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HAL ने अपने नए जेट में स्वदेशी रडार लगाने से क्यों किया इनकार?

HALने स्वदेशीकरण को धता बताते हुए LCA एमके1ए जेटों के लिए DRDO के रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण की जगह विदेशी टेक्नोलॉजी को चुना है

उड़ान भरते हुए तेजस फाइटर जेट
अपडेटेड 22 जुलाई , 2025

ऑपरेशन सिंदूर स्वदेशी सैन्य क्षमताओं का एक प्रभावशाली प्रदर्शन था. लेकिन इसके तुरंत बाद एक चिंताजनक विरोधाभास सामने आया. भारत की रक्षा नवाचार प्रणाली के केंद्र में मौजूद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) अब असमंजस की स्थिति में है क्योंकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने अपने नवीनतम जेट विमानों में डीआरडीओ की ओर से तैयार स्वदेशी उत्तम एईएसए (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) रडार और स्वयम् रक्षा कवच (एसआरके) इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम के बजाए आयातित रडार और अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाने का फैसला किया है.

सूत्रों के अनुसार, एचएएल ने इज्राएली कंपनी ईएलटीए सिस्टम्स को रडार और ईडब्ल्यू सूट की सप्लाइ के लिए एक आशय-पत्र जारी कर दिया है. इसी तरह की एक स्थिति राफेल मरीन फाइटर जेट सौदे में भी देखने को मिली, जहां मूल योजना में शामिल होने के बावजूद निर्माता दसॉ एविएशन के दबाव में 'उत्तम' रडार को अंतिम विन्यास से हटा दिया गया.

जब 2021 में भारतीय वायु सेना ने एचएएल से 48,000 करोड़ रुपए की डील में 83 एलसीए एमके1ए मल्टीरोल लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया, तो एचएएल ने यह प्रतिबद्धता जताई थी कि अंतिम 43 विमानों में स्वदेशी रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (ईडब्ल्यू) सिस्टम लगाए जाएंगे. लेकिन मार्च 2025 में एचएएल ने यू-टर्न लेते हुए फैसला किया कि इन अंतिम 43 विमानों में भी वही ईएलटीए के रडार और ईडब्ल्यू सिस्टम लगाए जाएंगे, जो पहले 40 विमानों में हैं. हालांकि एचएएल को फरवरी 2024 से एलसीए एमके1ए की डि‌लिवरी शुरू करनी थी, लेकिन अब तक एक भी विमान तैयार नहीं हुआ है.

किसी लड़ाकू विमान में रडार लक्ष्यों को ट्रैक कर और मिसाइलों को निर्देशित कर स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करते हैं, जबकि एक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट दुश्मन के रडार से बचाव के लिए उन्हें जाम करता है या काउंटरमेजर्स तैनात करता है. एईएसए रडार परियोजना, जिसे उत्तम रडार कहा जाता है, 2008 में शुरू हुई थी और 2012 में इसे मंजूरी दी गई थी. डीआरडीओ ने जुलाई 2023 में इसका ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी एचएएल को सौंप दिया, जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) सबसिस्टम आपूर्तिकर्ता के रूप में शामिल है. उसी साल इस रडार को निर्यात के लिए भी मंजूरी मिल गई.

एसआरके ईडब्ल्यू सूट—जो उत्तम रडार के साथ मिलकर काम करने के लिए डिजाइन किया गया है—डीआरडीओ के कॉम्बैट एयरक्राफ्ट सिस्टम्स डेवलपमेंट ऐंड इंटीग्रेशन सेंटर, बेंगलूरू और डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च लैबोरेटरी, हैदराबाद की ओर से विकसित किया जा रहा है. यह ईडब्ल्यू सूट दो प्रमुख घटकों से बना है: रडार वॉर्निंग रिसीवर (आरडब्ल्यूआर) और एडवांस्ड सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर (एएसपीजे) पॉड.

विदेशी विकल्प क्यों
एचएएल के एक अधिकारी ने डीआरडीओ के रडार और ईडब्ल्यू सूट को सैन्य विमानन योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र (सीईएमआइएलएसी) की ओर से प्रमाणन में देरी को इस फैसले की वजह बताया. एचएएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया, ''हमारे पास आयातित रडार इसलिए है क्योंकि डीआरडीओ का रडार और ईडब्ल्यू सूट उत्पादन के लिए सीईएमआइएलएसी की ओर से प्रमाणित नहीं किया गया है.''

