियां शामिल
कथित 'धोखाधड़ी' का तरीका
- ईडी के दावे के मुताबिक, वित्तीय अनियमितताओं के कारण ये कार्रवाई की गई है. एक कंपनी की ओर से किसी एक बैंक से लिए गए ऋण का इस्तेमाल दूसरी इकाइयों के अन्य बैंकों से लिए गए कर्जों के पुनर्भुगतान में किया गया, इसे संबंधित पक्षों को ट्रांसफर और म्युचुअल फंड में भी निवेश किया गया, जो ऋण स्वीकृति पत्र की शर्तों और नियमों के खिलाफ है.
- आरकॉम और अन्य कंपनियों ने मौजूदा ऋणों को एनपीए बनने से रोकने के लिए 13,600 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम की हेरफेर की. इसमें से 12,600 करोड़ रुपए से ज्यादा संबंधित पक्षों को दिए गए और 1,800 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि एफडी और म्युचुअल फंड में निवेश की गई, फिर इनमें से एक बड़ा हिस्सा भुनाकर समूह की इकाइयों को दिया गया.
- संबंधित पक्षों को पैसे ट्रांसफर करने के उद्देश्य से बिल डिस्काउंटिंग का भारी दुरुपयोग किया गया. कुछ ऋणों को भारत से बाहर विदेश ले जाया गया.
- 2017 और 2019 के बीच येस बैंक ने विभिन्न माध्यमों से रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) में 2,965 करोड़ रुपए और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) में 2,045 करोड़ रुपए का निवेश किया. ये निवेश दिसंबर 2019 तक फंस गए और आरएचएफएल पर 1,353 करोड़ रुपए और आरसीएफएल पर 1,984 करोड़ रुपए बकाया थे.
- ऋण बिना किसी उचित जांच-परख के वितरित किए गए, जिनमें से कई तो आवेदन और स्वीकृति के दिन ही प्रोसेस कर दिए गए. कुछ मामलों में आवेदन आने से पहले ही ऋण दे दिए गए.
- समूह से जुड़ी कंपनियों को बड़े पैमाने पर पैसे ट्रांसफर किए गए और उसे आगे उधार दे दिया गया जो ''जान-बूझकर और नियंत्रण में की गई लगातार चूक'' थी.
- रिलायंस निप्पॉन ने म्यूचुअल फंड के जरिए आम लोगों से जो पैसे इकट्ठा किए, उसे कथित तौर पर येस बैंक के आरएचएफएल और आरसीएफएल में एक्सपोजर के जरिए रूट किया गया था. ये पैसे आखिरकार ग्रुप कंपनियों में पहुंच गए.
क्या कह रहा एडीएजी?
रिलायंस समूह ने अपने बयान में कहा, ''ईडी की ओर से कुर्क अधिकांश संपत्ति, मूल्य के हिसाब से रिलायंस कम्युनिकेशंस की है. ये अब रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (दिवाला पेशेवर) और भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाली लेनदारों की समिति के नियंत्रण में हैं.''
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के मुताबिक, ''हम सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी की कुछ संपत्तियों को ईडी ने पीएमएलए के कथित उल्लंघनों पर अस्थाई रूप से जब्त किया है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के व्यावसायिक संचालन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. अनिल डी. अंबानी 3.5 साल से ज्यादा समय से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के बोर्ड में नहीं हैं.''

