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क्या ओलंपिक के लिए तैयार है भारत; कागजी दावों से इतर क्या हैं चुनौतियां?

भारत खेल की दुनिया के सबसे बड़े आयोजन को गुजरात में कराने की दावेदारी के लिए हर तरह से अपने को तैयार कर रहा. अब राज्य को क्या करना है, उसी की पड़ताल

भविष्य के मोटेरा की एक झलक
भविष्य के मोटेरा की एक झलक
अपडेटेड 29 मई , 2025

गुजरात और यहां के लोगों के दिलोदिमाग में ओलंपिक छाया हुआ है. आपको यह अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में साबरमती के तट पर 650 एकड़ में फैले सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव में हो रही गहमागहमी में दिख सकता है. बीती जनवरी में अहमदाबाद की वार्षिक पुष्प प्रदर्शनी में रंग-बिरंगे फूलों से बनी ओलंपिक रिंग्स आकर्षण का केंद्र थीं. शहर में सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे के बाहर स्टील और सीमेंट का एक स्थायी प्रतीक और बन गया है.

इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को 2036 के आयोजन का मेजबान चुनने में अभी साल भर लगेंगे. भारत ने अक्तूबर 2024 में आशय पत्र दिया था. हालांकि इसमें किसी खास जगह का जिक्र नहीं किया गया लेकिन गांधीनगर में सूत्रों का कहना है कि अधिकांश मुकाबले गुजरात में होंगे जबकि कुछ गोवा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में आयोजित किए जाएंगे. इस बात को लेकर कोई दुविधा नहीं है कि उदघाटन और समापन समारोह कहां आयोजित किए जाने हैं—नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में.

हालांकि खेलों में अभी 11 साल बाकी हैं, लेकिन भारत की विशाल आबादी, तेज आर्थिक वृद्धि और अब तक इसका मौका न मिले होने जैसे तथ्य इसे मजबूत दावेदार बनाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2024 में स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था, ''ओलंपिक की मेजबानी करना 140 करोड़ भारतीयों का सपना है." प्रधानमंत्री के गृह राज्य में नौकरशाही के हलकों में 2021 की शुरुआत में ही इसकी चर्चा शुरू हो गई थी, 2022 के विधानसभा चुनाव के भाजपा के घोषणापत्र में भी यह मंशा साफ नजर आई.

क्या चाहिए दावेदारी के लिए?

ओलंपिक की मेजबानी करने वाले किसी भी देश के लिए आईओसी के हिसाब से ये बातें अनिवार्य हैं: अनुकूल भू-राजनैतिक, सामाजिक-आर्थिक, मानव विकास और पर्यावरण के कारक; राजनैतिक इच्छाशक्ति, विजन का मास्टरप्लान और दीर्घकालीन विकास के साथ तालमेल; खेल, आवास और परिवहन सुविधाएं; खेल आयोजनों का अनुभव, सुरक्षा और अन्य चीजें.

भारत ने पिछले पांच दशकों में चार बहु-देशीय गैर-क्रिकेट अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेजबानी की है. ये आयोजन हैं—1982 में एशियाई खेल और 2010 में राष्ट्रमंडल खेल, दोनों दिल्ली में हुए जबकि 2017 अंडर-17 फीफा विश्व कप छह शहरों में और 2022 फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप तीन शहरों में हुआ.

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में आमतौर पर 28 से 35 खेल होते हैं जिनमें 184 देश भाग लेते हैं और लगभग 203 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियां होती हैं. पेरिस 2024 में 32 खेलों में 10,714 एथलीट थे जबकि लॉस एंजिलिस 2026 में 35 मुख्य खेल होंगे और लगभग 10,500 एथलीट और उनके सहायक कर्मचारी शामिल होंगे. भारत ने अब तक जिन सबसे बड़े खेलों की मेजबानी की है, उनमें 2010 के राष्ट्रमंडल खेल शामिल हैं जिनमें 21 खेलों में 71 राष्ट्रमंडल टीमों और 4,352 एथलीटों ने भाग लिया था.

हालांकि आईओसी ने यह नहीं बताया है कि ओलंपिक की मेजबानी करने के लिए किसी देश में कितने स्टेडियम होने चाहिए. फ्रांस में 35 खेलस्थल थे जबकि तोक्यो में 41 थे. लेकिन गुजरात या शायद भारत के किसी भी शहर में आवश्यक गुणवत्ता और आकार के बुनियादी ढांचे का अभाव है. साथ ही आईओसी पिछले कुछ वर्षों से देशों से लागत कम करने और मौजूदा स्थलों या अस्थायी स्थलों का उपयोग करने के लिए कह रही है.

