
आज से दो साल पहले ओपनएआइ ने चैटजीपीटी रिलीज किया था. इसने अब तक के सबसे तेज 20 करोड़ उपयोगकर्ताओं को आकर्षित किया है.
इसने तकनीक की दुनिया में एक उन्माद पैदा कर एआइ के अपरिहार्य युग की शुरुआत की है. जैसे-जैसे 2025 आगे बढ़ेगा और यह तकनीक किसी तरह की परिपक्वता की ओर कदम बढ़ाएगी.
मेरा मानना है कि चार मेगाट्रेंड होंगे जो भारत और दुनिया भर में व्यापार और समाज को आकार देने के लिए एआइ को प्रेरित करेंगे.
ऐप से एजेंट तक: अगर 2023 चैटजीपीटी का साल था और 2024 वह वर्ष था जब क्लाउड और जेमिनाइ जैसे कई लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) अस्तित्व में आए, तो 2025 एआइ एजेंटों या एजेंटिक एआइ का साल होगा. बिल गेट्स ने एक दूरदर्शी ब्लॉग में 2023 में इसकी भविष्यवाणी की थी कि अगले पांच साल में आप अपने डिवाइस को रोजमर्रा की भाषा में बताएंगे कि आप क्या करना चाहते हैं...और सॉफ्टवेयर व्यक्तिगत रूप से जवाब देने में सक्षम होगा क्योंकि उसे आपके जीवन की गहन समझ होगी.
इस तरह का सॉफ्टवेयर जो स्वाभाविक भाषा पर प्रतिक्रिया करता है और उपयोगकर्ता के अपने ज्ञान के आधार पर कई अलग-अलग काम कर सकता है एजेंट कहलाता है. उन्होंने लिखा, ''एजेंट न केवल यह बदलने जा रहे हैं कि हर कोई कंप्यूटर के साथ कैसे बातचीत करता है, वे सॉफ्टवेयर उद्योग को भी बदलने वाले हैं.’’
एक जटिल यात्रा कार्यक्रम को पूरा करने के लिए कई बार कुछ ऐप टैप करने या चैटजीपीटी से कई सवाल पूछने के बजाए क्या होगा अगर, मान लें, बुकिंग.कॉम एजेंट हमारी पसंद के मुताबिक एक होटल और एयरलाइन का चयन करता है, हमारी रुचियों के आधार पर रोजमर्रा का शेड्यूल डिजाइन करता है और टिकट और होटल बुक करता है.
एजेंटिक एआइ, जेनरेटिव एआइ को उद्यम में लाएगा, जिसमें एआइ एक सामान्य उद्यम वर्कफ्लो में अलग-अलग चरणों को एआइ एजेंट सॉफ्टवेयर में बंडल करेगा, जो पारंपरिक सॉफ्टवेयर-ऐज-अ-सर्विस को नए एसएएएस-सर्विस-ऐज-अ-सॉफ्टवेयर में बदल देगा. बेन कैपिटल की सारा हिंकफस ने इसका खूबसूरती से जिक्र किया है: ''हम कंप्यूटर से जानकारी खोज-खंगालकर निकालते के आदी हैं, (एआइ एजेंट) यह सब हमें करके देंगे.’’

हजारों स्टार्ट-अप एलएलएम के बूते एजेंट बनाने के लिए अपने नवाचार को बढ़ा रहे हैं. 'जीनी बाइ गैदर’ माता-पिता को समय प्रबंधन में मदद करता है, 'माइंडे’ इंटरनेट को खंगालकर आपके आस-पास सबसे अच्छा रेस्तरां या दुकान खोजने के लिए आपकी प्राथमिकताओं का पता लगाता है और रेलीवेंस एआइ परेशान सेल्स रीप्रजेंटेटिव के लिए संभावित बैठकों को स्वचालित करता है.
यूरोपीय फिनटेक कंपनी क्लार्ना ने उस वक्त हलचल मचा दी जब उसके सीईओ ने ऐलान किया कि ओपनएआइ प्लेटफॉर्म पर बनाए गए ग्राहक सेवा एजेंटों ने 700 मानव एजेंटों की 'जगह ले ली है’ और वे इंसानों के लगाए वक्त के पांचवें हिस्से में प्रश्नों का समाधान करते हैं. भारत के लिए इसके निहितार्थ बहुत गहरे हैं. कॉन्टैक्ट सेंटर्स चीजें मानव एजेंट से एआइ एजेंट तक पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं. भारतीय स्टार्ट-अप के लिए एजेंट बनाने का एक बड़ा नया अवसर है और भारतीय उद्यमों को अपने वर्कफ्लो में एआइ एजेंटों को समझने और शामिल करने से अच्छी सेवा मिलेगी.
एलएलएम से एप्लिकेशन तक: यह पुराने सवाल को वापस लेकर आता है. वह यह कि क्या भारत को अपने खुद के एलएलएम की जरूरत है? नंदन नीलेकणि इसका पुरजोर विरोध करते हैं. वे कहते हैं कि ''वैली के बिग बॉयज (सिलिकॉन वैली के दिग्गजों) को यह करने दें,’’ भारत एलएलएम के बजाए एआइ पर उपयोग के मामलों और एप्लिकेशनों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, मैं इसी नजरिए का हिमायती हूं.
