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फालतू के कॉल बंद करवाने के लिए भारत सरकार की क्या है तैयारी?

अवांछित कॉल और संदेशों की डिजिटल महामारी को रोकने के लिए नए तकनीकी समाधान एवं नियम लागू किए जा रहे. मगर यह लंबी लड़ाई

How to stop Spam calls
सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 31 जनवरी , 2025

नबमिता भट्टाचार्य हर दिन आने वाले अनजाने फोन कॉल के लिए अब खुद को खासा मजबूत बना चुकी हैं. सुबह 10.30 बजते ही पहली कॉल बजी...दूसरी ओर से एक ऑटोमेटेड आवाज गूंजती है और आजीवन मुफ्त फायदों के साथ क्रेडिट कार्ड की पेशकश करती है. दोपहर तक उनके फोन पर स्वास्थ्य बीमा, रियल एस्टेट डील, ज्योतिष सेवाओं और—'मिनटों में एक करोड़ का बिजनेस लोन लें, बिना किसी डॉक्यूमेंट के...कॉल करें...' जैसे झटपट कर्ज की सुविधा देने वाले मैसेज की बाढ़ आ जाती है.

कोलकाता की इस 39 वर्षीया उद्यमी के लिए इस तरह के अनचाहे फोन और संदेश छोटी-मोटी दिक्कत भर नहीं. यह सिर्फ काम के समय में उनका ध्यान ही नहीं बंटाते बल्कि दो मिनट भी सुकून की सांस नहीं लेने देते. वे एक कारोबारी हैं, इसलिए अनजान नंबरों को अनदेखा भी नहीं कर सकतीं. वे बताती हैं, "एक बार मैं किसी क्लाइंट के साथ मीटिंग कर रही थी और लगातार फोन कॉल आ रही थी. एक नंबर जाना-पहचाना लगा तो मैंने क्लाइंट से माफी मांगकर उठाया. दूसरी ओर से महिला ने मुझसे पूछा कि क्या मुझे पानी के फिल्टर की सर्विसिंग करानी है? मुझे वह कॉल उठाने पर कोफ्त हो रही थी."

असल में, स्पैम कॉल और मैसेज लाखों भारतीयों के लिए सिरदर्द बन गए हैं. कभी हाइपर-कनेक्टेड दुनिया का एक अपरिहार्य पहलू माने जाने वाले स्पैम एक गंभीर समस्या का रूप ले चुके हैं, तथा सरकार और निजी दूरसंचार कंपनियां इस पर काबू पाने के प्रयासों में जुटी हैं.

एक अरब से ज्यादा मोबाइल फोन यूजर्स के साथ भारत दुनिया में स्पैम से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) के मुताबिक, अनचाहे वाणिज्यिक संचार (यूसीसी) को लेकर शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. अकेले 2023 में गैर-पंजीकृत टेलीमार्केटर्स (यूटीएम) के खिलाफ 1.22 करोड़ शिकायतें दर्ज की गईं, जो 2021 में 85 लाख की तुलना में खासी ज्यादा हैं.

डिजिटल कनेक्टिविटी से प्रगति की राह पर बढ़ते देश के लिए स्पैम अवांछित दुष्प्रभाव जैसा है. स्पैमर अक्सर वैध व्यवसायों की आड़ में खामियों का लाभ उठाकर नियमों का उल्लंघन करते हैं. पीडब्ल्यूसी में पार्टनर-टेलीकॉम विनीश बावा कहते हैं, "औसतन एक उपयोगकर्ता को दिनभर में आठ से 10 स्पैम कॉल आते हैं, और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है."

