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ऑपरेशन सिंदूर: एयर फोर्स के सबूत पर क्यों उठ रहे सवाल?

पाकिस्तान में घुसकर हमले करने के तीन महीने बाद भारतीय वायु सेना ने बताया कि दुश्मन के कितने विमान मार गिराए. लेकिन, इस खुलासे के वक्त, राजनीति और नैरेटिव को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं.

एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह
अपडेटेड 9 सितंबर , 2025

बंदूकें खामोश होने के तीन महीने बाद भारतीय वायु सेना के प्रमुख ने आखिरकार जुबान खोली. बेंगलूरू में एयर चीफ मार्शल एल.एम. कात्रे स्मारक व्याख्यान के 16वें संस्करण में 9 अगस्त को मौजूदा वायु सेना प्रमुख ए.पी. सिंह ने बेबाक खुलासे करके महीनों की अटकलों पर ताले जड़ दिए.

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के कम-से-कम छह युद्धक विमान—पांच लड़ाकू विमान और ''एक बड़ा विमान''—मार गिराए और दुश्मन की सरजमीन के काफी अंदर स्थित प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों को चकनाचूर कर दिया.

यह उस बात की पहली आधिकारिक तस्दीक थी जिसकी ओर 10 मई को खत्म हुए 88 घंटे लंबे अभियान के बाद से सैन्य प्रतिष्ठान के कई लोग खामोश इशारा कर रहे थे. फिर भी इस खुलासे के वक्त से जाहिरा सवाल उठ खड़ा हुआ: अभी क्यों?

सरकार लगातार जोर देती रही है कि ऑपरेशन सिंदूर ने सभी उद्देश्यों को पूरा किया. देर से हुए इस खुलासे के समर्थक इसे जीत की तस्दीक कह रहे हैं. आलोचक इसे अलग नजरिए से देखते हैं. उनका कहना है कि इतने लंबे इंतजार से इसका मनोवैज्ञानिक और सियासी असर कुंद हो गया और संदेह तथा दुश्मन के उलट-नैरेटिव को जगह मिल गई.

ऐसी देरी क्यों
भारतीय वायु सेना (आइएएफ) शुरुआत से ही इलेक्ट्रॉनिक निशानों और तगड़ी खुफिया जानकारी के हवाले से धीमी आवाज में ही सही लेकिन कहती आ रही थी कि उसने पाकिस्तानी विमान मार गिराए. मगर मलबे के पाकिस्तानी इलाके में गिरने और उसके फोटोग्राफिक सबूत नहीं होने से वायु सेना ने आधिकारिक बयान देने से परहेज किया. यही नहीं, संवेदनशील तरीकों का खुलासा किए बिना इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की जानकारी को सार्वजनिक करना मुश्किल होता है.

फिर भी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशंस (डीजीएओ) ने अपनी ब्रीफिंग के दौरान ''मार गिराए गए विमानों'' का जिक्र किया था और कहा था कि अंतिम घोषणा से पहले उनकी तस्दीक की जानी थी. नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर आइएएफ के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि काफी निगरानी और खुफिया प्रणालियों से जानकारी इकट्ठा करके ''प्रामाणिक तौर पर मार गिराए विमानों'' की तस्दीक करने में उन्हें काफी वक्त लगा.

अब ''उच्च अधिकारियों'' से हरी झंडी भी मिल गई लगती है. सियासी तौर पर यह इससे ज्यादा सुविधाजनक नहीं हो सकता था. यह खुलासा ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में दो दिनों की उस बहस के महज कुछ दिन बाद हुआ जिसमें विपक्षी सांसदों ने भारत को हुए नुक्सान पर सवाल खड़े किए और ऑपरेशन की सीमित कामयाबी पर उंगली उठाई. पश्चिमी मीडिया के कुछ हिस्सों में भी ऐसे ही सवाल बार-बार उठाए गए. सरकार अब दोटूक आंकड़ा बता सकती है.

कुछ विश्लेषक सियासी पृष्ठभूमि पर भी गौर करते हैं और वह यह कि दुनियाभर के सैन्य हलकों में पश्चिमी तथा चीनी लड़ाकू विमानों की तुलना लगातार बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान को अमेरिका से मिले एफ-16 विमानों और चीन से जुड़ी प्रणालियों के मार गिराए जाने को प्रचारित करना दोनों खेमों को गूढ़ संदेश देता है. यह 2019 का दोहराव है, जब विंग कमांडर अभिनंदन के मिग-21 ने पाकिस्तानी एफ-16 विमान मार गिराया था और जिससे ऐसी ही बहस छिड़ गई थी.