वह ओलंपिक के 'स्थायित्व और उसकी विरासत' से जुड़े प्रभाव पर विचार करने के लिए भी कह रही है. इसलिए भारत को दिखाना होगा कि उसके पास अपने सामाजिक क्षेत्र के खर्च से समझौता किए बगैर आला दर्जे का खेल बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए संसाधन हैं. सरकारी सूत्रों का अनुमान है कि ओलंपिक की मेजबानी में 35,000 से 64,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

लेकिन यह अनुमान कम लगता है क्योंकि पेरिस ओलंपिक का बजट सबसे कम था. फिर भी उसकी लागत 8.9 अरब डॉलर (76,626 करोड़ रुपए) आई जबकि कई खेल फ्रेंच ओपन और यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप के लिए बनाए गए स्थानों पर आयोजित किए गए थे. इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट की अध्यक्ष मनीषा मल्होत्रा कहती हैं, ''भारत का बजट लॉस एंजिलिस ओलंपिक (2026) के बजट से सीधे-सीधे तीन गुना होगा."

आईओसी के सामने भारत का पक्ष रखने को तैयार नौकरशाहों की टीम का इरादा यह दलील देने का है कि अतिरिक्त बुनियादी ढांचे से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आने वाले वर्षों में समाज को लाभ होगा. भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं, ''ओलंपिक की तैयारियों के सिलसिले और उसके बाद होने वाले कई छोटे-बड़े खेल आयोजनों के लिए आने वाले खेल प्रेमियों से आतिथ्य, पर्यटन, परिवहन आदि को लाभ होगा."

तैयार हो रहा गुजरात

भारत को मेजबानी मिलेगी या नहीं, यह एक बात है लेकिन गुजरात ने तीन साल पहले ही अपनी ओलंपिक महत्वाकांक्षा पर काम शुरू कर दिया था. राज्य का खेल और संस्कृति मंत्रालय प्रदेश के शहरी विकास विभाग के साथ मिलकर अहमदाबाद और गांधीनगर को आधुनिक अंतरराष्ट्रीय खेल केंद्रों के रूप में फिर से विकसित करने में जुटा है और यह 2036 तक कई खेल आयोजनों की मेजबानी के लिए उन्हें तैयार कर रहा है. मार्च में भारत ने अहमदाबाद में राष्ट्रमंडल खेल 2030 की मेजबानी में भी दिलचस्पी दिखाई है. राज्य इस साल कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप और 2026 में एशियाई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप की भी मेजबानी करेगा.

सभी विकास कार्यों के केंद्र में 4,000 करोड़ रुपए की लागत से बना सरदार वल्लभभाई पटेल (एसवीपी) स्पोर्ट्स एन्क्लेव है. इसमें 10 से ज्यादा स्टेडियम होंगे जिनमें फुटबॉल स्टेडियम भी शामिल है. इसके अलावा एक बहुउद्देश्यीय इनडोर एरीना, एक एक्वाटिक्स सेंटर और एक टेनिस कोर्ट भी होगा. 20 किलोमीटर के दायरे में चौदह अन्य खेल स्थल विकसित किए जा रहे हैं. कराई पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, गिफ्ट सिटी और मणिपुर-गोधावी गांव में संस्कारधाम स्पोर्ट्स अकादमी (एसएसए) में भी खेलों की आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है.

अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच सुघड़-भाट इलाके में एथलीट्स विलेज के लिए एक जगह चिन्हित भी कर ली गई है. 500 एकड़ में फैले इस विलेज में 3,000 आवास सुविधाएं होंगी जिनमें संभावित रूप से 10,000 एथलीट और कर्मचारी रह सकते हैं. एसएसए के करीब ही इसी आकार का एक और भूखंड चिन्हित किया गया है.

कम से कम दो अंतरराष्ट्रीय सलाहकार ओलंपिक विलेज का मास्टरप्लान तैयार करने में गुजरात ओलंपिक आयोजना और अवसंरचना निगम लिमिटेड (गोलिंपिक) की मदद कर रहे हैं, जबकि तीसरा सलाहकार एसवीपी स्पोर्ट्स एन्क्लेव के विकास की निगरानी कर रहा है. 11.5 किलोमीटर लंबा साबरमती रिवरफ्रंट अभी मोटेरा स्टेडियम से ठीक पहले खत्म हो जाता है, अब इसे गांधीनगर में गिफ्ट सिटी तक 26.7 किलोमीटर में विकसित किया जाएगा. सरकार मोटेरा में भी जमीन का अधिग्रहण कर रही है, जिसमें दोषी ठहराए गए आसाराम बापू के आश्रम का बड़ा हिस्सा भी शामिल है.

अहमदाबाद-गांधीनगर को आईओसी की यह शर्त पूरी करनी होगी कि मेजबान शहर में ओलंपिक विलेज के अलावा पर्यटकों और कर्मचारियों के ठहरने के लिए होटलों के कम से कम 40,000 कमरे हों. फिलहाल दोनों शहरों में कुल मिलाकर केवल 4,000 कमरे हैं.

एसवीपी स्पोर्ट्स एन्क्लेव साबरमती मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब से पैदल दूरी पर है. इस हब में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन (2028 तक शुरू होने की उम्मीद) स्टेशन; एक मेट्रो और एक रेल स्टेशन; और बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटीएस) होगा. अहमदाबाद से 103 किलोमीटर दूर धोलेरा में एक और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के 2028 तक शुरू हो जाने की उम्मीद है.

