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सोनमर्ग सुरंग: कश्मीर में कैसे रखेगी शानदार भविष्य की बुनियाद?

सोनमर्ग सुरंग से पहाड़ पर रहने वाले कश्मीरी लोगों को आवाजाही की तो सुविधा तो मिलेगी ही, साथ ही सर्दियों में भी यहां व्यवसायों के फलने-फूलने की संभावना बढ़ेगी

घट गई दूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को सोनमर्ग सुरंग के उद्घाटन के बाद उसमें सफर करते हुए
अपडेटेड 5 फ़रवरी , 2025

मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में ऊंचे ग्लेशियरों से ढके पहाड़ों में सर्दियों का सन्नाटा केवल बर्फीली हवाओं के झोंकों से ही टूटता है, ऐसे दुर्गम इलाके में सफर आसान करने के लिए बनाया गया रास्ता एक शानदार भविष्य की बुनियाद रखने वाला है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बर्फीले पहाड़ का सीना चीरकर बनाई गई 6.4 किलोमीटर लंबी सोनमर्ग सुरंग का 13 जनवरी को उद्घाटन किया जो  इस सुंदर हिल स्टेशन को पूरे वर्ष शेष भारत से जोड़ने वाली है. 

साथ ही रणनीतिक लिहाज से नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक देश के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आधारशिला भी है, जिसके आगे चीन नियंत्रित क्षेत्र है.

इंजीनियरिंग की शानदार शाहकार इस सुरंग को 8,500 फुट की ऊंचाई पर बनाया गया है जिसे मूलत: जेड-मोड़ सुरंग कहा जाता है. यह टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर हिमस्खलन के खतरे वाले छह क्षेत्रों से गुजरती है. सोनमर्ग सर्दियों में अपने खूबसूरत अल्पाइन घास के मैदानों की वजह से हमेशा ही पर्यटकों को लुभाता रहा है. लेकिन हिमस्खलन की वजह से इसका देश के बाकी हिस्सों से संपर्क कट जाता था. क्षेत्र में सहयोगी परियोजना के क्रम में 13.2 किलोमीटर लंबी जोजि-ला सुरंग का भी आधा काम लगभग पूरा हो गया है. इसके पूरा होने पर लद्दाख तक सभी मौसमों में पहुंच का सपना साकार होने की पूरी उम्मीद है.

प्रधानमंत्री मोदी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ''यह सुरंग सोनमर्ग के साथ-साथ करगिल और लेह के लोगों के जीवन को बेहद आसान बना देगी.'' इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री ने सड़क, रेलवे, अस्पताल और महाविद्यालयों सहित बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार की ओर से दी जा रही प्राथमिकता को रेखांकित किया और इसे ''नया जम्मू-कश्मीर'' बताया. 

पूरे साल संपर्क ने जम्मू-कश्मीर सरकार की सोनमर्ग को यूरोपीय शैली के स्कीइंग स्थल के तौर पर विकसित करने की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाया है. इस क्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार नासिर असलम वानी बताते हैं, परामर्शदाताओं की सेवाएं ली जाएंगी. स्थानीय होटल व्यवसायी और पर्यटन क्षेत्र से जुड़े अन्य लोग भी खासे उत्साहित हैं.

कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष फय्याज बख्शी का कहना है कि यहां बर्फीले पहाड़ों की ढलानयुक्त प्राकृतिक बनावट स्कीइंग के माकूल है और इसे सर्दियों में भी एक व्यावहारिक पर्यटक आकर्षण बनाती हैं. वे कहते हैं, ''सुरंग संपर्क मार्ग सुनिश्चित करेगी जिससे लोगों को आवाजाही की सुविधा तो मिलेगी ही, सर्दियों में भी व्यवसायों के फलने-फूलने की संभावना बढ़ेगी.'' मिसाल के तौर पर, हर साल सर्दियों में कश्मीरी शॉल व्यापारी के लिए सेल्समैन का काम करने के लिए दिल्ली चले जाने वाले जावेद अहमद मीर अब घर पर रहने और स्थानीय स्तर पर अपनी आजीविका कमाने की योजना बना रहे हैं.