हमलों की तस्वीर
बेंगलूरू में ए.पी. सिंह ने श्रोताओं को हमलों के तकरीबन पूरे ब्योरे बताए और नई तस्वीरों के जरिए पाकिस्तानी सैन्य ढांचे को पहुंचाया गया व्यापक नुक्सान दिखाया. वायु सेना प्रमुख ने बताया कि किस तरह आरिफवाला के रडार प्रतिष्ठान को नष्ट कर दिया गया, जबकि निशाना लगने के चिन्ह तस्वीर में साफ देखे जा सकते थे. भोलारी में एक निशाना हैंगर के भीतर खड़े एयरबोर्न अर्ली वार्निंग ऐंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूऐंडसी) विमान पर सीधे जा लगा, जिससे हुए नुक्सान को पाकिस्तानी मीडिया ने भी माना.

उपग्रह की तस्वीरों में नूर खान एयरबेस के ढांचे को पहुंचा नुक्सान दिखा तो चुनियन में एक हैंगर खंडहर में बदला दिखाई दे रहा था, जिसके झुलसे हुए ढांचे ने हमले की सटीकता की तस्दीक की. माना जाता है कि जैकबाबाद में आइएएफ की ओर से मुख्य हैंगर को निशाना बनाए जाने के बाद कई एफ-16 विमानों को नुक्सान पहुंचा.

ए.पी. सिंह ने एक और खुलासा किया जो भारत का सतह से हवा में सबसे लंबी दूरी का शिकार हो सकता है—300 किमी की दूरी से विशाल विमान को मार गिराना. यह संभवत: ईएलआइएनटी या एलिंट (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस) या एईडब्ल्यूऐंडसी विमान था, और हमला हाल में रूस से हासिल वायु रक्षा प्रणाली एस-400 की बदौलत मुमकिन हो सका, जिसे वायु सेना प्रमुख ने ''गेम-चेंजर'' करार दिया.

व्यक्तिगत मोर्चा
ए.पी. सिंह के लिए ये महज रणनीतिक फतहें नहीं थीं; वे निजी मील के पत्थर थे. उन्होंने कहा, ''हम वायु सेना में इस तरह के दिनों का सपना देखते बड़े हुए हैं...रिटायर होने से ठीक पहले मुझे अपना मौका मिल गया.'' उन्होंने बताया कि सरगोधा हवाई अड्डे पर हमला सीधे श्रीनगर और आदमपुर के खिलाफ एफ-16 के अभियानों के मंसूबों से जुड़ी ठोस खुफिया जानकारी के जवाब में किया गया. इरादा महज किसी एक अड्डे को तबाह करने भर का नहीं था, बल्कि दोटूक संदेश देना था—भारत कहीं भी, अपनी मनमर्जी, और अपनी पसंद के वक्त पर हमला कर सकता है.

हालांकि आइएएफ के ''कामयाब घातक निशानों'' के ब्यौरे देते हुए ए.पी. सिंह ने भारतीय पक्ष के विमानों के किसी नुक्सान पर कुछ नहीं कहा. इससे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने स्वीकार किया था कि संघर्ष के शुरुआती दौर में भारत को हवाई नुक्सान हुआ, मगर उन्होंने छह भारतीय विमानों को मार गिराने के पाकिस्तानी दावे को ''बिल्कुल गलत'' बताकर खारिज कर दिया था.

कमतर आंकी गई कामयाबी?
भारत की सैन्य बिरादरी में राय बंटी हुई है. कुछ का मानना है कि नैरेटिव पर हावी होने के लिए यह खुलासा ऑपरेशन के फौरन बाद किया जाना चाहिए था. एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा, ''हमारी क्षमताएं तत्काल तभी के तभी सारी दुनिया को पता चल जानी चाहिए थीं.'' उन्होंने आगाह किया कि देरी की वजह से सूचना का रणक्षेत्र पाकिस्तान के हाथों में सौंप दिया गया.

पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.पी. मलिक ने एक कदम और बढ़कर कहा कि कामयाबी को ''कम करके आंका और बताया'' गया. गुमनाम रहने के इच्छुक एक और अधिकारी का कयास है कि अमेरिका में बने एफ-16 विमानों को हुए नुक्सान को लेकर वाशिंगटन डी.सी. की संवेदनशीलता को देखते हुए हो सकता है कि यह एहतियात बरती गई.

फिर भी ए.पी. सिंह ने जोर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान योजना बनाने और उन पर अमल में आइएएफ पर कोई पाबंदी नहीं थी. उन्होंने कहा, ''बलों ने तय किया कि लड़ाई के हमारे नियम क्या होंगे...और हम कैसे सीढ़ी-दर-सीढ़ी आगे बढ़ना चाहते हैं.'' कुछ ही दिन पहले सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आइआइटी मद्रास में यही भाव व्यक्त किया और कहा था कि अभूतपूर्व सियासी स्पष्टता के साथ यह ''पूरे राष्ट्र'' का रुख था.

उन्होंने कहा कि ऐसी ''खुली छूट'' सैनिकों का मनोबल बढ़ाने वाली थी. चीन का नाम लिए बिना जनरल द्विवेदी ने इशारा किया कि ऑपरेशन के दौरान कुछ ''अन्य देशों'' ने पाकिस्तान को कुछ निश्चित चीजें 'दिखाने' में मदद की. यह खुफिया सूचना के मामले में इस्लामाबाद को दी गई बीजिंग की मदद की ओर इशारा था.

