- अरुण पुरी
महज रैंकिंग गेम नहीं, इंडिया टुडे ग्रुप का वार्षिक बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण, बल्कि उससे आगे बहुत कुछ कहता है. इस वर्ष अपने 29वें संस्करण में अत्यधिक परिष्कृत तुलनात्मक पद्धति के साथ यह भारतीय कॉलेजों में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों के लिए स्वर्णिम मानक की तरह है. आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हों, यह सर्वेक्षण 14 स्ट्रीम के सर्वश्रेष्ठ विकल्पों की सबसे सटीक तस्वीर आपके सामने रखता है.
इसमें स्नातक स्तर पर आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, लॉ, बीबीए, बीसीए, होटल प्रबंधन, फैशन डिजाइन तथा आर्किटेक्चर और मास्टर डिग्री के लिए मास कम्युनिकेशन और सोशल वर्क शामिल हैं. इसमें शामिल कॉलेजों की संख्या 2018 में 988 से करीब दोगुनी बढ़कर अब 1,865 हो गई है. 'दाखिला गुणवत्ता और प्रशासन', 'शैक्षणिक उत्कृष्टता', 'बुनियादी ढांचा और सजीव अनुभव', 'व्यक्तित्व तथा नेतृत्व विकास' और 'करियर प्रगति और प्लेसमेंट', इन पांच मापदंडों पर हमारे शोध भागीदार एमडीआरए की बेहद खरी कसौटी इन्हें परखने में मदद करती है.
लगातार नवाचार ऐसा ठोस आधार है, जो सबसे ज्यादा रुचि जगाता है. पिछले कुछ वर्षों में स्पष्ट हो गया है कि पुराने संस्थान सभी विषयों में शीर्ष स्थान पर हावी रहते हैं. हमारा मानना है कि रैंकिंग में अपेक्षाकृत स्थिरता का यह दोहराव व्यावहारिक नहीं कहा जा सकता. कुछ कुलीन संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करने से तमाम वास्तविक और सार्थक गतिविधियां नजरों से ओझल हो जाती हैं. हमने हमेशा ऐसी अस्पष्टता दूर करने की कोशिश की है.
2023 में हमने एक नई श्रेणी शुरू की—12 विभिन्न विषयों में श्रेष्ठ कॉलेज. इससे छात्रों को साख देखकर कोई संस्थान चुनने के बजाए वास्तविक नतीजों पर गौर करने में मदद मिली. आखिरकार किसी विषय के लिए सर्वश्रेष्ठ फैकल्टी हमेशा सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में ही तो नहीं हो सकता.
इस वर्ष हम एक और नया फीचर सर्वाधिक सुधरे कॉलेज लाए हैं. हमने सभी 14 स्ट्रीम में प्रत्येक में एक कॉलेज चुना है, जिसने पांच साल में रैंकिंग में सबसे तेजी से सुधार दर्शाया है. हालांकि, सामाजिक और सांस्कृतिक पूंजी के लिहाज से ये कुलीन संस्थानों की तुलना में पीछे हो सकते हैं, लेकिन रैंकिंग में सुधार गुणवत्ता को लेकर उनके ठोस इरादे का परिचायक है. इससे सर्वेक्षण के दायरे को और व्यापक बनाने में मदद मिली, जिससे विभिन्न संदर्भों में सर्वोत्तम विकल्प सामने लाए जा सके.
सर्वेक्षण क्या कुछ बताता है, उसे समझने के लिए कुछ उदाहरण ही काफी होंगे. बेहद कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली स्ट्रीम में दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) निर्विवाद रूप से नंबर-1 पर बरकरार है. लेकिन एम्स जोधपुर की उपलब्धि भी कम नहीं है, जिसने पिछले पांच वर्षों में बड़ी छलांग लगाकर 2020 में 25वें स्थान के मुकाबले इस बार 10वीं रैंकिंग हासिल की है. चार पायदान की छलांग तो उसने पिछले एक साल में ही लगाई है.