मुझे लगता है कि क्लाउड की तरह एलएलएम को तीन या चार प्रमुख मॉडलों के साथ कमोडिटीकृत किया जाएगा, जो बुनियादी ढांचे के रूप में उभरेंगे. इस पर लाखों ऐप और एजेंट बनाए जाएंगे. जेनएआइ में अभी तक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा ध्यान दिया गया है, जहां एनविडिया और क्लाउड प्रोवाइडर्स का दबदबा है; हालांकि, 2025 में थोड़ा आगे बढ़कर एप्लिकेशन को अहमियत मिलेगी, जिससे इन पर नवाचार करने वाली कंपनियों और स्टार्ट-अप को अहमियत मिलेगी. यह वह क्षण है जिसे भारत को समझना चाहिए. अपनी सर्विस फर्मों और उत्सुक-उतावले स्टार्ट-अप्स की मदद लेकर वह एआइ एजेंटों और एप्लिकेशनों के जरिए भारत और दुनिया भर में उद्यमों और उपभोक्ताओं की मुश्किलें हल करे.
एआइ साक्षर बनना: साक्षरता की परिभाषा पढ़ने, लिखने और अंकगणित से आगे बढ़कर काम में अधिक उत्पादक और कुशल बनने के लिए चैटजीपीटी, परप्लेक्सिटी और जेनएआइ जैसे दूसरे टूल्स का उपयोग करने तक विस्तारित होगी. तमाम संगठन एक नए चलन को देख रहे हैं.
बीवाइओएआइ या ब्रिंग योर ओन एआइ में चार में से तीन कर्मचारी अपने खुद के एआइ को काम पर ला रहे हैं क्योंकि यह उन्हें बहुत बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है (https://bit.ly/yvGKJey). दो-तिहाई बॉस किसी कर्मचारी को तब तक काम पर नहीं रखेंगे जब तक कि उसके पास मौजूद जेनएआइ टूल्स के साथ काम करने की योग्यता और जिज्ञासा न हो. इस तरह, क्षेत्र या भूगोल से परे संगठनों के प्रबंधन पर सही नीतियों को तैयार करने और अपने सभी कर्मचारियों को एआइ साक्षरता के साथ सक्षम बनाने की जिम्मेदारी होगी. यह भारत में विशेष रूप से सच है.
एआइ का सुरक्षित इस्तेमाल: जैसे-जैसे हम एआइ के युग में प्रवेश कर रहे हैं, एआइ का सुरक्षित और जिम्मेदारी से इस्तेमाल करना सर्वोपरि होगा, साथ ही एआइ की नैतिकता भी तकनीक से ज्यादा नहीं, तो उतनी ही महत्वपूर्ण है. एआइ का स्याह पक्ष सर्वविदित है—गोपनीयता और निगरानी, पक्षपात, डीपफेक और फर्जी खबरें, पर्यावरण का क्षरण. दुनिया भर के ज्यादातर देश और कंपनियां एआइ के इर्द-गिर्द नियम और सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
भारत अपनी बड़ी युवा आबादी और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ सुरक्षित एआइ के निर्माण और अपने 1.4 अरब नागरिकों तक इसे पहुंचाकर डिजिटल डिवाइड को पाटने की अच्छी स्थिति में है. भारत सरकार को 2025 में उद्योग के साथ मिलकर एआइ के निर्माण और तैनाती के लिए लागू करने योग्य सिद्धांत और सुरक्षा उपाय करने चाहिए.
इसे तुरंत एक विश्व-अग्रणी एआइ सेफ्टी इंस्टीट्यूट (एआइएसआइ) स्थापित करना चाहिए और दुनिया भर में बनाए गए एआइएसआइ के नेटवर्क में शामिल होना चाहिए. अंत में, राष्ट्रीय एआइ मिशन को अंतिम कतार में खड़े भारतीय को जेनएआइ टूल्स और तकनीक प्रदान करने तक यूपीआइ और आधार की तरह विस्तारित किया जाना चाहिए, एक अवधारणा जिसे मैं 'जन एआइ’ कहता हूं.
जैसा कि गार्टनर कहते हैं, ''एआइ सिर्फ एक तकनीक या चलन नहीं है, यह इंसानों और मशीनों के बीच परस्पर संबंध में एक बड़ा बदलाव है.’’ दुनिया के पास इसे समृद्धि और शांति के लिए या किसी और तरह से समझदारी से इस्तेमाल करने का मौका है. भारत के पास अपनी आइटी क्षमता है, स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है और तकनीक तथा डिजिटलीकरण के प्रति खुलापन है. इसकी बदौलत एआइ को समझने और 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए इसका लाभ उठाने का जीवन में एक बार मिलने वाला मौका है.
जसप्रीत बिंद्रा एआइऐंडबियॉन्ड के सह-संस्थापक और सीईओ हैं.