इस समस्या से निबटने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने अंतरराष्ट्रीय इनकमिंग स्पूफ्ड कॉल्स प्रिवेंशन सिस्टम शुरू किया है, जो रोज ऐसी 1.3 करोड़ कॉल ब्लॉक करता है. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इंडिया टुडे को बताते हैं, "कोई अंतरराष्ट्रीय कंपनी +91 (भारत का कोड) नंबर के तौर पर अंतरराष्ट्रीय सर्वर का इस्तेमाल करती है ताकि उपयोगकर्ताओं को लगे कि कॉल भारत से है. लॉन्च के बाद से यह सॉफ्टवेयर लाखों कॉल रोक और ब्लॉक कर रहा है." सरकार अपने स्तर पर लगाम कसने की कोशिश कर रही है लेकिन दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ओ.पी. चौधरी सरीखे यूजर्स की परेशानी कायम है. उनके शब्दों में, "पुलिस या सरकारी अफसरों की शक्ल में आकर ठगने वालों से मैंने खुद को भले बचा लिया हो लेकिन स्पैम से बचाव का मेरे पास कोई उपाय नहीं. मेरा मैसेज बॉक्स भर जाता है और वे कभी भी मुंह उठाकर कॉल कर देते हैं." वे यह भी जोड़ते हैं, "डॉक्टर का फोन तो संवाद के लिए जरूरी है. मैं कॉल या मैसेज की अनदेखी नहीं कर सकता."

इसी तरह की दुश्वारियों का संज्ञान लेते हुए दूरसंचार कंपनियां अपने स्तर पर भी पहल कर रही हैं. एयरटेल अपनी खुद की एआइ तकनीक इस्तेमाल करके यह अब सक्रिय तौर पर स्पैम कॉल और संदेशों की स्क्रीनिंग करता है. रोजाना तकरीबन 10 खरब रिकॉर्ड का आकलन कर ये सिस्टम संभावित स्पैम की पहचान करने के साथ-साथ कॉल फ्रीक्वेंसी और अवधि जैसे पैटर्न का पता लगाने में जुटा है. नतीजा? हर दिन 10 करोड़ से ज्यादा ज्यादा स्पैम कॉल और 30 लाख स्पैम मैसेज ब्लॉक किए जा रहे हैं. भारती एयरटेल के एमडी और सीईओ गोपाल विट्टल कहते हैं, "स्पैम ग्राहकों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुके हैं. हम पिछले 12 महीनों से इस समस्या को व्यापक तौर पर सुलझाने के प्रयासों में लगे हैं."

वोडाफोन आइडिया (वीआइ) ने भी अपना एआइ स्पैम डिटेक्शन सिस्टम लॉन्च किया है. यह किसी भी एसएमएस का रियल टाइम पर विश्लेषण करता है, और संदिग्ध संदेशों को 'संदिग्ध स्पैम' के तौर पर टैग करके यूजर्स को सचेत करता है. हाल में रिलायंस जियो ने भी ऐसी तकनीक अपनाई थी. वैसे ये प्रणालियां सेवा प्रदाताओं के दावे जितनी कारगर साबित नहीं हो रहीं. बेंगलूरू की एक फ्रीलांस कंटेंट क्रिएटर एनी जॉर्ज कहती हैं, "सुधार हुआ है तो भी यह नाकाफी है. स्पैम को ब्लॉक करने या रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी अभी भी यूजर्स पर है." कोई ठोस सिस्टम जल्द उपलब्ध होने की गुंजाइश भी कम नजर आती है. बावा कहते हैं, "जो लोग ऐसे फ्रॉड और कॉल करते हैं, उन्हें पता है कि नियमों को कैसे तोड़ना है. मुझे नहीं लगता कि इसका शत-प्रतिशत समाधान कभी हो सकता है."

ट्राइ की सख्ती

ट्राइ के टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशन कस्टमर प्रेफरेंस रेगुलेशन 2018 ने ब्लॉकचेन-बेस्ड डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) के साथ स्पैम पर काबू पाने के लिए नियम तय किए. इसे विभिन्न स्थानों का डेटाबेस मानकर जांच और सत्यापन के लिए सभी दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ साझा किया जाता है. भारत स्पैम रोकने के लिए इस तरह की प्रणाली इस्तेमाल करने वाला दुनिया का पहला देश है. सभी नौ मुख्य ऑपरेटर कंपनियों के लिए प्रत्येक पंजीकृत प्रेषक, उसके हेडर और टेम्प्लेट को डीएलटी प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड करना जरूरी है. यह प्रणाली वाणिज्यिक संचार को आठ श्रेणी में विभाजित करती है, जिसमें वित्त, स्वास्थ्य, रियल एस्टेट और अन्य शामिल हैं. उपभोक्ता श्रेणी विशेष को रिसीव न करने का विकल्प चुन सकते हैं.

