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राष्ट्रीय खेल नीति के जरिए कैसे खेल में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही मोदी 3.0 सरकार?

पहले खेलो भारत नीति और अब नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल लाकर केंद्र सरकार खेलों में बड़े बदलावों की कोशिश कर रही है

खेल संघों की कार्यकारिणी में महिला खिलाड़ियों को शामिल करना जरूरी.
अपडेटेड 1 सितंबर , 2025

खेलों के मामले में भारत एक वैश्विक शक्ति के तौर पर उभरे और 2036 की ओलंपिक की मेजबानी भारत को मिले, इन्हीं लक्ष्यों के साथ केंद्र सरकार जुलाई की शुरुआत में राष्ट्रीय खेल नीति लेकर आई थी. अब संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस विधेयक, 2025 लोकसभा में लेकर आई है.

इस बिल के प्रावधान भी इन्हीं लक्ष्यों के आसपास केंद्रित हैं. प्रस्तावित विधेयक में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे भारत के खेलों और खेल संगठनों के कामकाज में व्यापक बदलाव आ सकता है.

यह विधेयक खेल संघों में पारदर्शिता, जवाबदेही और खिलाड़ी-केंद्रित सुधार लाने की बात करते हुए भारत के एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरने और 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए अपनी दावेदारी को मजबूत करने की व्यापक महत्वाकांक्षा का हिस्सा है. हालांकि, खेल संघों को सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ऑडिट के दायरे में लाने जैसे विवादास्पद प्रावधानों वाले इस विधेयक से सरकार और खेल संघों के बीच तलवारें खिंचने के अंदेशे से इनकार नहीं किया जा सकता.

2011 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन की ओर से खेल संघों को आरटीआइ अधिनियम, 2005 के दायरे में लाने का नाकाम प्रयास किया गया था. इसी तरह 2017 में मोदी सरकार की तरफ से नेशनल स्पोर्ट्स कोड लाकर खेल संघों के नियमन की कोशिश भी नाकाम रही थी.

क्या इस बार यह विधेयक संसद में पारित होकर कानून बन जाएगा? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री मनसुख मांडविया कहते हैं, ''मैंने राष्ट्रीय खेल महासंघों, खिलाड़ियों और कोचों के साथ गहन चर्चा की. हमें विधेयक के मसौदे पर आम लोगों से लगभग 600 सुझाव मिले. विधेयक के विधिक पक्षों पर जानकारों से गहन चर्चा हुई. आइओसी के अलावा, हमने अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों से बात की. फीफा के लोगों से बात करने के लिए एक अधिकारी उनके मुख्यालय भेजा गया. मैंने अजय माकन से भी बात की. इस विधेयक को पारित कराने के लिए उन्होंने अच्छा प्रयास किया था.''

नया विधेयक हाल ही जारी राष्ट्रीय खेल नीति के अनुरूप है और इसका उद्देश्य खेल संगठनों के कामकाज में आमूल-चूल परिवर्तन करना है. पर इसके कुछ पहलू खेल संघों को भा नहीं रहे. एक राष्ट्रीय खेल संघ के अध्यक्ष ने नाम न छापने की शर्त पर चिंता जताई, ''सरकार जो पैसे देती है, उसका ऑडिट उसे कराना चाहिए. पर हम खेल की जरूरतों के लिए अक्सर खुद पैसे जुटाते हैं. सरकार ऑडिट चाहती है तो उसे खर्च की पूरी जिम्मेदारी उठानी चाहिए.''

विधेयक में एक स्वायत्त राष्ट्रीय खेल बोर्ड का प्रस्ताव है. एथलीट केंद्रित गवर्नेंस मॉडल को बढ़ावा देने के लिए बिल में हर खेल संघ में एथलीट समितियों के गठन को जरूरी बनाया गया है. हर खेल संघ की कार्यकारी समिति में कम से कम दो प्रतिष्ठित खिलाड़ी और चार महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान भी है.