एचएएल ने नवंबर 2024 में एलसीए एमके1ए की खातिर 43 उत्तम रडार की खरीद के लिए टेंडर जारी किया था. ऐसे में यह यू-टर्न और भी अप्रत्याशित हो गया. डीआरडीओ के एक अधिकारी ने माना कि ईडब्ल्यू सूट के परीक्षणों में देरी हुई है क्योंकि उपयुक्त परीक्षण विमान उपलब्ध नहीं थे, लेकिन उन्होंने यह भी दावा किया कि सीईएमआइएलएसी ने पिछले साल ही रडार को उत्पादन के लिए प्रमाणित कर दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ ने एचएएल से कुछ और वक्त मांगा था और अभी तक आखिरी फैसला नहीं लिया गया है.

डीआरडीओ अधिकारियों ने एक व्यवहार्य विकल्प की ओर इशारा किया—एसआरके सूट को पूर्ण प्रमाणन मिलने तक उत्तम रडार को आयातित ईडब्ल्यू सिस्टम्स के साथ एकीकृत किया जा सकता है. दरअसल, एचएएल के इस फैसले को और जटिल बनाते हुए, सीईएमआइएलएसी ने अप्रैल में एचएएल और डीआरडीओ को भेजे गए एक आंतरिक पत्राचार में कहा था कि उत्तम रडार ने उड़ान परीक्षण के चार चरण पूरे कर लिए हैं.

इसके अलावा, रडार हार्डवेयर ने एलसीए एमके1ए की जरूरतों के मुताबिक क्वालिफिकेशन टेस्ट भी पास किए हैं. रडार को सेवा में शामिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सीईएमआइएलएसी ने सिफारिश की थी कि रडार के सबसिस्टम्स का उत्पादन शुरू किया जाए, जिसमें एचएएल की हैदराबाद स्थित एवियोनिक्स डिविजन को प्रमुख सिस्टम इंटीग्रेटर की भूमिका सौंपी गई थी.

डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इशारा किया कि हो सकता है कि एचएएल की हिचकिचाहट स्वदेशी प्रणाली में विश्वास की कमी के कारण हो. उन्होंने कहा, ''ऐसा लगता है कि विमानों को डिलिवर करने का दबाव है. अगर वायु सेना ने विश्वास व्यक्त किया है तो एचएएल को भी भारत में निर्मित प्रणाली को अपनाने के लिए थोड़ा धैर्य रखना चाहिए. इसके अलावा, जब तक एचएएल 41 विमानों को डिलिवर करता है, भारतीय ईडब्ल्यू सुइट को प्रमाणित कर दिया जाएगा.''

उन्होंने कहा कि आयातित प्रौद्योगिकी का विकल्प चुनने का एचएएल का फैसला स्वदेशीकरण की दिशा में जारी प्रयासों को कमजोर करता है. डीआरडीओ के पूर्व विज्ञानी रवि गुप्ता का कहना है कि डीआरडीओ ने इन प्रौद्योगिकियों के विकास में वर्षों लगाए हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, खासकर युद्ध की स्थिति में जब आयातित प्रणालियां खतरे में पड़ सकती हैं, आपूर्ति शृंखला और स्वदेशी रडार प्रणालियों के स्रोत कोड पर नियंत्रण जरूरी है.

एलआरडीई ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और बीईएल जैसे भागीदारों के साथ मिलकर उत्तम एईएसए रडार प्रणाली विकसित की है. उत्तम रडार ने 100 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर 50 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक करने और एक साथ चार लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता भी प्रदर्शित की है. वायु सेना ने उत्तम रडार में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. फिर भी डीआरडीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रडार के उड़ान परीक्षणों और ईडब्ल्यू सुइट के विकास में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर अत्याधुनिक सिस्टम विकसित करना एक बड़ी चुनौती है.

दूसरे, डीआरडीओ के पास सिर्फ पुराने तेजस एलसीए विमान होने के कारण प्रगति में बाधा उत्पन्न हुई. इसके विपरीत, विदेशी निर्माताओं को दो एलसीए एमके1ए प्रोटोटाइप दिए गए. आने वाले हफ्तों में पता चलेगा कि एचएएल का फैसला बरकरार रहेगा या डीआरडीओ के मेहनती प्रयासों का सम्मान किया जाएगा. एक बात तो साफ है—भारतीय वायुसेना, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी और ज्यादातर भारतीय वैज्ञानिक उत्तम रडार और एसआरके ईडब्ल्यू सुइट के पक्ष में हैं.

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