
दरअसल, पूंजीवाद और कला के बीच गहरे नाते से आज सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं. शायद ही किसी ने क्रिप्टो करेंसी के बादशाह कहलाने वाले अरबपति जस्टिन सन को मॉरीजियो कैटेलन का टेप से चिपका केला खाने वाला वीडियो नहीं देखा होगा.
सन ने सोथबीज की नीलामी के दौरान इस 'गुस्ताखी’ के लिए पूरी ईमानदारी से 62 लाख डॉलर (लगभग 50 करोड़ रुपए) का भुगतान किया. भारतीय कलाकारों ने अभी इस स्तर की सफलता हासिल नहीं की है, मगर हमारे कई अग्रणी आधुनिकतावादी चित्रकारों की कलाकृतियां.
खासकर दिवंगत चित्रकारों की कलाकृतियां नियमित तौर पर उस केले जैसे दामों पर नीलाम होती हैं. भारतीय समकालीन कला के लिए 20वीं सदी का अधिकांश समय पश्चिमी कलाकारों की अमूर्त छाया में बीता, और एम.एफ. हुसेन तथा एफ.एन. सूजा जैसी घरेलू प्रतिभाएं 'भारत के पिकासो’ के तौर पर मान्यता हासिल करने की एक अनदेखी प्रतिस्पर्धा में उलझी रहीं.
बाकी सब चीजों की तरह 1990 के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद इस परिदृश्य में भी बदलाव आया. इस लिहाज से 1995 मील के पत्थर वाला साल साबित हुआ क्योंकि न्यूयॉर्क के सोथबीज और लंदन के क्रिस्टीज में आधुनिक भारतीय कला की दो नीलामियां हुईं. उससे पहली पीढ़ी के कलाकारों यानी आजादी के बाद के प्रगतिशील और उनके बाद वाले सभी कलाकारों की कृतियों के दाम और प्रतिष्ठा खासी बढ़ गई.
तैयब मेहता की 'महिषासुर’ 2005 में क्रिस्टीज में 10 लाख अमेरिकी डॉलर (8.5 करोड़ रुपए) में बिकी और तबसे वृद्धि का दौर जारी है और कई मील के पत्थर स्थापित हो चुके हैं. रजा की 'सौराष्ट्र’ वर्ष 2010 में 34.8 लाख डॉलर (29.5 करोड़ रुपए) में और गायतोंडे की बिना शीर्षक वाली कृति वर्ष 2021 में 55 लाख डॉलर (46.6 करोड़ रुपए) में बिकी. जीवित कलाकारों को भी इससे लाभ हुआ जिनमें सुबोध गुप्ता प्रमुख हैं जो 2008 में 10 लाख डॉलर लीग में शामिल हुए. उनकी स्टील के बर्तनों को प्रदर्शित करने वाली एक कलाकृति क्रिस्टीज की एक अन्य नीलामी में 12 लाख डॉलर (10.2 करोड़ रुपए) में बिकी.
वैश्विक कला बाजार अंतरराष्ट्रीय वित्त (और कलाकृतियां खरीदने वाले कद्रदान) के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है. भारतीय कला बाजार की पहली 'उछाल’ 2008 में धड़ाम से नीचे गिरी जब कीमतें बहुत ज्यादा गिर गईं. मगर यह कारोबार जल्द पटरी पर आ गया; 2015 तक दोनों बड़े अंतरराष्ट्रीय नीलामीकर्ताओं ने मुंबई में समकालीन भारतीय कला की अपनी बिक्री शुरू कर दी थी.
वैसे क्रिस्टीज ने 2017 में फिर हाथ पीछे खींच लिया मगर तब तक कई भारतीय नीलामी घराने खुद को गंभीर खिलाड़ी के तौर पर स्थापित कर चुके थे. इसी तरह, भारत के धनाढ्य वर्ग ने कला को आश्रय दिया और अंबानी, नाडर और पोद्दार जैसे नाम कला संरक्षण एवं परोपकार के पर्याय बन गए.
—काइ फ्रीज़
अनौपचारिक तौर पर 'आधुनिक भारतीय कला की सबसे महंगी कृति’ का खिताब अमृता शेरगिल की 1937 की पेंटिंग 'द स्टोरीटेलर्स’ के नाम है, जो सितंबर 2023 में नई दिल्ली में सैक्रॉन आर्ट नीलामी में 61.8 करोड़ रुपए में बिकी. यही कैटेलन केला—और बदलाव है.
क्या आप जानते हैं?
रसोई में इस्तेमाल होने वाले स्टील के सैकड़ों बर्तनों से अपनी विशाल कलाकृतियां तैयार करने के लिए ख्यात कलाकार सुबोध गुप्ता कई मौकों पर खाना पकाने और परोसने की कला को प्रदर्शित कर चुके हैं तथा कई बार खाना खाने को भी अपनी कृति का हिस्सा बनाते हैं.
इंडिया टुडे के पन्नों से
अंक (अंग्रेजी) : 31 मई, 1995
ऑक्शन हाउसेज:

ब्रश विद इंडिया
पिछले साल समकालीन कला की पहली नीलामी के लिए भारतीय खरीदार लंदन पहुंचे क्योंकि हुसैन की कृति की अनुमानित कीमतें भारत की तुलना में काफी कम थीं.
सोथबीज ने 1992 में भारत में अपनी नीलामी के दौरान भारतीय कला के लिए बाजार की क्षमता को भांपा. ''इस सेक्शन में हमारी बिक्री ने हमें चौंका दिया. हमारे पास जो कुछ था उनमें 82 फीसद बिक गया.’’ —मधु जैन
मुंबई में पहली नीलामी आयोजित
● 2023: बेंगलूरू में अभिषेक पोद्दार का कला और फोटोग्राफी संग्रहालय खुला
61.8 करोड़ रुपए में अमृता शेरगिल की पेंटिंग 'द स्टोरीटेलर्स’ (1937) बिकी सैफ्रन आर्ट ऑक्शन में (सितंबर, 2023)

51.75 करोड़ रुपए में बिकी एस.एच. रजा की 'जेस्टेशन’ पुंडोलेज ऑक्शन में (सितंबर, 2023)

कहां तक फैल गया कैनवस
● 1995: जून में सोथबीज ने न्यूयॉर्क में हर्विट्ज संग्रह से समकालीन भारतीय कला की नीलामी की
● 1995: दिसंबर में लंदन में क्रिस्टीज की 20वीं सदी की भारतीय कला की बिक्री
● 2000: भारतीय कला नीलामी घर ओसियान और सैक्रॉन आर्ट की स्थापना
● 2008: नई दिल्ली में पहला इंडिया आर्ट फेयर (मूलत: 'आर्ट समिट’), फिर एक वार्षिक आयोजन बना
● 2010: दिल्ली में किरण नाडर म्यूजियम ऑफ आर्ट नामक आधुनिक और समकालीन भारतीय कला प्रदर्शित करने वाला पहला निजी संग्रहालय खुला
● 2013: क्रिस्टीज ने मुंबई में अपनी पहली समकालीन कला नीलामी आयोजित की
● 2015: सोथबीज ने अपना भारतीय कार्यालय खोला, ताज