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बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे 2025: ये है देश की सबसे अच्छी सबसे सरकारी यूनिवर्सिटी

इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे 2025 में सामान्य श्रेणी के सरकारी विश्वविद्यालयों में इस बार टॉप पर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि दिल्ली स्थिति ही दूसरी यूनिवर्सिटी है

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दिल्ली यूनिवर्सिटी
अपडेटेड 3 सितंबर , 2025

भारत के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तनशीलता साफ नजर आती है. यह महत्वाकांक्षाओं से भरा है, काफी जनाकीर्ण और अतिव्यस्त है. फिर भी विडंबना ही है कि बेहद महत्वपूर्ण होने के बावजूद संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.

ऐसी उथल-पुथल वाली परिस्थितियों के बीच भी उत्कृष्टता अपनी अलग ही छाप छोड़ती है. इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे 2025 ऐसे जटिल परिदृश्य के बीच एक ऐसा मूल्यांकनपरक दृष्टिकोण सामने लाता है, जो अनुभवों पर आधारित है और बोधगम्य है.

यह सर्वे देश के विश्वविद्यालय पारिस्थितिकी तंत्र का सबसे विश्वसनीय मूल्यांकन सामने रखता है. अब अपने 16वें वर्ष में यह सर्वेक्षण नीति निर्माताओं, भर्ती करने वालों और छात्रों के साथ-साथ दिग्गज संस्थानों के लिए भी एक मानक बन चुका है. बात सिर्फ रैंकिंग में हासिल स्थान तक सीमित नहीं है बल्कि यह रैंकिंग उनकी दिशा, आकांक्षाओं और संस्थागत कुशलताओं के बारे में भी बहुत कुछ बताती है.

मूलत: यह सर्वेक्षण एक रैंकिंग से कहीं ज्यादा मायने रखता है. यह बताता है कि भारतीय संस्थानों की उत्कृष्टता एक सतत प्रक्रिया है. वे निरंतर सुधार करते रहते हैं. पुनर्कल्पना और पुनर्खोज की यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. इस वर्ष सामान्य श्रेणी में यूनिवर्सिटी रैंकिंग यही दर्शाती है.

सामान्य श्रेणी के सरकारी विश्वविद्यालयों में दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) को पहली बार शीर्ष स्थान मिला, जिसने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) को पछाड़ दिया. शीर्ष पर 2018 से ही जेएनयू ने अपना एकाधिकार जमा रखा था. 2021 से दूसरे स्थान पर रहा डीयू अब सार्वजनिक विश्वविद्यालय क्षेत्र में उत्कृष्टता का नया मानक बनकर उभरा है.

डीयू का शीर्ष पर पहुंचना न केवल शैक्षणिक और शोध क्षेत्र में उसकी सुदृढ़ स्थिति को दर्शाता है, बल्कि उसके संस्थागत सुधारों और बुनियादी ढांचे, छात्रों के साथ जुड़ाव और प्लेसमेंट प्रदर्शन में सुधार की सफलता को भी रेखांकित करता है. व्यापक स्तर पर यह ऐसे रुझान को दर्शाता है जहां भारत के बदलते उच्च शिक्षा परिदृश्य के बीच पुराने, कई संबद्ध कॉलेजों वाले सार्वजनिक विश्वविद्यालय अकादमिक स्तर पर अपनी पहचान को फिर से बहाल कर रहे हैं.

2021 से तीसरे स्थान पर काबिज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने शीर्ष की तरफ अपनी बढ़त बनाए रखी. वहीं, मामूली उतार-चढ़ाव के साथ हैदराबाद यूनिवर्सिटी टॉप-4 में मजबूती से जमी है. उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने कई वर्षों से गैर-भागीदार होने के बावजूद निरंतर सुधार दिखाया और इस बार पांचवें स्थान पर रही.

पहली बार 2021 में सूची में जगह बनाने वाली गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी ने तेजी से आगे बढ़कर छठा स्थान हासिल किया. दूसरी ओर, भरतियार यूनिवर्सिटी और आचार्य नागार्जुन यूनिवर्सिटी ने उल्लेखनीय दीर्घकालिक प्रगति दिखाई और 2018 में क्रमश: 18वें और 14वें स्थान पर रहने वाले इन विश्वविद्यालयों ने इस वर्ष क्रमश: नौवां और दसवां स्थान हासिल किया, जो राष्ट्रीय शैक्षणिक मान्यता प्राप्त करने वाले क्षेत्रीय संस्थानों में तीव्र बदलाव का संकेत है.