विधेयक में एक राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल का भी प्रस्ताव है. इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे. इसके फैसलों को केवल सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है. पूर्व चुनाव आयुक्तों या आयोग के अधिकारियों वाले एक राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का प्रावधान भी बिल में है. इसका काम खेल संघों और उनकी संबद्ध इकाइयों में निष्पक्ष चुनाव कराना होगा. इसके अलावा हर खेल संघ में एथिक्स कमेटी और विवाद समाधान समिति बनाने की अनिवार्यता भी बिल में है.

यह विधेयक खेल संगठनों की कार्यकारी समिति में सदस्यों की संख्या 15 तक सीमित करता है, जिनकी न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए. अध्यक्ष या महासचिव जैसे शीर्ष पदों के लिए उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि खिलाड़ी या खेल प्रशासन से जुड़ी होनी चाहिए. अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष (विशिष्ट मामलों में 75 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है) और कार्यकाल सीमा 12 वर्ष प्रस्तावित है.

इस विधेयक के पहले 1 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट ने खेलो भारत नीति, 2025 को मंजूरी दी थी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ''आज का दिन खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और खेलों का केंद्र बनने के भारत के प्रयासों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है.'' इसे और स्पष्ट करते हुए मांडविया कहते हैं, ''प्रधानमंत्री के नेतृत्व में खेलों को राष्ट्रीय मिशन बनाया गया है. इसके तहत, सरकार ने 2036 के ओलंपिक की मेजबानी और पदक तालिका में शीर्ष 10 में जगह बनाने तथा 2047 तक शीर्ष पांच खेल राष्ट्रों में जगह बनाने का लक्ष्य रखा है.''

जिस खेलो भारत नीति को भारतीय खेल परिदृश्य के लिए नई सुबह के तौर पर सरकार पेश कर रही है, वह पांच स्तंभों पर टिकी है. इनमें पहला है ग्लोबल एक्सिलेंस. इसके तहत सरकार का लक्ष्य न सिर्फ 2036 के ओलंपिक की मेजबानी करना बल्कि तब तक भारत को बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शीर्ष देशों में लाना है. 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत छह मेडल के साथ 71वें स्थान पर था. वहीं 2021 के तोक्यो ओलंपिक में भारत सात मेडल के साथ 48वें स्थान पर था.

यह स्थिति कैसे सुधरेगी? मांडविया बताते हैं, ''नई नीति के तहत ग्रासरूट से लेकर एलीट लेवल तक खेल कार्यक्रमों को सशक्त किया जाएगा. शुरुआती स्तर पर ही हम खेल प्रतिभाओं की पहचान और उन्हें सही ढंग से निखारने की योजना पर काम कर रहे हैं. गांवों की प्रतिभाओं को भी उचित मंच मिले, इसकी व्यवस्था हम कर रहे हैं. इसके लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लीग और अन्य प्रतिस्पर्धाओं को बढ़ावा दिया जाएगा. विश्व स्तरीय ट्रेनिंग, कोचिंग और एथलीट सपोर्ट सिस्टम का निर्माण किया जाएगा. स्पोर्ट्स साइंस, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी, मेडिसिन और टेक्नोलॉजी को अपनाकर प्रदर्शन में लगातार सुधार के लिए काम किया जाएगा.''

क्रियान्वयन को लेकर व्यक्त किए जा रहे अंदेशों को लेकर मांडविया कहते हैं, ''नई नीति में हमने जहां भी लक्ष्य रखा है तो उसके साथ यह भी बताया है कि उस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सभी लोग इस मुद्दे पर एकमत हैं. राज्यों का भी हमें सहयोग मिल रहा है. हम इसके क्रियान्वयन को लेकर आश्वस्त हैं.''

नई नीति में समावेशन का स्वर इस बात से भी स्पष्ट होता है कि इसमें ओलंपिक के साथ-साथ पैरालंपिक खेलों को भी प्रमुखता दी गई है. सबसे अलग प्रावधान नई नीति में यह किया गया है कि विदेशों में रहने वाली भारतीय खेल प्रतिभाओं को भी भारत के खेलों से जोड़ा जाएगा. सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन भारत में कराकर स्पोर्ट्स टूरिज्म को बढ़ावा देने की है.

