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प्रधान संपादक की कलम से

यह विडंबना ही है कि इक्कीसवीं सदी के भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में अब भी 621 एकड़ में एक झुग्गी बस्ती फैली है, जहां 12 लाख लोग रहते हैं और ज्यादातर को बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं.

इंडिया टुडे कवर : अदाणी का बड़ा दांव
इंडिया टुडे कवर : अदाणी का बड़ा दांव
अपडेटेड 28 अगस्त , 2025

—अरुण पुरी.

धारावी और गौतम अदाणी. यह जोड़ी पहली नजर में ही कितनी नाटकीय है, विपरीत ध्रुवों का मेल. एक तरफ दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गियों में शुमार धारावी, दूसरी ओर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार गौतम अदाणी.

महाराष्ट्र सरकार ने नवंबर 2022 में धारावी पुनर्विकास परियोजना को एक विशेष प्रयोजन संस्था 'नवभारत मेगा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड’ (एनएमडीपीएल) के जरिए अदाणी को सौंप दिया. इसमें अदाणी समूह की रियल एस्टेट शाखा अदाणी प्रॉपर्टीज की 80 फीसद हिस्सेदारी है जबकि बाकी 20 फीसद राज्य सरकार के पास है. इसी साल मई में राज्य सरकार ने धारावी के पुनर्विकास के मास्टरप्लान को मंजूरी दे दी.

आज के अनुमान के मुताबिक, अदाणी की कुल निवेश राशि 2.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है. इसमें धारावी और उसके बाहर पुनर्वास, व्यावसायिक पुनर्विकास, सड़कें, मीठी नदी के तट का पुनर्निर्माण और सबसे महत्वपूर्ण 14 करोड़ वर्ग फुट का निर्मित रियल एस्टेट क्षेत्र शामिल है, जिसमें आधा हिस्सा धारावी के भीतर ही होगा.

यह अदाणी के करियर के सबसे बड़े दांवों में से एक है, बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा. यह एक तरह का टेस्ट है कि क्या निजी पूंजी वहां सफल हो सकती है जहां दशकों तक सार्वजनिक नीतियां विफल रही हैं: एक ऐसी झुग्गी बस्ती को नए सिरे से बनाना, जो एक ओर भारत की जीवटता का प्रतीक है, तो दूसरी ओर उसकी शहरी उपेक्षा का चेहरा भी है.

अगर अदाणी यह कर लेते हैं तो यह भारत के आधुनिक इतिहास की सबसे महत्वाकांक्षी नगरीय पुनरुत्थान योजनाओं में गिना जाएगा. साथ ही यह उन्हें एक राष्ट्र निर्माता की छवि देगा और मुंबई के दिल में एक रियल एस्टेट खजाना खोल देगा.

यह विडंबना ही है कि इक्कीसवीं सदी के भारत की वित्तीय राजधानी में अब भी 621 एकड़ में फैली एक झुग्गी बस्ती है, जहां 12 लाख लोग रहते हैं और ज्यादातर को बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं. धारावी इतनी सघन है कि यहां एक व्यक्ति को औसतन महज 25 वर्ग फुट जगह मिलती है, जबकि मुंबई का औसत इससे 15 गुना ज्यादा है.

यहां के लोगों को जगह की किल्लत है, जज्बे की नहीं. वे मेहनतकश और आत्मनिर्भर हैं. उन्होंने एक ऐसा अनौपचारिक अर्थतंत्र खड़ा कर लिया है, जिसका सालाना कारोबार 8,623 करोड़ रुपए है. यहां अक्सर आवासीय और व्यावसायिक स्थल एक ही ढाऌंचे में ऊपर-नीचेे हैं. ऊपर 10&10 फुट का घर, नीचे कोई कुटीर उद्योग.

करीब 20,000 मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल इकाइयां तथा एक कमरे की फैक्ट्रियां कपड़े, विग, दीये और मुंबई की नाश्ते की चीजें जैसे इडली, वड़ा, वड़ा पाव बनाती हैं. यह एक जीता-जागता मॉडल है कि जहां सरकारें नाकाम रहीं, वहां जनता ने जीवन और आजीविका का रास्ता खुद निकाला.