निजी क्षेत्र भी पीछे नहीं

यह साफ है कि 2025 का बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे सामान्य श्रेणी के निजी विश्वविद्यालयों में शीर्ष स्तर पर एक बड़ा उलटफेर दिखाता है. तमिलनाडु के कटंकुलतूर स्थित एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी नेरैंकिंग शुरू होने के बाद पहली बार नंबर-1 पर जगह बनाई जो 2021 में चौथे स्थान की तुलना में एक बड़ी छलांग है.

सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, पुणे 2024 में शीर्ष स्थान पर थी और अब दूसरे नंबर पर खिसक गई है, 2019 से 2023 तक लगातार अग्रणी एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा तीसरे स्थान पर पहुंच गई है. क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलूरू एक समय अग्रणी हुआ करती थी (2018 में नंबर-1) और अब धीरे-धीरे नीचे आते हुए इस साल चौथे स्थान पर खिसक गई.

कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएल यूनिवर्सिटी) ने बड़ी उछाल दिखाई और 2018 में नौवें स्थान की तुलना में अब पांचवां स्थान हासिल किया. बनस्थली विद्यापीठ शीर्ष छह में अपनी जगह बनाए रहा, जबकि सत्यभामा और जैन यूनिवर्सिटी मध्य-स्तरीय रैंक में लगातार बेहतर प्रदर्शन दिखा रही हैं. गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने 2018 में 18वें स्थान की तुलना में 2025 में नौवें स्थान पर पहुंचकर उल्लेखनीय सफलता हासिल की. एक्सआइएम यूनिवर्सिटी को 2020 तक कोई रैंकिंग नहीं मिली थी, और अब टॉप-10 में निरंतर उपस्थिति बनाए हुए है.

चिकित्सा श्रेणी में रैंकिंग शीर्ष पर एक मजबूत स्थिरता दर्शाती है, भले ही पिछले कुछ वर्षों में नए संस्थान उभरे हैं. एम्स दिल्ली ने 2018 से 2025 तक नंबर-1 पर बने रहकर अपनी बादशाहत बनाए रखी है, जो इसकी बेजोड़ प्रतिष्ठा, शैक्षणिक उत्कृष्टता और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अग्रणी होने का परिचायक है. इसके ठीक बाद जेआइपीएमईआर पुदुच्चेरी और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ का नंबर है.

2018 से 2025 के बीच नए एम्स संस्थानों ने सूची में शीर्ष पायदान पर जगह बनाए रखी है. एम्स जोधपुर 2025 में पांचवें और एम्स भोपाल छठे स्थान पर रहा. एम्स ऋषिकेश, रायपुर और पटना ने भी क्रमश: सातवें, नौवें और दसवें स्थान पर रहकर टॉप-10 में जगह बनाई. इसमें निमहांस, बेंगलूरू (चौथे स्थान पर) और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बिलियरी साइंसेज, नई दिल्ली (आठवें स्थान पर) जैसे संस्थानों का शामिल होना इस बात का संकेत है कि कैसे चिकित्सा उत्कृष्टता सामान्य मेडिकल कॉलेजों से बढ़कर शोध-केंद्रित सुपर-स्पेशिएलिटी केंद्रों तक पहुंच गई है.

तकनीकी शिक्षा परिदृश्य

यह स्वाभाविक-सी बात है कि टेक्निकल यूनिवर्सिटी की श्रेणी में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ही शीर्ष पर रहेगा. पर आश्चर्य की बात यह है कि 2018 में दूसरे स्थान से ऊपर आने के बाद से आइआइटी, दिल्ली लगातार पांच साल (2021-2025) से पहले स्थान पर काबिज है. आइआइटी बंबई भी लगातार टॉप-3 में बना हुआ है, लेकिन 2018 में पहले स्थान से इस वर्ष तीसरे स्थान पर खिसक गया.

आइआइटी कानपुर 2021 में चौथे स्थान से ऊपर आने के बाद दूसरे या तीसरे स्थान पर रहा है. आइआइटी खड़गपुर, कभी एक शक्तिशाली संस्थान था और 2018 में शीर्ष पर रहा था, 2025 में चौथे स्थान पर खिसक गया.

2024 में पहली बार टॉप-5 में शामिल हुआ आइआइटी रुड़की इस वर्ष भी पांचवें स्थान पर बना रहा. इसके बाद आइआइटी गुवाहाटी का नंबर रहा जो 2023 से लगातार छठे स्थान पर है. गैर-आइआइटी संस्थानों ने भी अपनी छाप छोड़ी है, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू), ट्रिपल आइटी बंगलोर और बिट्स पिलानी 2020 से ही टॉप-10 में अपनी जगह बनाए रहे हैं.

