जनवरी की 5 तारीख को राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) की 186 रिक्तियों की भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए अपनाई गई ऑफलाइन प्रणाली को अचूक माना जा रहा था. पर वह भी रिमोट एक्सेस सॉफ्वेयर की मदद से आसानी से सेंध लग जाने वाली साबित हुई. राजस्थान पुलिस ने इस तरह के पहले धोखाधड़ी रैकेट से जुड़े 14 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से छह परीक्षार्थी थे. इसने देश में कई सरकारी नौकरियों और कॉलेज दाखिले के लिए आयोजित होने वाली डिजिटल परीक्षाओं की अखंडता को लेकर नई चिंताएं खड़ी कर दी हैं.
नकल के लिए वायरलेस ईयरबड्स सरीखे डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल लंबे समय से किया जाता रहा है और कभी-कभी ऑनलाइन परीक्षा की हैकिंग की खबरें भी आई हैं. मगर इस मामले में जांचकर्ताओं ने एक अहम चूक का पता लगाया है: दरअसल, जिस विशेष सर्वर को परीक्षा आयोजित करने के लिए सुरक्षित माना जा रहा था वह इंटरनेट के जरिए पहुंच के दायरे में था. स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप (एसओजी) के अतिरिक्त महानिदेशक वी.के. सिंह कहते हैं, "इससे डिजिटल सुरक्षा को लेकर समझ की गंभीर कमी का पता चलता है."
सिंह ने ऐसी परीक्षाओं को आयोजित करने वाले 'कंप्यूटर लैबों' के नाकाफी सुरक्षा उपायों को उजागर किया. उनके मुताबिक, ये थर्ड-पार्टी परीक्षा केंद्र अक्सर प्री-टेस्ट ऑडिट नहीं करते और सिस्टम के साथ छेड़छाड़ की गुंजाइश बन जाती है.
जांचकर्ताओं को संदेह है कि देश में 47 केंद्रों पर आयोजित इस परीक्षा को पास करने के लिए कम से कम 1,000 उम्मीदवारों ने भारी रकम चुकाई है. बिचौलियों ने कथित तौर पर लैब मालिकों के साथ मिलकर उन खास कंप्यूटरों पर रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया था जहां उन उम्मीदवारों को बैठना था. सिंह का कहना है कि एनएससी और परीक्षा एजेंसी को पहले ही संभावित नकल की सूचनाएं मिल रही थीं. उसके बाद जयपुर के छह केंद्रों को 'अत्यधिक जोखिम' वाले केंद्र के रूप में चिह्नित किया गया था.
एजेंसी ने केंद्रों पर पर्यवेक्षकों को तैनात किया, वहीं दूर से ही प्रक्रिया की निगरानी कर रही उसकी कोर टीम को दाल में कुछ काला नजर आया: कुछ कंप्यूटरों पर लॉग इन हुए उम्मीदवार असामान्य रूप से लंबे समय तक निष्क्रिय बैठे रहे, जब तक कि उनके कर्सर अपने आप चलने नहीं लगे. एसओजी की अंडरकवर टीम और पर्यवेक्षकों ने तेजी से कार्रवाई की और पुष्टि की कि उम्मीदवारों की किसी तरह की हलचल के बगैर उत्तर टिक किए जा रहे थे. वीडियो साक्ष्य बनाया गया, संदिग्धों को हिरासत में लेते हुए कंप्यूटरों का जब्त कर लिया गया.
स्थानीय पुलिस ने एक साथ मिलकर छापे मारे और खुलासा किया कि किस तरह से 'सॉल्वरों' ने दूर बैठकर एआइ उपकरणों का इस्तेमाल करके सवालों को हल किया और उन्हें सीधे सेंध लगाए जा चुके कंप्यूटरों पर दर्ज करा दिया. उसी गिरोह पर दिसंबर 2024 में रेलवे सुरक्षा बल की परीक्षा में भी इसी तरह की तिकड़मों का इस्तेमाल करने का शुबहा है. जांच अभी जारी है और दूसरे लोगों की भी गिरफ्तारी की उम्मीद है. मगर इस हालिया खुलासे ने नकल सिंडिकेटों की चतुराई और तिकड़मों से आगे निकलने के लिए उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल तथा अधिक मजबूत जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित किया है.
यह रहा हथकंडा
> टेस्टिंग सेंटर के मालिकों की मिलीभगत से कुछ खास कंप्यूटरों में एक्सक्लूसिव सर्वरों को बाइपास करने के लिए रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर लगा दिए गए थे.
> परीक्षा केंद्र से दूर बैठे सॉल्वर्स ने एआइ टूल्स की मदद से सवालों का फौरन पता लगा लिया. परीक्षार्थियों के बिना कुछ किए ही सारे जवाब अपने आप भर गए.