वैसे इससे यूजर्स में कोई खास आत्मविश्वास नहीं आया है. 24 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं यानी लगभग 20 फीसद ने प्रेफरेंस श्रेणी में स्पैम रोकने या नियंत्रित करने के लिए पंजीकरण किया है. ट्राइ 2018 के नियमों में बदलाव की तैयारी कर रहा है. प्रस्तावित बदलावों में प्रचार संबंधी मैसेज के लिए अलग-अलग टैरिफ, उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने और स्पैम कॉल को बेहतर ढंग से ट्रेस करने के उपाय शामिल हैं. व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म को भी इसमें शामिल किया जा रहा, साथ ही ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सेवाओं पर स्पैम को नियंत्रित करने पर भी मंथन जारी है.

लाइन पर कौन है?

उत्तर प्रदेश के बलिया की रहने वाली 23 वर्षीया कॉल सेंटर कर्मचारी अन्नू सरोज ने हाल ही नौकरी छोड़ दी क्योंकि वे ''दबाव नहीं झेल पा रही थीं.'' चंडीगढ़ स्थित एक वाणिज्यिक इमारत के दो कमरों में दफ्तर चला रही उनकी कंपनी पूरे दिन लोगों को कॉल कराती थी, जिसमें 2,000 रुपए और पहले महीने के वेतन के बदले लोगों को उपयुक्त नौकरी दिलाने की पेशकश की जाती थी. वे बताती हैं, "बतौर जूनियर कर्मचारी मुझे आठ घंटे की शिफ्ट में कम से कम 40 कॉल करनी होती थी." उसके साथ करीब 15 कर्मचारी यही काम कर रहे थे. उन्हें विभिन्न पोर्टल से मिले मोबाइल नंबरों की सूची दे दी जाती थी. अन्नू बताती हैं, "सेल्स में सफल होने पर 14,000 रुपए की तनख्वाह के अलावा कमिशन मिलता था.'' जब लक्ष्य बढ़ाकर पहले 60 और फिर 75 कॉल कर दिया गया तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी.

पिछले साल अगस्त से दूरसंचार विभाग, ट्राइ, टेलीकॉम कंपनियों और लगभग पूरे सिस्टम ने ऐसी टेलीमार्केटिंग कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया, जिन्हें आधिकारिक तौर पर यूटीएम कहते हैं. सामान्य तौर पर ये कंपनियां टेलीकॉम प्रदाताओं को यह बताए बिना थोक में सिम कार्ड खरीद लेती हैं कि उनका इस्तेमाल टेलीमार्केटिंग के लिए किया जाएगा. ऐसे सिम कार्ड की सही संख्या पता नहीं है. कानून की बात करें तो हर तरह का वाणिज्यिक संचार अपराध की श्रेणी में नहीं आता. कुछ लोग रियल एस्टेट की तलाश में अस्थायी तौर पर ऐसे मैसेज पाने का विकल्प चुनते हैं और जब जरूरत पूरी हो जाती है तो इससे हट जाते हैं.

इसी तरह, बैंक भी ग्राहकों को प्रोमोशनल मैसेज भेज सकते हैं. इस तरह का इस्तेमाल करने वाले पंजीकृत टेलीमार्केटर होते हैं. भारत में ऐसे करीब 19,100 टेलीमार्केटर हैं. सामान्यत: ये बैंकों और बीमा कंपनियों जैसी 2,90,000 प्रमुख संस्थाओं (पीई) के लिए काम करने वाले कॉल सेंटर हैं. एसबीआइ क्रेडिट कार्ड के लिए 'एसबीआइसीआरडी' जैसे हेडर के माध्यम से वाणिज्यिक संदेश भेजे जाते हैं ताकि उपयोगकर्ता यह जान सकें कि इसे भेजने वाला कौन है. डीएलटी प्लेटफॉर्म मौजूदा समय में 3,20,000 हेडर और 68.2 लाख एसएमएस टेम्प्लेट का प्रबंधन करता है.

अनजान खतरा
मगर उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए तैयार प्रणाली में गड़बड़ी करने वालों की भी कमी नहीं है. पिछले वर्ष जनवरी से अक्तूबर के बीच पंजीकृत टेलीमार्केटर्स के खिलाफ शिकायतों की संख्या 1,63,000 पहुंच गई, जबकि गैर-पंजीकृत के खिलाफ शिकायतें नौ गुना बढ़कर 14.7 लाख हो गईं.

