देश की बेस्टः यूनिवर्सिटी
यूनिवर्सिटी जनरल (सरकारी)
1. नं. दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
शैली आनंद
नई 1922 में सेंट्रल लेजिस्लेचर ऐक्ट के तहत एक मामूली शुरुआत से अस्तित्व में आया दिल्ली विश्वविद्यालय आज भारत का एक वर्ल्ड-क्लास उच्च शिक्षा संस्थान बन चुका है. अपने पहले साल में इसमें दो फैकल्टी थीं—आर्ट्स और साइंस—और तीन बुनियादी कॉलेजों के जरिए सीमित अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्स चलाए जाते थे.
ये तीन कॉलेज थे: सेंट स्टीफंस (1881), हिंदू कॉलेज (1899) और रामजस कॉलेज (1917). उस समय आठ विभाग थे: संस्कृत, इतिहास, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, अरबी, फारसी, भौतिकी और रसायन. लाइब्रेरी की स्थापना 1,380 किताबों के दान से हुई थी, जो उस दौर की ज्ञान और पढ़ाई की भावना का प्रतीक थी.
अब 2025 में यह विश्वविद्यालय 90 अंडरग्रेजुएट, 135 पोस्टग्रेजुएट और 71 पीएचडी प्रोग्राम ऑफर करता है. इसके अलावा 37 सर्टिफिकेट और 114 डिप्लोमा कोर्स भी चल रहे हैं. 407 एकड़ में फैले इस संस्थान में 91 कॉलेज, 16 फैकल्टी, 86 शैक्षणिक विभाग और 23 सेंटर, स्कूल और संस्थान शामिल हैं. यहां 6.2 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं. यह इसे भारत के सबसे बड़े और विविधता वाले पब्लिक विश्वविद्यालयों में शामिल करता है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में इस समय 11,000 से ज्यादा छात्र पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम में नामांकित हैं, जो उन्नत शैक्षणिक प्रशिक्षण, रिसर्च में उत्कृष्टता और बहुविषयक शिक्षा के प्रति संस्थान की लगातार प्रतिबद्धता को दिखाता है. कुल 109 शैक्षणिक विभागों, केंद्रों, संस्थानों और स्कूलों में से 87 पूरी तरह से पीजी और उससे ऊपर की पढ़ाई को समर्पित हैं.
सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, यूनिवर्सिटी ने यूजीसीएफ (अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क) 2022 और पीजीसीएफ (पोस्टग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क) 2025 को अपनाया है. इसके जरिए कोर्स में लचीलापन, बहुविषयक सोच, भारतीय ज्ञान प्रणाली और रिसर्च पर केंद्रित पढ़ाई को बढ़ावा मिला है.
यहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर पुराने औपनिवेशिक दौर की विरासत और आधुनिक तकनीक का मेल है.
यूनिवर्सिटी के पास 34 लाइब्रेरी का नेटवर्क है जिनमें 17 लाख से ज्यादा किताबें हैं और 30,000 से ज्यादा ई-जर्नल्स सुलभ हैं. यहां 20 स्टुडेंट हॉस्टल हैं और 568 क्लासरूम तथा सेमिनार हॉल हैं जो ऑडियो-विजुअल और डिजिटल लर्निंग टूल्स से लैस हैं. वाइ-फाइ से जुड़े ये कैंपस नेशनल नॉलेज नेटवर्क से इंटीग्रेटेड हैं. यूनिवर्सिटी में 238 से ज्यादा स्पेशलाइज्ड लैब्स हैं, जो साइंस, लाइफ साइंस, सोशल साइंस, ह्यूमैनिटीज और इंटरडिसिप्लिनरी डोमेन में पीजी और डॉक्टोरल प्रोग्राम को सपोर्ट करती हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय का रिसर्च आउटपुट 2024 में बेहद प्रभावशाली रहा. यूनिवर्सिटी की 5,200 से ज्यादा रिसर्च पब्लिकेशन स्कोपस में इंडेक्स हुईं. इनमें से 10.4 फीसद (करीब 540 पब्लिकेशन) दुनिया की टॉप 10 फीसद सबसे ज्यादा रेफर की गई रिसर्च में शामिल रहीं, जबकि 1.2 फीसद (62 पब्लिकेशन) टॉप 1 फीसद सबसे ज्यादा साइटेड ग्लोबल रिसर्च में गिनी गईं.
इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने चार पेटेंट फाइल किए और 1,725 छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट मिला. प्रमुख कंपनियों में एक्सेंचर, डेलॉइट, ईवाइ, मैकिंजी ऐंड कंपनी, जेडएस एसोसिएट्स, आइसीआइसी बैंक, केपीएमजी, अमेजन, एडोबी, आइटीसी, मॉर्गन स्टेनली और टीसीएस शामिल थीं. एक पीजी छात्र को 1 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा का पैकेज मिला.
हालांकि यह आंकड़ा यूनिवर्सिटी के पीजी छात्रों की पूरी प्लेसमेंट तस्वीर नहीं दिखाता. बड़ी संख्या में छात्र पारंपरिक नौकरी के रास्ते नहीं चुनते, बल्कि उद्यमिता, स्वतंत्र प्रैक्टिस या फ्लेक्सिबल करियर की तरफ जाते हैं, जो आमतौर पर प्लेसमेंट आंकड़ों में दर्ज नहीं होते. मसलन, कई एलएलबी और एलएलएम ग्रेजुएट स्वतंत्र वकालत, जुडिशियल अप्रेंटिसशिप या अदालतों में विभिन्न भूमिकाएं चुनते हैं, जो औपचारिक डेटा में नहीं आते.
इसी तरह, भारतीय और विदेशी भाषाओं, संगीत और परफॉर्मिंग आर्ट्स जैसे विषयों से जुड़े छात्र अनुवाद, क्रिएटिव राइटिंग, पत्रकारिता, पर्यटन और फ्रीलांस परफॉर्मेंस जैसे पेशों में जाते हैं. इन क्षेत्रों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इनमें रोजगार संरचनाएं अक्सर अनौपचारिक होती हैं.
आधे से ज्यादा पीजी छात्र साइंस, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स और सोशल साइंस जैसे विषयों से आते हैं. इनमें से कई स्टार्टअप्स, कंसल्टेंसी, एनजीओ और डिजिटल मीडिया सेक्टर में काम कर रहे हैं. ये उभरते क्षेत्र लचीलापन, नवाचार और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे दिल्ली विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का एक मजबूत केंद्र बन गया है.
टॉप रिक्रूटर, 2024
एक्सेंचर, डिलॉइट, ईवाइ, मैकिंजी ऐंड कंपनी, जेडएस एसोसिएट्स, आइसीआइसीआइ बैंक, केपीएमजी, अमेजन, अडोबी, आइटीसी, महिंद्रा, मॉर्गन स्टेनली और
कैंपस का माहौल
इसके नॉर्थ और साउथ दोनों कैंपस खूब हरे-भरे, पैदल चलने के माकूल. यहां के हेरिटेज वास्तुशिल्प और आधुनिक इमारतों का शानदार मेल. सभी भारतीय राज्यों के अलावा 70 से ज्यादा देशों के छात्रों के आने से यह बहुभाषी परिवेश बना
औरों से जुदा डीयू ने सभी पीजी प्रोग्राम में इकलौती बालिका संतान के आरक्षण को लागू कर दिया है
इसके पास 238 से ज्यादा स्पेशलाइज्ड लैब, यूएसआइसी और सीआइएफ जैसे एडवांस्ड इंस्ट्रुमेंटेशन सेंटर हैं, और यह सीएसआइआर, डीएसटी, डीबीटी और यूजीसी के जरिए पोषित परियोजनाओं का अनुभव दिलाता है.
