कोई ऐसी पानी की बोतल या टंकी बन जाए, जिसमें फिल्टर या बिजली का तामझाम किए बिना भी बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और काई लगने ही न पाए, बैक्टीरिया आते ही मर जाए तो आम लोग इसे कल्पना ही समझेंगे. लेकिन इसे साकार कर चुकी हैं अनसूया रॉय. उनकी फर्म नैनोसेफ सॉल्यूशंस ऐंटी माइक्रोबियल मटीरियल (ऐसा मटीरियल जो वायरस, बैक्टीरिया, एल्गी और फंगस को मार सके) बनाकर इंडस्ट्री को सप्लाई कर रही है.
राय बताती हैं, "हमने सोचा कि एक ऐसा पॉलिमर वाटर कंटेनर बनाएं जो ऐंटी माइक्रोबियल हो और उसमें रखा पानी अपने आप साफ रहे. हमारा मकसद शहरी गरीब आबादी को लाभ पहुंचाना था जिनके पास पानी साफ करने का कोई जरिया नहीं है. ज्यादा दिनों तक पानी रखे रहने से उसमें बैक्टीरिया ज्यादा पनप जाते हैं और डायरिया जैसी बीमारियां होती हैं."
पानी की इन बोतलों में माइक्रोबियल तत्व दरअसल बोतलें बनाते वक्त उनके मोल्डिंग मटीरियल में ही डाल दिया जाता है. इस तरह से वह हमेशा एक्टिव रहकर जीवाणुओं को मारने का काम करता है.
कोलकाता यूनिवर्सिटी से टेक्सटाइल्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के दौरान बंगाली सीरियल्स में अभिनय कर चुकीं अनसूया ने आईआईटी दिल्ली से मास्टर्स किया और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत काफी समय जर्मनी में रहीं. उन्होंने आईआईटी दिल्ली से ऐंटी माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी में पीएचडी की. पीएचडी के बाद अच्छी-अच्छी खोजें भी आम तौर पर कागजों के ढेर में गुम हो जाती हैं. लेकिन अनसूया का नजरिया बिल्कुल अलग था.
वे बताती हैं, ''हमने गोल्ड, टाइटेनियम, कॉपर, सिल्वर यानी जिन धातुओं में ऐंटी माइक्रोबियल तत्व होते हैं उस पर रिसर्च की है." इससे पहले तक ऐंटी माइक्रोबियल देश में आयात होते थे. उनके शब्दों में, ''तकनीक विकसित करने में हमें 4-5 साल लगे. अगर इसे बाजार में नहीं लाते तो पीएचडी करने का क्या फायदा!" इस बीच डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से प्रोडक्ट बनाने के लिए उन्हें करीब 44 लाख रुपए मिले.
शोध में उनकी गुरु रहीं, नैनोसेफ के संस्थापकों में से एक और टेक्निकल डायरेक्टर प्रो. मंगला जोशी बताती हैं कि मई 2020 में कंपनी ने एक मास्क लॉन्च किया. यह 50 बार इस्तेमाल हो सकता है. दावा है कि यह कोविड वायरस को भी निष्क्रिय करने में सक्षम है. राय बताती हैं, "दिल्ली के प्रदूषण में हमारा मास्क काफी काम करता है. पीएम 2.5 मटीरियल के साथ हमारे मास्क .3 माइक्रोन्स तक में ऐक्टिव होते हैं." जोशी के अलावा नीरव मेहता का भी कंपनी में अहम योगदान है.
नैनोसेफ ने अगस्त 2020 में पानी की बोतल बनाई लेकिन बेची नहीं. टंकी बनाने वाली देश की नामी कंपनियों ने वाटर टैंक के लिए उनसे यह तकनीक ली. तब कंपनी ने अपना ध्यान बिजनेस-टु-बिजनेस पर केंद्रित किया. अनसूया की राय में, "बीटूबी में पेमेंट साइकिल बहुत अच्छा है इसलिए हम इसी सिगमेंट में हैं." मैट्रेस से लेकर ऑटोमोबाइल, वाटर टैंक, पेंट कंपनियां आदि करीब 25 कंपनियां नैनोसेफ की क्लाइंट हैं.
राय बताती हैं, "हमने ऐसी तकनीक बनाई जिससे वाटर प्योरीफिकेशन के दौरान पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व जरूरी मात्रा में आ जाते हैं. यह फोर्टीफाइड वाटर होता है. इस तकनीक को बेचने के लिए एक मल्टीनेशनल कंपनी से बात चल रही है." ऐंटी माइक्रोबियल का प्रयोग गद्दों में भी हो रहा है. नैनोसेफ ऐंटी माइक्रोबियल को लिक्विड, पाउडर और पेलेट्स (छोटे-छोटे दाने) के रूप में सप्लाई करती है.
नैनोसेफ अब हर तरह के ऐंटी माइक्रोबियल बना रही है. कारों के अंदर स्टीयरिंग व्हील, डैशबोर्ड, गियर शिफ्ट नॉब को ऐंटी माइक्रोबियल ऐक्टिव बनाया जाता है. फंडा सीधा है: जैसे ही कोई बैक्टीरिया, वायरस या फंगस आएगा, यह मटीरियल तुरंत सक्रिय होकर उसे खत्म कर देगा. कंपनी को मई 2024 में इंडियन एंजेल नेटवर्क से फंडिंग मिली है.
अनसूया बताती हैं, "हम पहले साल से ही रेवेन्यू बनाने वाली कंपनी हैं. नैनोसेफ के तीन पेटेंट हैं: पहला, किसी भी इनॉर्गैनिक मटीरियल को एंटीमाइक्रोबियल के रूप में सिंथेसाइज करना, इसमें कॉपर-सिल्वर आदि शामिल हैं; दूसरा, सिंथेसाइज्ड मटीरियल को पॉलिमर में डालने की प्रक्रिया; और तीसरा, सिंथेसाइज्ड मटीरियल को टेक्सटाइल में कैसे डालना है. कंपनी को 2023 में नेशनल स्टार्टअप अवार्ड मिला. वे सिंगापुर में शी लव्स टेक में भारत और दक्षिण एशिया श्रेणी की विजेता रहीं. अब वे खुद को साइंटिस्ट के बजाए बिजनेस वूमन के तौर पर देखती हैं.
नवाचार
ऐंटी माइक्रोबियल तकनीक. पानी की बोतल जैसी रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं में उन्हें बनाने के दौरान ही मोल्डिंग मटीरियल में ऐंटी माइक्रोबियल तत्व डाल दिए जाते हैं जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और काई को संपर्क में आते ही नष्ट कर देते हैं.