यूटीएम एक बड़ी समस्या है क्योंकि ये रडार से छिपकर काम करती हैं. ये संस्थाएं 10 अंकों वाले नियमित नंबर या थोक में खरीदे सिम कार्ड का इस्तेमाल कर नियमों को धता बताती हैं. नतीजा? 2021 से यूटीएम के खिलाफ शिकायतें 72 फीसद बढ़ी हैं. सिंधिया बताते हैं, ''हमने 18.5 लाख मोबाइल नंबर काट दिए हैं और अनचाहे वाणिज्यिक संचार में शामिल 1,100 संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट किया है.'' ऐसी संस्थाओं या व्यक्तियों को दो साल तक भारत में किसी भी दूरसंचार प्रदाता से कोई दूरसंचार संसाधन नहीं मिलेगा.

पिछले कई वर्षों से स्वीडिश बहुराष्ट्रीय कंपनी ट्रूकॉलर स्पैम के खिलाफ यूजर्स का एकमात्र 'सहारा' बनी हुई है. 2009 से उपयोगकर्ताओं के संपर्कों और क्राउडसोर्सिंग का इस्तेमाल करके ट्रूकॉलर ने एक वैश्विक डेटाबेस बनाया है जिसमें उपयोगकर्ता कॉल और मैसेज को 'स्पैम', 'फ्रॉड' या 'स्कैम' के तौर पर चिह्नित करते हैं ताकि उपयोगकर्ताओं को उन्हें पहचानने और उनसे बचने में मदद मिल सके. स्पैम पर इसकी 2024 की वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में रिसीव किए जाने वाले स्पैम कॉल के स्रोत में भारत शीर्ष देश है. अध्ययन के मुताबिक, भारत को वैश्विक स्तर पर स्पैम कॉल के शीर्ष स्रोतों में से एक माना जाता है, और यह स्पैम कॉल प्रभावित देशों में भी सबसे आगे है.

विभिन्न देश वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे हैं. अमेरिका में तो फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन (एफसीसी) ने ठोस प्रयास भी किए हैं. टेलीफोन रोबोकॉल एब्यूज क्रिमिनल एनफोर्समेंट ऐंड डिटरेंस ऐक्ट के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गैर-कानूनी 'रोबोकॉल' से निबटने के लिए ज्यादा शक्तियां दी गई हैं. एफसीसी ने टेलीमार्केटिंग कॉल में एआइ-जनरेटेड वॉयस पर प्रतिबंध लगा दिया है. यूरोप में भी स्पैम के खिलाफ सख्त नियम हैं. मसलन, स्पेन ने 2023 में एक कानून बनाया है जो किसी व्यक्ति की सहमति के बिना वाणिज्यिक कॉल पर प्रतिबंध लगाता है. उल्लंघन करने वालों पर 1,00,000 यूरो तक जुर्माने का प्रावधान है.

काम चालू है

भारत में स्पैम के खिलाफ यह जंग नई नहीं है. 2007 में डू नॉट डिस्टर्ब (डीएनडी) रजिस्ट्री की सुविधा शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य यह था कि उपयोगकर्ता टेलीमार्केटिंग कंपनियों के अनचाहे कॉल और मैसेज ब्लॉक कर सकें. टेलीमार्केटर्स ने जल्द ही सिस्टम को चकमा देने के तरीके खोज लिए. ट्राइ के चेयरमैन अनिल लाहोटी कहते हैं, "समस्या पर काबू पाने के लिए उसकी जड़ पर वार करना होगा. जरूरत इस बात की है कि स्पैम और जरूरी वाणिज्यिक संचार में अंतर को स्पष्ट किया जाए."

भारत में ट्राइ ने टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ मिलकर सख्त नियम लागू किए हैं, जैसे प्रमोशनल कॉल के लिए 140-प्रीफिक्स्ड नंबर का इस्तेमाल और एसएमएस संदेशों में यूआरएल और एपीके को अनिवार्य रूप से व्हाइटलिस्ट करना. पर ऐसे उपायों के बाद भी स्पैम लगातार बढ़ रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि लोग स्पैम के डर से '140' नंबरों को भी अनदेखा कर देते हैं. पीई से कहा गया है कि अपनी साझेदार व्यावसायिक संस्थाओं को जोड़ने वाली चेन पूरी करें जो उनकी तरफ से मैसेज और कॉल भेजते हैं.