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक विजय के. पांडे कहते हैं कि 2,400 करोड़ रुपए की लागत से बनी यह सुरंग अवधारणा से लेकर पूरी होने तक की यात्रा के दौरान कई तरह की बाधाओं से गुजरी. उन्होंने बताया कि अक्तूबर 2024 में गगनगीर कार्यस्थल शिविर पर आतंकी हमले में सात लोगों की जान चली गई, जबकि 2023 की शुरुआत में भूस्खलन के कारण काम में देरी हुई. इन बाधाओं के बावजूद, 1,500 श्रमिकों और 300 इंजीनियरों के दृढ़ संकल्प से प्रेरित यह परियोजना अपने मुकाम पर पहुंची.

उन्नत डिजाइन की इस सुरंग में 10 मीटर चौड़ाई के साथ दोनों दिशाओं की ओर मुख्य मार्ग, हर 250 मीटर की दूरी पर आपातकालीन निकास के अलावा एक निकास सुरंग भी बनाई गई है. इसकी निगरानी के लिए 350 कैमरे और एक आधुनिक वेंटिलेशन प्रणाली स्थापित की गई है. इस सुरंग का ढांचा चरम मौसम की स्थितियों में भी सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करने वाला है. इस परियोजना में गगनगीर की तरफ 4.6 किलोमीटर लंबी तीन लेन वाली सड़क और सोनमर्ग की तरफ 900 मीटर लंबी दो लेन वाली सड़क शामिल है. उम्मीद है कि इस परियोजना से इस खंड पर यात्रा का समय दो घंटे से घटकर महज 15 मिनट रह जाएगा.

अब, अगला लक्ष्य जोजि-ला सुरंग का निर्माण कार्य पूरा करना है, जो जोजि-ला (दर्रे) को पार करने के लिए वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराएगी. जोजि-ला भारत के सबसे ऊंचे वाहन यातायात योग्य दर्रों में से एक है और लद्दाख का प्रवेश द्वार है, जो सर्दियों में देश के अन्य हिस्सों से कट जाता है. पांडे ने विश्वास जताया कि यह 2027 तक बनकर तैयार हो जाएगी. ये दोनों सुरंगें न केवल क्षेत्रीय संपर्क के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि 2020 के गलवान गतिरोध के बाद एलएसी के पास चीन के बुनियादी ढांचा निर्माण का मुकाबला करने के लिहाज से भी बेहद अहम है.

लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) डी.एस. हुड्डा कहते हैं, ''ये सुरंगें वास्तविक नियंत्रण रेखा, नियंत्रण रेखा और अन्य प्रमुख बिंदुओं पर तत्काल प्रतिक्रिया देने की भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता को रणनीतिक रूप से मजबूत करेंगी...सर्दियों के महीनों के लिए हथियार, ईंधन और खाद्य पदार्थों को स्टॉक करने के लिए गर्मियों में लंबे समय तक चलने वाले रसद अभ्यास के लिए आवश्यक संसाधनों का उपयोग हमारे संप्रभु हितों की रक्षा की खातिर अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के लिए किया जा सकता है.''

बहरहाल, पर्यवेक्षक एक घातक आतंकी हमले के ठीक तीन महीने बाद सुरंग के उद्घाटन में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी को इस सशक्त संदेश के तौर पर भी देखते हैं कि क्षेत्र की संप्रभुता और विकास बिना रुके आगे बढ़ता रहेगा. इससे पहले, 6 जनवरी को प्रधानमंत्री ने जम्मू रेलवे डिविजन का भी वर्चुअली उद्घाटन किया था. अगला नंबर नई दिल्ली-श्रीनगर ट्रेन सेवा है, जो घाटी को शेष भारत से जोड़ने वाली है.

कलीम गिलानी

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