नया क्या?
2023-24 में चीनी, कोरियाई, हिंदू अध्ययन, और कंप्यूटर साइंस में पीजी कोर्सेज की शुरुआत की गई
मेहमान का पन्ना
प्रो. योगेश सिंह, वाइस चांसलर, दिल्ली विश्वविद्यालय
भविष्य की बुनियाद
पिछले दो साल में दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक व्यापक बदलाव की यात्रा शुरू की है. इसका मकसद है खुद को देश के अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थानों की श्रेणी में और ऊपर ले जाना.
हमारी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रहा है लगभग 5,000 फैकल्टी सदस्यों की भर्ती. इस फैकल्टी विस्तार से अकादमिक गुणवत्ता और रिसर्च में मजबूती आई है, जिससे छात्रों को एक स्थिर और समृद्ध शैक्षणिक माहौल मिल रहा है. इसके साथ-साथ नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती भी जारी है, जिससे विश्वविद्यालय के 91कॉलेजों और लगभग 500 शैक्षणिक कार्यक्रमों के विशाल नेटवर्क को बेहतर प्रशासनिक सपोर्ट और सुचारु संचालन मिल रहा है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना हमारी प्राथमिकता रहा है. इसके लिए 2,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का अभूतपूर्व निवेश किया गया है, जिसका मकसद मौजूदा सुविधाओं का नवीनीकरण और नई बिल्डिंग्स तैयार करना है. इन इमारतों को स्मार्ट क्लासरूम, वाइ-फाइ कनेक्टिविटी, सीसीटीवी निगरानी और सोलर एनर्जी जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है. कड़कडड़ूमा कोर्ट और द्वारका सेक्टर 21 मेट्रो स्टेशन के पास बन रहे नए ईस्ट और वेस्ट कैंपस सितंबर 2026 तक चालू हो जाएंगे. यह यूनिवर्सिटी को नॉर्थ और साउथ कैंपस की पारंपरिक सीमाओं से आगे ले जाने का संकेत है.
शैक्षणिक नवाचार भी हमारी प्राथमिकता में है. यूनिवर्सिटी ने पहली बार खुद के इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू किए हैं, जो तकनीकी शिक्षा में हमारी सीधी एंट्री का संकेत है. पहले यह जिम्मेदारी सिर्फ एफिलिएटेड संस्थानों तक सीमित थी. साथ ही, पोस्टग्रेजुएट स्तर पर भी विस्तार हुआ है. कोरियन, हिंदू, चीनी अध्ययन और पत्रकारिता जैसे विषयों में नए एमए प्रोग्राम शुरू किए गए हैं, जो हमारे वैश्विक और इंटरडिसिप्लिनरी विजन को दर्शाते हैं.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत चार साल के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम शुरू किए गए हैं, जिससे शैक्षणिक लचीलापन बढ़ा है. रिसर्च के क्षेत्र में 2024 में 5,200 से ज्यादा पब्लिकेशन दर्ज हुईं और यूनिवर्सिटी का एच-इंडेक्स 290 रहा, जो भारत की सभी यूनिवर्सिटीज में सबसे ज्यादा है. इससे यह साबित होता है कि डीयू ज्ञान सृजन का एक बड़ा केंद्र बन चुका है. 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस’ का दर्जा और सरकारी फंडिंग से डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेंट्रल रिसर्च फैसिलिटी में निवेश को भी तेजी मिली है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष स्टार्टअप इनक्यूबेटर की शुरुआत की गई है, जो छात्रों को सीड फंडिंग, मेंटरशिप और इंटर्नशिप उपलब्ध कराता है. साथ ही, वाइस चांसलर इंटर्नशिप स्कीम के जरिए मेधावी छात्रों को इंडस्ट्री और प्रशासनिक भूमिकाओं से जोड़ा जा रहा है, जिससे पढ़ाई और प्रैक्टिकल अनुभव के बीच की दूरी कम हो रही है.