दरअसल, पीई को सेवा देने वाली कई बड़ी टेलीमार्केटिंग कंपनियां अपना काम छोटी कंपनियों को सौंप देती हैं, जो कई बार पंजीकृत नहीं होतीं. इसलिए सिस्टम किसी को भी जवाबदेह नहीं ठहरा सकता. करीब 14,000 पीई ने अब तक टेलीमार्केटिंग से जुड़ी 21,000 कंपनियों की जानकारी दी है. खामियां दूर करने के हरसंभव प्रयास जारी हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि एयरटेल की एआइ और ट्राइ की ब्लॉकचेन प्रणाली अहम कदम हैं, पर इनके साथ सख्त दंड के प्रावधान होने चाहिए और उपभोक्ता जागरूकता अभियान चलने चाहिए. फिर भी इन्हें पर्याप्त नहीं माना जा सकता. जैसा कि सिंधिया कहते हैं कि स्पैम हमारे उपयोग में आने वाली तकनीक का एक अपरिहार्य दुष्प्रभाव है. उनके अनुसार, "आपको तकनीक से कई लाभ मिलते हैं. मगर ऐसे लोगों की कमी नहीं जो गड़बड़ी की कोशिश करते हैं. इसलिए आपको बस उन्हें ब्लॉक करना होगा." लाखों भारतीयों के लिए यह निजता, सुरक्षा और विश्वास की लड़ाई है. भारत ने कई कदम भी उठाए हैं, मगर स्पैम के खिलाफ इस जंग को अभी और तेज करने की जरूरत है.

सरफिरे कॉलर्स पर लगाम

स्पैम कॉल और संदेशों पर एआइ और सख्त कानूनों से काबू पाने की कवायद में जुटा भारत :

1. एआइ से स्पैम का पता लगाना एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और जियो ने तत्काल स्पैम को ब्लॉक करने और संदिग्ध स्पैम की तरफ ध्यान दिलाने के लिए एआइ आधारित व्यवस्थाएं लागू की हैं.

2. संदेशों का पता लगाने की उन्नत व्यवस्था टीआरएआइ (ट्राइ) के नवंबर 2024 के आदेश के मुताबिक, हर व्यावसायिक संदेश में भेजने वाले से पाने वाले तक का पता लगाए जाने योग्य निशानियां होनी ही चाहिए.

3. अनिवार्य यूआरएल और एपीके व्हाइटलिस्टिंग फिशिंग की कोशिशों को ब्लॉक करने के लिए अक्तूबर 2024 से एसएमएस में केवल स्वीकृत यूआरएल, एंड्रॉइड पैकेज किट (एपीके) और ओटीटी की लिंक की इजाजत है.

4. डीएलटी प्लेटफॉर्म की तरफ जाना ट्राइ ने टेलीकॉम कंपनियों को सभी टेलीमार्केटिंग कॉल सितंबर 2024 तक डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर ले जाने का निर्देश दिया, जिससे व्यावसायिक संदेशों की निगरानी और नियंत्रण में सुधार होगा.

5. अप्रयुक्त हेडर और टेंप्लेट को ब्लॉक करना दुरुपयोग को रोकने के लिए सेवा प्रदाताओं ने फरवरी 2023 से 3,50,000 से ज्यादा अप्रयुक्त हेडर और 12 लाख असत्यापित एसएमएस टेंप्लेट ब्लॉक किए.

6. उल्लंघन करने वालों को सजा अगस्त 2024 से नियमों का उल्लंघन करने वाले टेलीमार्केटर दो साल के लिए काली सूची में.

7. अंतरराष्ट्रीय कॉल स्पूफिंग की रोकथाम धोखाधड़ी वाले अंतरराष्ट्रीय कॉल को बीच में ही पकड़ने और ब्लॉक करने के लिए डीओटी ने अगस्त 2024 में इंटरनेशनल इनकमिंग स्पूफ्ड कॉल्स प्रीवेंशन सिस्टम लॉन्च किया.

