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देश में ईवी कारों के सस्ते होने की उम्मीद क्यों बढ़ी?

इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा देने की सरकारी योजना को उत्सुकता से देख रहे विदेशी कार निर्माताओं के लिए अभी ये शुरुआती दिन है.

the insider CARS Auto special
ल्यूसिड ग्रेविटी
अपडेटेड 24 जुलाई , 2025

भारत में विदेशी कार निर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण के लिए निवेश करने की खातिर हाल ही घोषित प्रोत्साहन योजना अब जमीन पर उतरने को तैयार है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, कई कार कंपनियों ने इस योजना में पंजीकरण कराने में रुचि दिखाई है. इनमें वे कंपनियां भी शामिल हैं जो पहले से ही भारत में हैं, साथ ही कुछ नई कंपनियां भी हैं जो इसे भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस स्थापित करने के मौके के रूप में देख रही हैं.

लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इन कंपनियों की नई और सस्ती कारों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि एक बार पंजीकृत हो जाने पर ये कंपनियां ईवी का आयात केवल 15 फीसद आयात शुल्क पर कर सकती हैं, जबकि अमूमन यह शुल्क 70 या 100 फीसद होता है.

इस योजना के तहत आयात की जा सकने वाली कारों की संख्या इस शर्त से नियंत्रित रहेगी कि कंपनी ने कम दर पर शुल्क का भुगतान कर कितनी रकम बचाई. योजना के तहत यह राशि कंपनी के निवेश की रकम के बराबर हो सकती है लेकिन बचत की सीमा 6,484 करोड़ रु. रखी गई है. बेशक, इस योजना में कई अन्य शर्तें और पेच भी हैं, और यह जितनी सरल दिखती है, उतनी है नहीं.

अब यह देखना है कि कितनी कंपनियां वास्तव में इस योजना का लाभ उठाकर भारत में यात्री ईवी निर्माण (एसपीएमईपीसीआइ) को बढ़ावा देती हैं. लेकिन लगभग यह तय माना जा रहा है कि जिस एक कंपनी के लिए यह योजना खासतौर पर तैयार की गई थी, वह इसमें भाग नहीं लेगी, बल्कि सीबीयू (कंप्लीट बिल्ट-अप) रूट से आयात करके उस समय लागू शुल्क का भुगतान करेगी.

ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि टेस्ला को उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच जब द्विपक्षीय व्यापार समझौता होगा, तब आयात शुल्क को कम किया जा सकता है या फिर यूरोपीय यूनियन (ईयू) जैसे अन्य क्षेत्रों से भी जहां वह पहले से ही निर्माण करती है, समझौता हो सकता है.

ईवी बनाने वाली दूसरी अमेरिकी कंपनियां भी भारत में संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं और व्यापार समझौते पर वार्ता और उसके नतीजे का इंतजार कर रही हैं. इनमें ल्यूसिड मोटर्स और रिवियन जैसी नई और फोर्ड तथा जनरल मोटर्स जैसी पुरानी कंपनियां शामिल हैं.

स्टेलान्टिस पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह अपने ईवी ब्रांड लीपमोटर को भारत में लॉन्च करेगी. वहीं वियतनाम की उभरती हुई ईवी कंपनी‌ विनफास्ट ने तो एसपीएमईपीसीआइ के लॉन्च से पहले ही तमिलनाडु में निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर दिया है, और जल्द ही वह भारत में बनी अपनी वीएफ6 और वीएफ7 कारों को पेश करने जा रही है.


यह अभी पक्का नहीं है कि विभिन्न ईवी कंपनियां भारत में आने के लिए कौन-सा रास्ता अपनाएंगी, लेकिन इतना तो तय है कि इस साल देश में कई नए ईवी ब्रांड्स देखने को मिलेंगे और पहले से मौजूद कई ब्रांड्स की कारें भी पहले की तुलना में कहीं ज्यादा सस्ती कीमत पर उपलब्ध होंगी.

प्रताप योगेंद्र

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