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कानपुर : जिस ओर सूरज, उधर ही घूमता है सोलर; इंजीनियर राहुल के नवाचार की क्यों हो रही इतनी चर्चा?

इंजीनियर राहुल गुप्ता बताते हैं कि सबसे ज्यादा समस्या सूरज की गति के अनुरूप सोलर पैनल के मूवमेंट को सेट करने को लेकर आ रही थी. इसके लिए खासतौर पर सिंगल एक्सेस ट्रैकर और ड्यूल एक्सेस ट्रैकर बनाया गया

राहुल गुप्ता, 38 वर्ष, कानपुर
राहुल गुप्ता, 38 वर्ष, कानपुर
अपडेटेड 2 जनवरी , 2025

कानपुर में बर्रा वर्ल्ड बैंक कॉलोनी में रहने वाले एस.एन. कटियार के तीन मंजिला मकान की छत पर लगे सोलर पैनल आसपास के लोगों के लिए कौतूहल का केंद्र बने हुए हैं. वैसे तो कटियार के मकान के अगल-बगल एक दर्जन से ज्यादा छतों पर सोलर पैनल लगे हैं लेकिन वे सभी एक दिशा में स्थिर हैं. दूसरी ओर कटियार के मकान की छत पर लगे सोलर पैनल सूरजमुखी की भांति सूर्य की गति के अनुसार घूम जाते हैं.

यह अनोखा सोलर पैनल सिस्टम कानपुर के पांडुनगर निवासी और सनसिंक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राहुल गुप्ता ने ईजाद किया है. राहुल के पिता ए.के. गुप्ता देश के एक बड़े बॉयलर्स इंजीनियर हैं. 2008 में गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद राहुल ने लार्सन ऐंड टूब्रो (एलऐंडटी) के हाइड्रोकार्बन ऐंड पाइपलाइन डिवीजन में नौकरी शुरू की.

वहां बतौर इंजीनियर तीन साल सेवा देने के बाद राहुल 2011 में कानपुर आ गए और पिता के बॉयलर्स और पाइपलाइन के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे. राहुल बताते हैं, ''पिता की उम्र बढ़ने पर उन्हें 50 साल पुराने फैमिली बिजनेस में मेरी जरूरत महसूस हो रही थी. इसीलिए मैंने नौकरी छोड़ दी." पुश्तैनी बिजनेस से जुड़ने के बाद राहुल ने पाया कि बॉयलर्स को जलाने के लिए काफी ईंधन की जरूरत पड़ती है.

यह ईंधन लगातार महंगा होता जा रहा था जिससे बॉयलर्स के उपयोग में भी खर्च बढ़ रहा था. इसके अलावा ईंधन को लगातार जलाने से प्रदूषण भी फैल रहा था. ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों को तलाशने के क्रम में राहुल ने सोलर ऊर्जा से बॉयलर को गर्म कर भाप पैदा करने की सोची. इसके बाद राहुल ने देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों में सोलर थर्मल पावर की तकनीक का अध्ययन किया.

राहुल बताते हैं, "देश में सोलर थर्मल पावर की तकनीक का सबसे अच्छा उपयोग प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू राजस्थान में किया गया है. वहां सोलर कंसंट्रेटर टेक्नोलॉजी का उपयोग करके पावर प्लांट और दूसरी कई सारी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है."

वे आगे बताते हैं, "सोलर कंसंट्रेटर टेक्नोलॉजी में अवतल दर्पण (कॉनकेव मिरर) का उपयोग करके सूर्य की रोशनी को एक बिंदु पर केंद्रित करते हैं. इससे पैदा होने वाली अपार गर्मी से विश्वविद्यालय में भाप पैदा करके टरबाइन के जरिए बिजली बनाई जा रही है. यह दुनिया में अपनी तरह का अनोखा प्लांट है जिसमें एक ट्रैकर सिस्टम लगा था जो सूरज के मूवमेंट के साथ कॉनकेव मिरर को भी घुमाता था."

राहुल ने इसी तर्ज पर सोलर फोटो वोल्टाइक (पीवी) तकनीकी को ट्रैकर सिस्टम के साथ जोड़ने का प्रयोग शुरू किया ताकि सोलर पैनल सूरज की गति के अनुसार ही अपनी दिशा बदलता चले. उन्होंने कंप्यूटर पर थ्रीडी डिजाइन बनाकर इसका अध्ययन किया.

राहुल बताते हैं, ''सबसे ज्यादा समस्या सूरज की गति के अनुरूप सोलर पैनल के मूवमेंट को सेट करने को लेकर आ रही थी. इसके लिए विशेषरूप से 'सिंगल एक्सिस ट्रैकर’ और 'ड्यूल एक्सिस ट्रैकर’ बनाया गया. इसमें सोलर पैनल पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण की ओर घूम सकता है."

यह ट्रैकर बनाने में राहुल को तीन साल लगे. 2020 में आखिरकार राहुल सूर्य की गति के अनुसार घूमने वाले सोलर पैनल बनाने में कामयाब हुए. दो वर्ष बाद 2022 में राहुल को इस तकनीक का पेटेंट मिल गया. इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), कानपुर, एनटीपीसी जैसी संस्थाओं ने राहुल के बनाए ट्रैकर युक्त सोलर सिस्टम से खुद को जोड़ा है.

सफलता का मंत्र

काम के प्रति समर्पण और हार न मानने का जज्बा सफलता की सीढ़ियों तक ले जाता है.

शौक

बैडमिंटन खेलना

नवाचार

राहुल ने सोलर पैनल को घुमाने के लिए 'सिंगल एक्सिस ट्रैकर’ और 'ड्यूल एक्सिस ट्रैकर’ लगाया. इस ट्रैकर में 'लीनियर एन्न्चुएटर’ लगाया जो करंट मिलने पर घूमता है. यह ट्रैकर ब्लूटूथ और वाइफाइ के जरिए एक कंट्रोलर से जुड़ा होता है. कंट्रोलर को एक मोबाइल ऐप से जोड़कर 'सन चार्ट’ के जरिए सूर्य की गति के अनुसार घुमाया गया.

उपलब्धि

आईआईटी कानपुर ने ट्रैकर युक्त सोलर पैनल तकनीक को सराहा और आगे के शोध के लिए 12 लाख रुपए दिए.

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