गुजरात सरकार ने इस साल के बजट में खेल विकास के लिए 250 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. गृह, खेल और युवा मामलों के राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने विधानसभा को बताया कि 13 नए जिला खेल परिसर और 19 तालुका खेल परिसर बनाए जा रहे हैं. अहमदाबाद नगर निगम शहर में सात बड़े खेल परिसर बनाने के लिए 250 करोड़ रुपए और खर्च कर रहा है.

...और इधर चुनौतियां

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए गुजरात के दावे में मौसम एक बड़ी चुनौती होगा. जुलाई-अगस्त के महीनों में आयोजित होने वाले इस खेल कुंभ के दिनों में गुजरात या तो लंबी गर्मी से जूझ रहा होता है या फिर मॉनसून की भारी बारिश का सामना कर रहा होता है. लिहाजा, कुछ आयोजनों को अन्यत्र ले जाया जा सकता है. मसलन कैनोइंग स्लैलम को भोपाल में, माउंटेन साइकिलिंग को उत्तराखंड की शिवालिक पहाड़ियों और नौकायन तथा सर्फिंग को गोवा में स्थानांतरित किया जा सकता है.

गुजरात में इस महाआयोजन के लिए जन समर्थन जुटाना भी उतना ही टेढ़ा काम हो सकता है, क्योंकि यह राज्य खेल भावना से ज्यादा अपनी उद्यमशीलता की ताकत के लिए जाना जाता है. राज्य के पक्ष में जो चीज काम करती है वह है राज्य प्रशासन के हर पहलू पर भाजपा का प्रभाव और नियंत्रण. शराबबंदी एक और बाधा साबित हो सकती है लेकिन बताया जाता है कि सरकार गिफ्ट सिटी और शायद जल्द ही सूरत हीरा बाजार में इसमें ढील देकर माहौल को भांप रही है.

आईओसी के भीतर भी मुखालफत के समीकरण हैं. 110 सदस्यों वाले ओलंपिक निकाय में भारत का केवल एक ही सदस्य है—रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी. पूर्व निशानेबाज और एशियाई ओलंपिक परिषद के अध्यक्ष रणधीर सिंह 39 मानद सदस्यों में से एक हैं.

दूसरी ओर प्रतिस्पर्धा करने वाले देश हैं—तुर्की, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया और कतर. भारत की तरह इनमें से किसी ने पहले कभी ओलंपिक की मेजबानी नहीं की है. सऊदी अरब और कतर की मजबूत संभावनाएं हैं क्योंकि किसी भी पश्चिम एशियाई देश ने अभी तक किसी ओलंपिक का आयोजन नहीं किया है. यही बात दक्षिण अफ्रीका और अन्य अफ्रीकी देशों पर भी लागू होती है.

फिर भी भारत की दावेदारी के पीछे भरपूर राजनीतिक इच्छाशक्ति है. लोगों का समर्थन भी बढ़ने की संभावना है. मल्होत्रा कहती हैं, ''जब लोग ओलंपिक होने की संभावनाओं को देख लेंगे तो इससे जुड़े अवसरों को लेकर उनकी भी आंखें खुलेंगी और वे इसके साथ आ जाएंगे."

और वैसे भी किसी चीज को बहुत ज्यादा चाहना शायद किसी भी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में पहला कदम होता है.

क्या ओलंपिक के लिए तैयार है भारत?

खेलों की मेजबानी करने के लिए किसी देश को राजनीतिक इच्छाशक्ति, उसके लिए जरूरी फंड, आवास तथा परिवहन का आधारभूत ढांचा चाहिए होता है. हमारी तैयारी क्या है...

एथलीट की संख्या

पेरिस 2024: 32 खेलों में 10,714 खिलाड़ी

टोक्यो 2020: 33 खेलों में 11,000 खिलाड़ी

भारत: अब तक भारत की ओर से सबसे बड़े खेल आयोजन राष्ट्रमंडल खेल 2010 में 21 खेलों में 4,352 खिलाड़ी शामिल हुए थे.

खेल स्थल

पेरिस 2024 : 35 स्थल, 329 प्रतिस्पर्धाएं

टोक्यो 2020 : 41 स्थल, 339 प्रतिस्पर्धाएं

भारत: 4,000 करोड़ रुपये की लागत से बना 650 एकड़ में फैला सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एनक्लेव भारत का ओलंपिक शहर होगा. यहां नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के अलावा 10 से ज्यादा स्टेडियम और 14 अन्य स्थान शामिल होंगे.

लागत

पेरिस 2024 : 8.9 अरब डॉलर (लगभग 76,626 करोड़ रुपए)

टोक्यो 2020 : 13 अरब डॉलर (लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपए)

भारत: 35,000 से 64,000 करोड़ रुपए (लगभग 4.1 से 7.5 अरब डॉलर).

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