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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025: स्वामी कैलाशानंद गिरि ने क्यों कहा- यह सेल्फी मोमेंट नहीं है, बल्कि यह सेल्फ मोमेंट है

स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि जब लाखों विदेशी साधुओं को शुद्धीकरण के लिए पवित्र डुबकी लगाते देखते हैं, तो उन्हें जुड़ाव महसूस होता है

स्वामी कैलाशानंद गिरि और स्वामी चिदानंद सरस्वती
अपडेटेड 8 अप्रैल , 2025

हाल ही में संपन्न महाकुंभ संगम के नजदीक 30 जिंदगियां लील लेने वाली त्रासद भगदड़ सरीखे झटकों के बावजूद सनातन धर्म का बेहद अहम गौरवपूर्ण अवसर बनकर उभरा.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में आध्यात्मिक गुरुओं स्वामी कैलाशानंद गिरि और स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस पर बात की कि महाकुंभ किस तरह सनातन धर्म जिसका अर्थ है ''शाश्वत नियम' और जो हिंदू धर्म का पर्याय बन गया है, उसके बारे में नई धारणाएं गढ़ रहा है.

दुनिया भर के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक होने के नाते इसने जितनी गहरी दिलचस्पी जगाई, वैसी पहले कभी किसी धार्मिक सम्मेलन में न देखी गई, और महज एक आध्यात्मिक जमावड़ा होने से कहीं ज्यादा इसने नए सिरे से अपनी अहमियत स्थापित की.

स्वामी कैलाशानंद ने सनातन प्रथाओं में विदेशियों की बढ़ती दिलचस्पी की तरफ इशारा करते हुए इसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व पर बल दिया. उन्होंने कहा, ''जब विदेशी लाखों साधुओं को शुद्धीकरण के लिए पवित्र डुबकी लगाते देखते हैं, तो उन्हें जुड़ाव महसूस होता है और वे इस अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं.

गंगा न केवल मोक्ष प्रदान करती है बल्कि पहले ज्ञान, फिर वैराग्य, फिर श्रद्धा और अंतत: मोक्ष प्रदान करती है.'' उन्होंने यह भी बताया कि एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की विधवा लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जिन्हें उन्होंने दीक्षा देने के बाद 'कमला' नाम दिया, कमला ने अपना अनुभव टेक मुगल ईलॉन मस्क के साथ साझा किया और उन्होंने भी इस आध्यात्मिक शिविर में शामिल होने में दिलचस्पी दिखाई.

स्वामी चिदानंद ने बीते कुछ सालों में कुंभ में आए बदलावों और इससे मजबूत हुई एकता के बारे में बात की. उन्होंने कहा, ''कुछ लोग प्राइवेट जेट से आए, तो कुछ नंगे पैर चले आए, लेकिन कोई बंटवारा नहीं था केवल एकता थी.'' उन्होंने प्रयागराज में 267 मस्जिदों और 22 फीसद मुस्लिम आबादी का जिक्र करते हुए शहर में विभिन्न समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की ओर ध्यान दिलाया और बताया कि महाकुंभ में करीब 67 करोड़ लोगों के शामिल होने के बावजूद हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई.

आध्यात्मिक गुरु ने इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की कि सनातन धर्म के साथ युवाओं का जुड़ाव सतही है और सोशल मीडिया के रुझानों से तय हो रहा है. उन्होंने कहा, ''यह सेल्फी मोमेंट नहीं है; यह सेल्फ मोमेंट है.'' उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वह आधुनिकता को अपनाते हुए अपनी जड़ों से भी जुड़े.

स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि आखिर किसे नहीं चाहिए शांति और आध्यात्मिकता? सनातन धर्म इकलौता धर्म है, जिसमें शांति, सामंजस्य और सौहार्द का संदेश समाहित है.

वहीं, स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आप जींस पहन सकते हैं लेकिन अपने मौलिक स्वभाव को न भूलिए. आपके पास नई कार आ सकती है लेकिन आप अपने संस्कार न भूलिए.

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