एडमीशन रिफॉर्म के तहत अब एक केंद्रीकृत प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, जिससे देशभर के अलग-अलग बोर्ड से आए छात्रों को समान अवसर मिलते हैं. इससे मेरिट पर आधारित चयन प्रणाली मजबूत हुई है और विविधता को बढ़ावा मिला है. यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं का अनुपात संतुलित है, जहां 53 फीसद छात्राएं हैं.
जब दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी सौ साल की शानदार विरासत का जश्न मना रहा है, तब ये व्यापक सुधार और निवेश एक नए, जीवंत दौर की शुरुआत का संकेत दे रहे हैं.
— शैली आनंद से बातचीत पर आधारित
सरकारी कैटेगरी में देश की बेस्ट यूनिवर्सिटी
ज्योति मीणा, थर्ड सेमेस्टर, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, डीयू
हिंदू कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) केमिस्ट्री पूरी करने के बाद मैंने खुद को यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में पूरी तरह झोंक दिया. मैं इस साल फरवरी में इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गई.
लेकिन वक्त के साथ मुझे एहसास हुआ कि पब्लिक पॉलिसी में मेरी दिलचस्पी तो है, लेकिन मैं उसे कॉर्पोरेट नजरिए से भी समझना चाहती हूं. तब मुझे लगा कि फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस) मेरे लिए अगला स्वाभाविक कदम है.
एफएमएस ने मुझे वह सब दिया जिसकी मुझे जरूरत थी: बेहतरीन अकादमिक माहौल, लचीलापन, एलुम्नाई नेटवर्क और सबसे खास बात, दिल्ली की लोकेशन. इसकी वजह से मैं अपने कोर्स के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी भी कर सकी.
पढ़ाई के लिहाज से एफएमएस हमें लगातार तैयार रखता है. पहले साल में हम फाइनेंस, आइटी, मार्केटिंग, स्ट्रैटेजी जैसे अलग-अलग विषयों को पढ़ते हैं, फिर दूसरे साल में स्पेशलाइजेशन करते हैं. मैंने मार्केटिंग और स्ट्रैटेजी को चुना है और साथ ही गवर्नमेंट कंसल्टिंग में भी गहराई से दिलचस्पी ले रही हूं. फिलहाल हमें एक डेसर्टेशन तैयार करना है.
एफएमएस और डीयू का जो पहलू मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, वह है इसका संतुलन. पढ़ाई में गंभीरता है, लेकिन घुटन नहीं है. किताबों से बाहर सीखने की भी भरपूर जगह है, जैसे केस कंपीटिशन, गेस्ट लेक्चरर और कल्चरल क्लब्स. क्लास के बाहर मैं पब्लिक पॉलिसी क्लब की एग्जीक्यूटिव मेंबर हूं, जो एफएमएस में अपनी तरह का पहला क्लब है.
हम गेस्ट लेक्चर और पॉलिसी कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हैं, और यह काफी सुकून देने वाला अनुभव है कि हम ऐसा प्लेटफॉर्म बना रहे हैं जहां बिजनेस स्टूडेंट्स यह समझ सकें कि नीति कैसे प्राइवेट सेक्टर से जुड़ती है. अब जब मैं अपने आखिरी सेमेस्टर, प्लेसमेंट और आगे के सफर की ओर देख रही हूं, तो मैं पाती हूं कि एफएमएस सिर्फ एक डिग्री नहीं है. यह मेरे लिए एक टर्निंग पॉइंट था, एक प्लेटफॉर्म था और सबसे बढ़कर, एक लॉन्चपैड.
''एफएमएस ने वह सब दिया जिसकी मुझे जरूरत थी: अकादमिक उत्कृष्टता, लचीलापन, एलुम्नाइ का जबरदस्त नेटवर्क और सबसे बढ़कर दिल्ली की लोकेशन.’’