और लॉ यूनिवर्सिटी?रैंकिंग में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआइयू), बेंगलूरू का दबदबा लगातार कायम रहा है, जो कभी भी शीर्ष स्थान से नीचे नहीं आई. पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जूडिशियल यूनिवर्सिटी (एनयूजेएस), कोलकाता उससे बस एक पायदान नीचे है और इसने लगातार अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखा है. वह 2021 मेंरैंकिंग में जगह बनाने के बाद से लगातार दूसरे स्थान पर ही काबिज रही है.

इस बार सर्वेक्षण में एक नए अहम पहलू को भी शामिल किया गया है—सबसे ज्यादा सुधार दर्शाने वाले विश्वविद्यालयों की रैंकिंग. यह पहली बार है जब यूनिवर्सिटी का मूल्यांकन न केवल उनकी मौजूदा स्थिति के आधार पर किया गया है, बल्कि यह भी देखा गया कि 2020 से 2025 के बीच उन्होंने कितना लंबा सफर तय किया. यह पता लगाने के लिए उनकी सापेक्ष रैंकिंग में फीसद वृद्धि को आधार बनाया गया.

इस नवाचार नेरैंकिंग को एक नई गतिशीलता प्रदान की, जिससे उन विश्वविद्यालयों को भी मौका मिला है जिनकी शुरुआत भले ही धीमी रही हो लेकिन निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं. अब वे हाशिए पर ही नहीं बने रहना चाहते, शोध परिणामों, संकाय क्षमता, परिसर विकास, डिजिटल नवाचार से लेकर उद्योग जुड़ाव तक महत्वपूर्ण मानदंडों पर आक्रामक ढंग से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.

प्राचीन के साथ-साथ प्रगति की राह पर बढ़ते संस्थानों पर भी ध्यान केंद्रित किए जाने के बाद तैयार नई सूची लचीलेपन, अनुकूलनशीलता और दीर्घकालिक सुधार को प्रोत्साहित करती है, और संस्थागत विकास के महत्व को रेखांकित करती है. रैंकिंग पद्धति में इस तरह के नवाचारों ने ही इंडिया टुडे के बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे को समय के साथ भारत में उच्च शिक्षा के सबसे प्रामाणिक और विश्वसनीय मानक के तौर पर स्थापित किया है.

इसकी विश्वसनीयता इसकी दोहरी मूल्यांकन प्रणाली पर टिकी है, जो वस्तुनिष्ठ प्रदर्शन संकेतकों (ऑडिट आंकड़ों, संकाय गुणवत्ता, शोध परिणामों, बुनियादी ढांचे और प्लेसमेंट) को अवधारणा अंकों (संकाय, छात्रों, भर्तीकर्ताओं और पूर्व छात्रों के सर्वेक्षणों से प्राप्त) के साथ एकीकृत करती है. सर्वे में सक्चत सत्यापन मानकों, पारदर्शिता पक्की करने और आंकड़ों की गलत व्याख्या को दूर करने पर भी जोर दिया गया है.

यह सर्वेक्षण अपनी गहनरैंकिंग के लिए बेहद खास है—सामान्य, तकनीकी, चिकित्सा और लॉ यूनिवर्सिटी को अलग-अलग श्रेणीबद्ध करना और सरकारी तथा निजी संस्थानों के बीच पर्याप्त करना. इस तरह अलग-अलग श्रेणियों में रखना एक निष्पक्ष तुलना का आधार मजबूत करता है और यह छात्रों के लिए ज्यादा उपयुक्त विकल्प चुनने में मददगार साबित होता है.

सर्वेक्षण केवल यही नहीं दर्शाता कि कौन आगे है और कौन पीछे. बल्कि यह भी बताता है कि कौन निरंतर आगे बढ़ रहा है. अनुभवजन्य कठोर मानकों को बोधगम्य अंतर्दृष्टि के साथ जोड़कर, और सिर्फ उत्कृष्टता ही नहीं बल्कि विकास की गति का भी मूल्यांकन करके यह सर्वेक्षण इस बात को रेखांकित करता है कि भारतीय उच्च शिक्षा का भविष्य प्रतिष्ठा के साथ-साथ महत्वाकांक्षा और अनुकूलनशीलता से भी आकार लेगा.

इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे पूर्व प्रतिष्ठा से हटकर प्रगति पर ध्यान केंद्रित करता है. यह लचीलेपन, अनुकूलता और दीर्घकालिक सुधार को बढ़ावा देता है.

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