साथ ही भारत स्पोर्ट्स उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर उभरे, इसके लिए भी काम करने की बात कही गई है. 2022 में भारत दुनिया का 22वां सबसे बड़ा स्पोर्ट्स गुड्स निर्यातक था. भारत में जितने खेल उत्पाद बनते हैं, उसका तकरीबन 60 प्रतिशत निर्यात होता है. 2023-24 में भारत का यह निर्यात 52.3 करोड़ डॉलर का था. भारत में बने खेल उत्पाद अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत तकरीबन 150 देशों में जाते हैं.

खेलों और खिलाड़ियों के विकास में कोई आर्थिक दिक्कत न आए, इसके लिए भी नई नीति में प्रावधान किए गए हैं. इस नीति में 'अडॉप्ट एन एथलीट', 'अडॉप्ट ए डिस्ट्रिक्ट', 'अडॉप्ट ए वेन्यू', 'वन कॉर्पोरेट वन स्पोर्ट', 'वन पीएसयू वन स्पोर्ट' की बात कही गई है. इस प्रावधान के पीछे की कहानी खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ''मौजूदा खेल मंत्री पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं. वहां टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी मरीजों के कॉर्पोरेट जगत और आम लोगों की ओर से गोद लिए जाने की योजना उन्होंने शुरू की थी. खेल नीति में यह प्रावधान मंत्री के उसी प्रयोग की सफलता से आया है.''

भारत में खेलों के विकास की सबसे बड़ी समस्या विभिन्न खेल फेडरेशंस के आंतरिक मतभेद और इनमें राजनीतिक दखल को माना जाता है. नई नीति में एक तगड़ा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करने की बात कही गई है. इसमें कहा गया था कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार स्पोर्ट्स गवर्नेंस के लिए नया कानून लेकर आएगी.

सरकारी हस्तक्षेप को लेकर जताई जा रही आशंकाओं पर मांडविया कहते हैं, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अक्सर खेलों को सॉफ्ट पावर के रूप में रेखांकित करते आए हैं. सरकार के साथ-साथ बाकी स्टेकहोल्डर्स भी चाहते हैं कि भारत खेलों में प्रदर्शन और खेल से संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में लगातार आगे बढ़े. ऐसे में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ने के अंदेशे का कोई आधार नहीं दिखता.''

विधेयक की खास बातें
> पारदर्शिता  और जवाबदेही: विधेयक में सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत लाने का प्रस्ताव है.

> सभी राष्ट्रीय खेल संघों का सीएजी ऑडिट किया जाएगा.

> महासंघों के नियमन, मान्यता प्रदान करने, अनुपालन सुनिश्चित करने, वित्त पोषण और शासन का प्रबंधन करने के लिए एक स्वायत्त बोर्ड.

> लैंगिक विविधता के लिए हरेक खेल संघ की कार्यकारी समिति में कम से कम दो प्रतिष्ठित खिलाड़ी और चार महिलाएं शामिल होने चाहिए.

> महासंघों के आंतरिक विवादों से होने वाले अदालती मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रिब्यूनल का प्रावधान.

> पूर्व चुनाव आयुक्तों या अधिकारियों वाले एक राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का गठन. यह खेल संघों और संबद्ध इकाइयों में निष्पक्ष चुनावों की देखरेख करेगा.

खेल नीति के अहम पहलू
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2036 ओलंपिक की मेजबानी, 2036 में पदक तालिका में शीर्ष 10 में स्थान प्राप्त करना और 2047 तक शीर्ष पांच खेल राष्ट्रों में स्थान प्राप्त करना.

> नीति पांच स्तंभों पर आधारित है: वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता, आर्थिक विकास के लिए खेल, सामाजिक विकास के लिए खेल, जन आंदोलन के रूप में खेल और शिक्षा के साथ एकीकरण.

> कानूनी ढांचे समेत खेल प्रशासन के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा स्थापित किया जाएगा.

> अनूठा आर्थिक मॉडल: अडॉप्ट ऐन एथलीट, अडॉप्ट अ डिस्ट्रिक्ट, अडॉप्ट अ वेन्यू, एक कॉर्पोरेट-एक खेल, एक पीएसयू-एक खेल, आदि.

> विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के एथलीट, जैसे कि ओसीआइ कार्ड धारक अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

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