
पांच पांच. जब आप बेहिसाब महानता को किसी के ऊपर थोप देते हैं तो कोई भी पैमाना काफी नहीं होता. मसलन कि आप बल्लेबाज सुनील गावस्कर के कद को कैसे मापते हैं? उन्होंने आने वाले कल में गुणा-गणित लगाने वाले लोगों के लिए ढेर सारा काम छोड़ रखा है कि वे आंकड़ों को खंगालें और उस पर हैरान हों. 1987 के वसंत की एक दोपहरी में अहमदाबाद में वे पाकिस्तान के खिलाफ खेल रहे थे. उन्होंने एजाज फकीह की एक साधारण सी गेंद पर पिछले पैर पर झुककर लेट-कट लगाया और तेजी से दौड़ पड़े. इस तरह से उन्होंने जो रन बनाए, वे मील के पत्थर साबित हुए.
यह किसी भी व्यक्ति द्वारा विलो से बनाया गया पहला 10,000वां टेस्ट रन रहा होगा. हम इसे यहां चुन रहे हैं ताकि उस दौर के शुरुआत की शिनाख्त की जा सके जब भारतीय बल्लेबाजों ने बेहतरीन खिलाड़ियों को मात दी. जिसमें एक ऐसा भी था जो गावस्कर का बायोनिक संस्करण जैसा था. सचिन तेंदुलकर, जो पांच फुट पांच इंच के थे और मुंबई के दादर में पैदा हुए थे. दोनों में शिखर छूने की लालसा उतनी ही अदम्य थी.
लेकिन ऐसे तटस्थ लोगों की कोई कमी नहीं है जो कहते हैं कि गावस्कर भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे. टेस्ट क्रिकेट में 34 शतकों का रिकॉर्ड बनाने वाले इस खिलाड़ी की विडंबना यह रही कि अपनी अंतिम पारी में वे बैंगलोर में धूल उड़ाते मैदान पर 90 रन पर आउट हो गए. जो लोग पुरानी शैंपेन पसंद करते हैं, वे इसे चुनेंगे. गावस्कर से जुड़ा कोई एक अनूठा क्षण चुनना कठिन है.
बेहिसाब आक्रामकता के लिए, उनके 121 रन को ही लीजिए, जिससे उन्होंने डॉन ब्रैडमैन के 29 टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली. यह विंडीज के लिए 1983 के विश्व कप की हार के बाद 'बदला लेने वाली शृंखला' थी. तूफानी दुनिया से आये तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल और माइकल होल्डिंग, कुछ कर दिखाने के मूड में थे. लेकिन सनी ने 37 गेंदों में 50 और 94 गेंदों में 100 रन बना डाले. बिना कोई हेल्मेट पहने.
जब उनके रन बेहिसाब मात्रा में बढ़ते चले गए तो कुछ लोगों ने कहना शुरू किया कि उन्हें रिकार्ड कायम करने की धुन सवार हो गई है. अन्य लोगों ने उन रनों के बारे में शिकायत की जो उनके खाते में नहीं आ पाए. अगर बल्लेबाजी कविता होती तो गावस्कर हाइकू होते. बहुत छोटी और हद से ज्यादा सधी हुई. दस गैलन की टोपी या खोपड़ी वाली टोपी के नीचे सिर पूरी तरह स्थिर. धड़, अंग अलौकिक संतुलन में थे, जब वे अपनी सीधी खड़ी हुई विलो को एक झूलती हुई चेरी के अंदर एक छोटे से माइक्रोमीटर तक ले जाते थे, और रेडियो पर आवाज कहती थी, "एक बार फिर, एकदम सही निर्णय लिया गया." हां, उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन शायद वे रन रहे होंगे जो उन्होंने नहीं बनाए.
क्या आप जानते हैं?
गावस्कर ने एक बार मजाक में कहा था कि अगर सचिन कम से कम 15,000 रन और 40 टेस्ट शतक नहीं बना पाए तो वे उनका गला घोट देंगे. तेंदुलकर का आंकड़ा 15,921 और 51 रहा.
इंडिया टुडे के पन्नों से

अंक: 15 फरवरी, 1992
आवरण कथा: सचिन तेंडुलकर
कच्ची उम्र में करिश्मा
● मैच के बाद उनकी बच्चों जैसी आंखें आंसुओं से भरी हुई थीं. उस रात वे सो नहीं सके और अपने मन में अपनी पारी को दोहराते रहे, उस शॉट को लेकर परेशान रहे जिसने अंतत: उन्हें कैच कर लिया. गावस्कर के अनुसार, सचिन की अपने खेल पर गौर करने, गलतियों को मानने और उन्हें सुधारने की क्षमता महानता की निशानी है. वे कहते हैं, ''इस खेल में कोई मास्टर नहीं है, केवल छात्र हैं. और सचिन एक ऐसे विरले क्रिकेटर हैं जो हर समय सीखते रहते हैं. वे अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहे हैं और उनके लिए आकाश अनंत है.''—राज चेंगप्पा
रनों की झड़ी
> उस समय केवल 21 वर्ष के सुनील गावस्कर ने 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी पहली सीरीज में 154.89 के औसत से 774 रन बनाए थे
> यह खेल जगत में सफलता के लिए लालायित देश के लिए उत्कृष्टता का पहला मानक है
> अपनी तकनीक में संपूर्णता और ब्रैडमैन जैसी ललक के साथ, सनी एक आदर्श खिलाड़ी बन गए
> जैसे-जैसे रिकॉर्ड टूट रहे हैं, उनकी महानता ने नायकों की एक पूरी नई पीढ़ी को जन्म दिया है
> सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ ने टेस्ट और वनडे दोनों में 10,000 रन बनाए. विराट कोहली उस दोहरे शतक के मुहाने पर हैं
10,000 रन सुनील गावस्कर 7 मार्च, 1987 को टेस्ट मैचों के इतिहास में इतने रन बनाने वाले पहले बेट्समैन बने
"मुश्किलें आदमी का सर्वश्रेष्ठ बाहर निकालती हैं, हालांकि अभी तो उसका पूरी तरह बालिग होना भी बाकी था. उस दिन 17 साल का वह लड़का पूरा बालिग आदमी बन गया."
—सुनील गावस्कर, सचिन तेंडुलकर के 1990 में बनाए पहले शतक पर