इसी तरह, दिल्ली का महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 41वें से 14वें स्थान पर पहुंच गया. बीबीए के लिए ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटियाज यूनिवर्सिटी का स्कूल ऑफ बिजनेस 2020 में 82वें स्थान से आज 35वें स्थान पर पहुंच चुका है. शीर्ष स्तर से नीचे की श्रेणियों में हमें इस तरह का शानदार उलटफेर लगातार नजर आता है. पांच वर्ष के बेंचमार्क के साथ हमने संस्थानों की इसी उत्कृष्टता को पहचानने की कोशिश की और उनमें सर्वश्रेष्ठ को चिन्हित किया. इस तरह हमने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बड़े बदलावों का पता लगाया और पाया कि भारत में धीरे-धीरे गुणवत्ता तक समान पहुंच बन रही है.
इस विश्लेषण का आधार हमारे पिछले संस्करणों के शीर्षतम आंकड़ों पर केंद्रित है. हमारी रैंकिंग में पहले से ही महानगरों से आगे बढ़कर टियर 2 और 3 शहरों के श्रेष्ठ संस्थान अपनी जगह बनाते रहे हैं, जिनमें कई टॉप 30 में पहुंच गए हैं. पहले की तरह ही हमने कई छोटे शहरों के शीर्ष तीन कॉलेज सूचीबद्ध किए. साथ ही उन कॉलेजों को भी जगह दी जो फीस के मुकाबले करियर संवारने को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि समझते हैं. इसलिए यह सर्वेक्षण सिर्फ चोटी के संस्थानों के बारे में ही नहीं, बल्कि आपके सामने ऐसी समावेशी और सक्षम तस्वीर पेश करता है, जो मौजूदा समय की जरूरतों के अनुरूप है.
हम कॉलेज में दाखिले के इच्छुक छात्रों के सामने कुछ एकदम नए और बेहतर विकल्प रख रहे हैं. अनगढ़ प्रशिक्षित प्रतिभाओं की भर्ती के नए पूल के तौर पर यह नियोक्ताओं के लिए भी उपयोगी साबित होगा. हमारी इंटरैक्टिव वेबसाइट bestcolleges.indiatoday.in इसे एक कदम और आगे ले जाती है. यह नवीनतम सूचनाएं मुहैया कराने वाले केंद्र की तरह है, जिसमें हमारा आठ वर्षों का पोलिंग डेटा भी समाहित है. इसमें 14 स्ट्रीम में 2,750 कॉलेजों के बारे में हर जानकारी उपलब्ध है.
इस्तेमाल के लिए अनुकूल यह डेटाबेस एक बड़े उद्देश्य को भी पूरा करता है. हर कोई जानता है कि भारत के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली को गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ-साथ उसका प्रसार और समान अवसर मुहैया करना कितना जरूरी है. हमारी विशाल आबादी का लगभग आधा हिस्सा 25 वर्ष से कम आयु वर्ग का है, जो दुनिया का सबसे बड़ा युवा समूह है. इसका करीब 10 फीसद हिस्सा तो 18-23 वर्ष आयु वर्ग का है.
भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली तेजी से विकसित होने के साथ मांग-आपूर्ति के बीच गंभीर असंतुलन दूर करने की कोशिश भी कर रही है. भारत में कॉलेज जाने वाली उम्र के युवाओं की 15 करोड़ या उससे कहीं ज्यादा है, लेकिन दाखिले का अनुपात महज 28.4 फीसद है. इसे 2014-15 में दर्ज 23.7 फीसद दाखिले से तो बेहतर माना जा सकता है लेकिन स्पष्ट तौर पर 58,000 से ज्यादा संस्थानों के साथ 'दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी उच्च शिक्षा प्रणाली' की क्षमता के लिहाज से यह आंकड़ा बेहतर नहीं कहा जा सकता.
हमारे बेस्ट कॉलेज सर्वेक्षण को मौजूदा समय का एक उच्च शिक्षा एटलस माना जा सकता है, जिससे भारत में निरंतर विकसित हो रहे क्षेत्र की वास्तविक चुनौतियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में हो रही प्रगति को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है. इसे 2025 के लिए मानव इन्फ्रास्ट्रक्चर पर एक स्थिति-रिपोर्ट मान सकते हैं, जो भारत के भविष्य का निर्माण करेगी.
यह विशेषांक भारतीय जनसंख्या संबंधी लाभांश के प्रति हमारी पेशकश का हिस्सा है. जान-परखकर निवेश करें, हमारी तरफ से आपको सुनहरे भविष्य की शुभकामनाएं.
— अरुण पुरी, प्रधान संपादक और चेयरमैन (इंडिया टुडे समूह).