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सुजीत चौधरी ने समुद्री झींगा पालन से अपने गांव में बदलाव की इबारत कैसे लिखी?

सुजीत कुमार चौधरी ने खारे पानी से अभिशप्त रायबरेली के गांवों में समुद्री झींगा, मछली के उत्पादन की मुहिम चलाकर बदलाव की इबारत लिखी

मछली पालन की अपनी कोशिश में कामयाब सुजीत कुमार चौधरी
अपडेटेड 29 सितंबर , 2025

रायबरेली जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर अमावा ब्लॉक में खैराना और आसपास के गांव के किसान जमीन के भीतर खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. इस कारण वहां कोई फसल नहीं होती और कई किसानों को मजदूरी करके परिवार का पेट पालना पड़ता है.

मगर अब इनकी जिंदगी में बदलाव की नींव पड़ चुकी है. खैराना गांव के 27 वर्षीय किसान सज्जाद अली ने डेढ़ एकड़ जमीन पर तालाब खोदकर समुद्री झींगा मछली का उत्पादन किया और उसे बेचकर इस साल दो लाख रुपए कमाए. वे अब और ज्यादा जमीन पर झींगा उत्पादन कर आमदनी बढ़ाने की सोच रहे हैं.

इस इलाके में बदलाव की यह कहानी संभव हुई है मछली पालन में नवोन्मेष के जरिए पहचान बना रहे एक्वाएक्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) सुजीत कुमार चौधरी की मुहिम से. तीन साल पहले उन्होंने रायबरेली में समुद्री झींगा मछली (श्रिम्प) की खेती की सोची. प्रयोग के तौर पर खैराना में किसानों से किराए पर डेढ़ एकड़ जमीन लेकर सुजीत ने तालाब खुदवाया और पानी में झींगा के बीज डाले. मगर मछलियां मर गईं. सुजीत ने पाया कि झींगा को जीने के लिए अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है.

ऑक्सीजन बढ़ाने के लिए तालाब में 'एयरेटर' (एक तरह के फव्वारे) लगाए गए. यह युक्ति काम कर गई और अगली बार डेढ़ एकड़ में तीन टन से ज्यादा मछली पैदा हुईं. सुजीत ने दूसरे किसानों को भी इस मुहिम से जोड़ा और 15 एकड़ जमीन पर 30 टन झींगा पैदा किया. इसके बाद और भी किसान जुड़े और खैराना में रिकॉर्ड 50 टन से ज्यादा झींगा उत्पादन हुआ. मत्स्य विभाग की उपनिदेशक सुनीता वर्मा बताती हैं, ''सुजीत के अभिनव प्रयोग ने खारे पानी से अभिशप्त खैराना और आसपास के गांव के किसानों के जीवन में मिठास घोल दी.''

बस्ती जिले के वाल्टरगंज निवासी सुजीत ने 2005 में बीटेक करने के बाद 11 वर्ष तक इन्फोसिस, इंडस वैली पार्टनर्स और एक प्रतिष्ठित अमेरिकी कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम किया. अमेरिका से सुजीत 2016 में नोएडा आ गए. वहां उन्होंने हेल्थकेयर सॉफ्टवेयर बनाने वाली अपनी पहली कंपनी एरेमेडियम प्राइवेट लिमिटेड शुरू की. 2020 में कोरोना काल में अपने बीमार माता-पिता की देखरेख करने इकलौते पुत्र सुजीत लखनऊ आकर बस गए. फिर उन्होंने कोई नया कारोबार करने की सोची. वे बताते हैं, ''मैं मत्स्य विभाग के अधिकारियों के संपर्क में आया.

मुझे पता चला कि यूपी में जितना मछली उत्पादन होता है उसके दोगुने से ज्यादा मांग है. फिर मैंने मत्स्य पालन के कारोबार की सोची.'' सुजीत ने अधिकारियों की सलाह पर इसके लिए रायबरेली को चुना. वहां की महाराजगंज तहसील में बावन बुजुर्ग बल्ला गांव में स्थानीय किसान मोहम्मद रहमत और इनामुल हसन के साथ मिलकर सुजीत ने अगस्त, 2021 से पंगास, रोहू, कतला जैसी मछलियों का उत्पादन शुरू किया. फिलहाल सुजीत रायबरेली, उन्नाव और प्रतापगढ़ में 350 एकड़ जमीन पर 50 से ज्यादा किसानों के साथ मिलकर मत्स्य पालन कर रहे हैं.

सुजीत ने इसमें नई तकनीक भी जोड़ी. इनमें है 'एक्वा-आइ'' डिजिटल डिवाइस जो तालाब के मापदंड जैसे पीएच, अमोनिया, ऑक्सीजन और तापमान पर निरंतर नजर रखती है. वे बताते हैं, ''इससे मछलियों के मरने का जोखिम कम हो जाता है. पानी के मानक बिगड़ते ही यंत्र किसान को मोबाइल पर अलर्ट भेजता है.'' उन्होंने मछलियों के पसंदीदा भोजन ब्लैक सोल्जर फ्लाइ (मक्खी) के लार्वा का उपयोग शुरू किया. वे लार्वा को सड़ी-गली सब्जियों पर विकसित करते हैं. बड़े होने पर लार्वा को सैनिटाइज कर उसका पाउडर मछलियों को खिलाते है. सुजीत के साथ जुड़े किसान रहमत बताते हैं, ''इससे दाने का खर्च बचता है, साथ ही ऑर्गेनिक ढंग से तैयार इन मछलियों की अच्छी कीमत मिलती है.''

मछलियों को तालाब से बाजार पहुंचाने के लिए सुजीत ने किसानों की मदद से ई-रिक्शा को 'जिंदा मछली विक्रय केंद्र' में बदल दिया. इस 'एक्वा व्हील' में ऑक्सीजन और तापमान को बनाए रखने के साथ मछली को साफ पानी में धोकर सील्डपैक में उपभोक्ता को देने की व्यवस्था है. सुजीत के मुताबिक, इससे लोगों को ताजा मछली मिलती है और बिचौलिया न होने से किसान को 20 फीसद से ज्यादा फायदा होता है. इसी नवोन्मेष के चलते उन्हें 2022 में 'नेशनल बेस्ट फिश फार्मर (इनलैंड)' से सम्मानित किया जा चुका है.

सुजीत कुमार चौधरी के मुताबिक, ''हमारी कंपनी ने खारे पानी वाले खेत में सफलतापूर्वक समुद्री झींगा मछली का उत्पादन कर किसानों को रोजगार की नई राह दिखाई है. तकनीक के समावेश से मछली पालन की लागत भी काफी कम हुई है. इसने यूपी से मछली के निर्यात की पृष्ठभूमि तैयार कर दी.''

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