कुछ आलोचकों ने माना कि ''कार्रवाई की छूट'' की बात कहना सरकार को बचाने के सियासी कवच के रूप में गढ़ा गया, खासकर जब सरकार युद्ध से निबटने के तौर-तरीकों को लेकर विपक्षी निशाने पर थी.

विदेशों को संदेश
इसका एक अंतरराष्ट्रीय पहलू भी है. पाकिस्तान का शस्त्रागार अमेरिकी और चीनी शस्त्रास्त्रों से मिलकर बना है. दोनों पर सफल हमलों का खुलासा करके भारत कई सारे प्रेक्षकों को गुपचुप संदेश दे रहा है और वह यह कि आपके सैन्य साजो-सामान को मात दी जा सकती है. यह पाकिस्तान के दो सबसे करीबी रक्षा साझेदारों को चेतावनी है. यह अमेरिका-भारत तनाव की पृष्ठभूमि में दी गई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद का हवाला देते हुए भारत पर भारी शुल्क थोप दिए हैं, जबकि पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ पींगें बढ़ाते हुए उनके मुल्क के साथ रिश्तों को फिर जिंदा करते दिखाई दे रहे हैं.

कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि आइएएफ प्रमुख के खुलासों का मकसद पाकिस्तान के दुष्प्रचार की हवा निकालना है, और युद्ध की यह रणनीति शायद स्वतंत्रता दिवस के पहले तैयार की गई. हाल में आइएएफ ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी आतंकी शिविरों पर किए हमलों का वीडियो मोंटाज जारी किया, जो भारत की हवाई ताकत की दोटूक याद दिलाता है.

तो तीन महीने की खामोशी रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक थी या गंवाया गया मौका? आइएएफ प्रमुख के खुलासों ने एक ओर पाकिस्तान के सुनियोजित दुष्प्रचार के चक्र की धार को कुंद किया और इस घोषणा को ऐसे समय के साथ बांध दिया जब देश में सियासी बहस गरमा रही थी. दूसरी ओर, कहा जा सकता है कि ये दावे तत्काल नहीं किए जाने की वजह से उनका मनोवैज्ञानिक असर कमजोर हो गया और दूसरे पक्ष को स्थितियों को और ज्यादा भ्रामक और पेचीदा बनाने का मौका दे दिया गया. युद्ध में वक्त अक्सर उतना ही अहम होता है जितनी गोलाबारी. ऑपरेशन सिंदूर ने रणभूमि में फटाफट फतहें हासिल कीं; उसकी सार्वजनिक जीत पर अब भी बहस चल रही है.

पाकिस्तान का भोलारी एयरबेस जहां एक हैंगर के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग ऐंड कंट्रोल विमान पर सीधा निशाना लगा

अगुआ के बड़े खुलासे

एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह के बयान की प्रमुख बातें
सेना पर ''पाबंदियां नहीं'' थीं, उसे ऑपरेशन सिंदूर की योजना बनाने और लागू करने की खुली छूट दी गई.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के पांच लड़ाकू विमान मार गिराए.

''एक बड़े विमान'', जो शायद ईएलआइएनटी (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस) या एईडब्ल्यूऐंडसी (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग ऐंड कंट्रोल) विमान था, को 300 किमी दूर से मार गिराया गया, जो ''सतह से हवा में विमान को मार गिराने की अब तक दर्ज सबसे बड़ी कामयाबी है.''

सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणाली भारतीय वायु प्रतिरक्षा के लिए गेम-चेंजर थी, जिसने दुश्मन के लड़ाकू विमानों को डराकर भगा दिया.

मुरीद और चकलाला एयरबेसों पर दो कमान और कंट्रोल सेंटर, छह रडार नष्ट किए गए; सरगोधा और रहीम यार खान एयरबेस के रनवे पर हमला.

जैकबाबाद अड्डे पर एफ-16 के हैंगर पर हमला; सक्खर एयरबेस पर यूएवी हैंगर को नुक्सान; भोलारी एयरबेस के एईडब्ल्यूऐंडसी हैंगर पर हमला.

ऑपरेशन सिंदूर हाइ-टेक युद्ध था जिसकी खासियत तीनों सेनाओं और अन्य एजेंसियों में अचूक तालमेल थी.

पाकिस्तान का हथियार भंडार अमेरिकी और चीनी प्लेटफॉर्म का मिश्रण है. दोनों पर सफल हमलों का संकेत देकर, भारत कई पक्षों को यह शांत संदेश देता है कि उनके उपकरणों को मात दिया जा सकता है.

भारतीय वायु सेना की ''किल'' लिस्ट का ब्यौरा देते समय एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने भारतीय पक्ष के विमान नुक्सान पर चुप्पी ओढ़ ली. इससे पहले, सीडीएस ने संघर्ष के शुरुआती चरण में कुछ नुक्सान स्वीकार किए थे.

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