8. जवाबदेही तय करना बैंकों और बीमा कंपनियों सरीखी करीब 14,000 प्रमुख संस्थाओं ने 21,000 से ज्यादा टेलीमार्केटर की पहचान घोषित की, जिससे अपने कारोबारी संदेशों के लिए उनकी ज्यादा जवाबदेही तय हुई.

9. नियामकों की संयुक्त समिति का विस्तार इसमें ट्राइ, आरबीआइ और सेबी के अलावा अब बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी शामिल हैं.

10. उपभोक्ता जागरूकता पहल स्पैम की सूचना देने और अपनी संचार वरीयताओं को संभालने में उपयोगकर्ताओं की मदद करने के लिए संचार साथी पोर्टल और ट्राइ के डीएनडी ऐप सरीखे प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित किया गया है.

11. एक अरब से भी ज्यादा मोबाइल फोन यूजर्स वाला भारत दुनिया में स्पैम से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में एक है. अनचाहे कॉल और संदेशों को लेकर शिकायतें काफी बढ़ गई हैं.

बातचीत :
 

ज्योतिरादित्य सिंधिया

 

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

स्पैम कॉल और संदेशों की बढ़ती समस्या तथा उसे रोकने के लिए सरकार की योजना के बारे में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इंडिया टुडे के अभिषेक जी. दस्तीदार के साथ बातचीत की. पेश हैं प्रमुख अंश:

स्पैम की मौजूदगी के बारे में
टेक्नोलॉजी के आगमन के साथ हर नया मानक बदलाव जबरदस्त फायदे लेकर आता है. मगर साथ ही ऐसी चीजें भी लेकर आता है...जो इरादतन परेशान करने वाली होती हैं. मानव इतिहास में टेक्नोलॉजी के हर मोड़ पर ऐसा होता है, और टेलीकॉम टेक्नोलॉजी के मामले में भी ऐसा ही है. हाल के दिनों में चीजें काफी गंभीर होती गई हैं.

टेलीकॉम ऑपरेटर्स और टेलीमार्केटर्स की भूमिका के बारे में
हमने यह अनिवार्य कर दिया है कि टेलीकॉम सेवा प्रदाता अपनी कंपनियों में मुख्य टेलीकॉम सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति करें. सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं की सूचना छह घंटों के भीतर दी जानी चाहिए, और (सेवा) प्रदाताओं को आइएमईआइ नंबर के सत्यापन सहित टेलीकॉम उपकरण विनियमों का पालन करना ही चाहिए. हमने साफ कर दिया है कि जब तक ग्राहक न चाहे, उनसे संपर्क नहीं किया जा सकता. हमने अनचाहे व्यावसायिक संदेशों से जुड़ी 1,100 संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट किया है और 18.5 लाख मोबाइल नंबरों को डिस्कनेक्ट किया है.

स्पैम और फर्जी कॉल के खिलाफ सरकार के कदमों के बारे में
हमारा एआइ पर आधारित टूल एएसटीआरए या 'अस्त्र' सिम सब्सक्राइबर के सत्यापन के लिए फेशियल रिकग्निशन (चेहरे की पहचान) का लाभ उठाता है. हमें ऐसे मामले मिले जिनमें एक ही व्यक्ति के फोटो का इस्तेमाल करके 800 तक सिम कार्ड लिए गए. अस्त्र के जरिए हमने 14 करोड़ मोबाइल कनेक्शन का विश्लेषण किया और 78 लाख फर्जी कनेक्शन डिस्कनेक्ट कर दिए. इसके अलावा हमने ऐसे तौर-तरीकों में शामिल 70,000 पॉइंट ऑफ सेल सस्पेंड कर दिए. कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल करके हमने तमाम फर्जी कॉलों में से 89 फीसद ब्लॉक कर दिए, जिसमें 24 घंटे के भीतर सबसे ज्यादा 1.35 करोड़ कॉल ब्लॉक किए गए.

आगे की राह के बारे में
आगे रहने के लिए हम कई स्तरों पर फायरवॉल यानी सुरक्षा दीवार बना रहे हैं. टेक्नोलॉजी हमेशा चुनौतियां लेकर आएगी, पर हमारी प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहक सुरक्षित हों और परेशान या धोखाधड़ी के शिकार न हों.

अभिषेक जी. दस्तीदार

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