इस सघन तंत्र को आधुनिक बनाते हुए उसकी जीवंतता को मारे बिना बदलाव लाने की चुनौती है. इसका पुनर्वास भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, सरकारी लालफीताशाही और सामाजिक अशांति समेत कई समस्याओं से घिरा है. बहुतों ने इससे किनारा कर लिया. लेकिन अगर कोई इस गतिरोध को तोड़ सकता है, तो वे अदाणी ही हो सकते हैं.

उनके पास पूंजी है, मेगा परियोजनाओं को पूरा करने का ट्रैक रिकॉर्ड है, और राजनैतिक समर्थन भी. इससे उन्हें भारत की व्यवस्था में संभवत: सबसे अनुकूल रनवे मिला है. हालांकि, अदाणी ने अब तक हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसी विश्वस्तरीय बुनियादी संरचनाएं बनाई हैं लेकिन कभी 10 लाख लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली परियोजना का सामना नहीं किया. मामला पेचीदा है, और निगरानी सख्त होगी.

त्रिपक्षीय योजना के तहत धारावी की 269 एकड़ की विकसित भूमि का 43.3 फीसद पुनर्वास के लिए और 44 फीसद व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए आरक्षित है. बाकी जमीन सार्वजनिक उपयोग की सुविधाओं के लिए होगी. पुनर्वास में 58,532 ऐसे फ्लैट शामिल हैं, जिनमें प्रत्येक का आकार 350 वर्ग फुट होगा. केवल उन लोगों को फ्लैट मुफ्त मिलेगा जो 1 जनवरी, 2000 से पहले ग्राउंड फ्लोर पर रह रहे थे.

उनकी संख्या धारावी की मौजूदा आबादी की आधी से भी कम है. बाकी लगभग पांच लाख लोगों को छह उपनगरीय स्थलों पर नए फ्लैटों में शिफ्ट होना पड़ेगा. उन्हें रियायती दरों पर फ्लैट बेचा या किस्तों पर दिया जाएगा. राज्य सरकार ने अदाणी को इन फ्लैटों के लिए रियायती दरों पर 541.2 एकड़ भूमि आवंटित की है.

इन जगहों में तीन सॉल्ट पैन क्षेत्र और एक डंपिंग ग्राउंड शामिल हैं. आलोचक इसे ''पोशीदा ढंग से जमीन हथियाना’’ करार दे रहे हैं. पर्यावरणीय चिंता भी जताई जा रही है और उपनगरीय स्थानीय निवासी जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर असंतुष्ट हैं; इनमें से कई विस्थापित मुसलमान हो सकते हैं.

व्यावसायिक इकाइयों के पुनर्वास पर भी पात्रता के वही नियम लागू होंगे: धारावी में 225 वर्ग फुट के 20,000 नए व्यावसायिक स्थल दिए जाएंगे, लेकिन उद्यमियों के लिए अपनी श्रमशक्ति को एकत्रित रखना मुश्किल होगा. इसी दौरान धारावी में अदाणी को मिले 118.5 एकड़ में उन्हें 6.943 करोड़ वर्ग फुट का प्राइम रियल एस्टेट मिलेगा, जो प्रीमियम बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स की बगल में है.

पुनर्वास का काम 2032 तक पूरा होना है. अदाणी के शोपीस बिजनेस डिस्ट्रिक्ट के तैयार होने में 25 साल लगेंगे. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चले तो यह 5.6 लाख करोड़ रुपए का राजस्व पैदा कर सकती है.

इस हफ्ते की कवर स्टोरी में सीनियर एसोसिएट एडिटर धवल एस. कुलकर्णी इस अभूतपूर्व दांव की परत दर परत पड़ताल कर रहे हैं. इसमें गरीबी, मुनाफा और बदलाव की उम्मीदें एक-दूसरे से टकरा रही हैं.

अदाणी के लिए यह एक बड़ा दांव है, जो उन्हें और शोहरत तथा दौलत दिला सकता है, या फिर उन्हें नाकामी और विवाद में घसीट सकता है. अगर वे कामयाब होते हैं तो यह देश के लिए शहरी पतन को थामने का एक बेहतरीन खाका बन सकता है.

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