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कौन हैं निमित सिंह, जिन्होंने शहद बेचकर छह सालों में खड़ी कर ली करोड़ों की कंपनी?

गोरखपुर के निमित ने शहद के अलावा खास तकनीक से मधुमक्खी के डंक को भी अलग करने में सफलता प्राप्त की है. इसका उपयोग कैंसर की दवाएं बनाने में किया जाता है

निमित सिंह, बाराबंकी
निमित सिंह, बाराबंकी
अपडेटेड 17 दिसंबर , 2024

दुबई में शहद और इत्र का बिजनेस करने वाले असलम शेख अक्तूबर में जब बाराबंकी के देवा मेले में आए तो यहां लौंग के शहद के बारे में जानकर आश्चर्य में पड़ गए. असलम फौरन देवा शरीफ से करीब तीन किलोमीटर दूर रजौली गांव में 'मधुमक्खीवाला' नाम के फार्महाउस पहुंचे. वहां उन्होंने पहली बार जामुन, नीम, अजवाइन, सरसों, धनिया, तुलसी, बबूल समेत करीब डेढ़ दर्जन प्रकार के अलग-अलग शहद देखे. मधुमक्खीवाला को 17 कुंतल लौंग का शहद सप्लाई करने का ऑर्डर देते उन्हें देर न लगी.

असलम के मुताबिक, लौंग के शहद की दुबई में काफी डिमांड है. मधुमक्खीवाला भारत की पहली कंपनी है जिसे लौंग के शहद का ऑर्डर मिला है. नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया-2024 में भी मधुमक्खीवाला का शहद छाया रहा. फेस्टिवल में केन्या से आए व्यापारियों ने मधुमक्खीवाला को सरसों, धनिया समेत कुल छह प्रकार के अलग-अलग तीन-तीन कुंतल शहद का ऑर्डर दिया. बाराबंकी जिले में फतेहपुर ब्लॉक के रजौली गांव में संचालित मधुमक्खीवाला ने अलग अलग फूलों के अनुरूप शहद बनाकर अनोखी छाप छोड़ी है.

मधुमक्खीवाला के संस्थापक निमित सिंह कई अवरोधों को पार कर इस मुकाम पर पहुंचे हैं. गोरखपुर के खोराबार गांव के रहने वाले निमित ने तमिलनाडु की अन्नामलै यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद जयपुर नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के एमबीए कोर्स में दाखिला ले लिया था. पढ़ाई के दौरान ही निमित ने खुद का कोई बिजनेस शुरू करने की सोची. कई दिशा में सोचने के बाद आखिरकार मधुमक्खीपालन में हाथ आजमाना तय किया.

निमित बताते हैं, ''मैंने इसके लिए कोई कोर्स नहीं किया बल्कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, असम समेत कई राज्यों में मधुमक्खीपालन में अच्छा काम कर रहे किसानों के पास जाकर बारीकियां सीखीं.'' 2016 में निमित ने सीतापुर के मिसरिख इलाके में अपने दोस्त के खेत में मधुमक्खीपालन शुरू किया. वे बताते हैं, ''जितने में मेरा शहद बिक रहा था उससे अधिक लागत आ रही थी. लोग पूछते थे कि मेरे शहद में अलग क्या है?''

काफी शोध के बाद निमित ने तय किया कि अलग-अलग फूलों से अलग-अलग शहद बनाया जाए. इसके बाद उन किसानों को चिह्नित किया जिनकी मदद से वे अलग किस्म के शहद तैयार करेंगे. उन्होंने सरसों के शहद के लिए बाराबंकी और राजस्थान, अजवायन के लिए ग्वालियर, धनिया के लिए कोलकाता, मीठी नीम के लिए रामनगर (उत्तराखंड) समेत कई अन्य प्रदेशों में मधुमक्खीपालन शुरू किया.

निमित ने शहद निकालने के लिए किसी प्रकार की मशीन का उपयोग नहीं किया. यह शहद बाजार में 300 रुपए प्रति किलो से लेकर 5,000 रुपए प्रति किलो तक बिका. मधुमक्खीवाला 2018 में मधुमक्खीवाला प्राइवेट लिमिटेड बन गई. अब निमित ने मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले मोम से साबुन, मोमबत्ती, फुटक्रैक मरहम भी बनाने शुरू कर दिए.

निमित ने सामाजिक सरोकारों को भी अंजाम दिया. बाराबंकी में चंदनपुरवा गांव अवैध शराब के लिए कुख्यात था. 2021 में निमित ने यहां 800 परिवारों को मोम के दिए बनाने का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया. रोजगार मिलने से गांव में पिछले तीन साल से अवैध शराब निर्माण की एक भी घटना सामने नहीं आई है.

निमित ने खास तकनीक से मधुमक्खी के डंक को अलग करने में सफलता प्राप्त की. इसका उपयोग कैंसर की दवाएं बनाने में किया जाता है. इन दिनों निमित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड मार्केटिंग, जयपुर के साथ मिलकर रानी मधुमक्खी की 'क्लोन ग्राफ्टिंग' पर शोध कर रहे हैं.

नवाचार

जिस फूल का शहद तैयार करना होता है उसकी फसल के आसपास निमित मधुमक्खी के बक्से रख देते हैं. इसमें केवल उस खास फूल का ही शहद एकत्र होता है. मधुमक्खी का डंक बटोरने के लिए निमित ने 'बी वेनम कलेक्टर' मशीन ईजाद की.

मशीन से संपर्क होने पर मधुमक्खी मशीन पर डंक मारती है जो इस पर चिपक जाता है. इसी तरह एक खास प्रकार के 'पॉलेन ट्रैप' को भी बक्से में रखकर मधुमक्खी के पैरों पर चिपके परागकण अलग किए गए.

सफलता का मंत्र

''लक्ष्य को ही आखिरी रास्ता मानकर पूरे समर्पण से प्रयास करने से सफलता अवश्य मिलती है.''

उपलब्धि

वर्ष 2022 और 2023 में मधुमक्खीपालन के लिए गवर्नर अवार्ड.

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